दान के नाम पर इनकम टैक्स की चोरी करने वालों की अब खैर नहीं, जानिए कैसे

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नई दिल्ली। Donation to Charitable Trust: दान के नाम पर इनकम टैक्स की चोरी करने वालों की अब खैर नहीं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई (AI) की नजरों से बच नहीं पाएंगे। ऐसे टैक्स चोरी करने वाले AI के रेडार पर हैं।

एआई से दो काम एक साथ हो रहे हैं। पहला इससे टैक्सपेयर्स के लिए रिटर्न फाइल करना और रिफंड लेना आसान हो गया है। वहीं दूसरा इससे सभी सोर्स से होने वाली कमाई की पहचान की जाती है। इनकम टैक्स डिपोर्टमेंट (Income Tax Department) पिछले कई इनकम टैक्स रिटर्न का पुनर्मूल्यांकन कर रहा है। इसमें विशेष रूप से वह मामले शामिल हैं जिनमें वित्त वर्ष 2019 के दौरान चैरिटेबल ट्रस्टों और राजनीतिक दलों को किए गए डोनेशन के लिए कटौती का दावा किया गया है।

खबर के मुताबिक, इस साल 20 मार्च से 10 जून तक वेतनभोगी व्यक्तियों को “सैकड़ों” नोटिस जारी किए गए थे। आयकर विभाग ने एआई का इस्तेमाल करते हुए ऐसे लोगों की पहचान की है, जिनकी अर्जित आय के मुकाबले डोनेशन का रेशियो वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए कम है। धारा 80 जी के तहत राजनीतिक दलों और चैरिटेबल ट्रस्ट को डोनेशन के लिए 50-100 प्रतिशत की कटौती का दावा किया जा सकता है। कई मामलों में जहां डोनेशन की ज्यादा राशि का दावा किया गया है। इसमें पुनर्मुल्यांकन नोटिस भेजा गया है।

ऐसे होता है पुनर्मूल्यांकन
बता दें कि 50 लाख रुपये से ज्यादा इनकम वालों के लिए 10 साल के भीतर और 50 लाख रुपये से कम आय वालों के लिए आठ साल के भीतर किसी भी समय आयकर रिटर्न का पुनर्मूल्यांकन किया जा सकता है। FY19 में लेनदेन के लिए रिटर्न (निर्धारण वर्ष FY20 के तहत दायर) का 31 मार्च, 2029 तक पुनर्मूल्यांकन किया जा सकता है। केवल एक सहायक आयुक्त या एक उपायुक्त को मजबूत तथ्यों और कर चोरी पर सवाल उठाने के तर्क के साथ पुनर्मूल्यांकन नोटिस जारी करने की अनुमति है।

फरवरी 2019 के केंद्रीय बजट में, धर्मार्थ ट्रस्टों को एक विशिष्ट पहचान संख्या प्राप्त करने के लिए अनिवार्य किया गया था। 1 अप्रैल, 2020 से धारा 80 जी कटौती के लिए केवल इन नंबरों के साथ ट्रस्टों को किए गए दान की अनुमति थी। चैरिटेबल ट्रस्टों से प्राप्त डेटा का इस्तेमाल करके डाउनलोड किए गए आयकर रिटर्न फॉर्म में धारा 80 जी दान विवरण को पहले से भरा जाना था, लेकिन कोविड-19 लॉकडाउन के कारण इस उपाय को स्थगित कर दिया गया था।

गलत जानकारी देने पर जुर्माना
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, धारा 148 (ए) के तहत भेजे गए नोटिस का जवाब देना होगा। अगर व्यक्ति के पास डोनेशन का प्रमाण है, तो उसके जवाब में उसे प्रस्तुत किया जा सकता है। अन्यथा, नोटिस में उल्लिखित जुर्माने के साथ देय कर का भुगतान करना होगा। वहीं 50-200 प्रतिशत का जुर्माना लागू होता है अगर कोई लेन-देन को वास्तविक साबित नहीं कर पाता है और कर चोरी पाया जाता है। नोटिस प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर प्रमाण प्रस्तुत करना होगा। गलत जानकारी देने पर जुर्माना लगेगा।

वहीं अगर आपको कोई नोटिस नहीं मिला है लेकिन आपको एहसास हुआ है कि आपने गलत तरीके से धारा 80 जी कर कटौती का दावा किया है, तो आप अपने रिटर्न को अपडेट कर सकते हैं। कोई भी व्यक्ति 25-50 फीसदी ज्यादा टैक्स लेकर दो साल के भीतर रिटर्न अपडेट कर सकता है।