नई दिल्ली। Generic Medicine: देश में जेनरिक दवाओं के इस्तेमाल को लेकर केंद्र सरकार ने डॉक्टरों को सख्त निर्देश दे दिया है। सरकार ने आदेश जारी कर सभी डॉक्टरों को जेनरिक दवाएं पेशेंट्स के लिए लिखने को कहा है।
सरकार ने सख्त होते हुए कहा कि अगर डॉक्टर पर्ची में जेनरिक दवा नहीं लिखी जाती तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य सेवा के डायरेक्टर जनरल ने आदेश जारी करते हुए इस बात की वार्निंग दी है कि जो कोई भी डॉक्टर जेनरिक दवाओं को अपने पर्ची में शामिल नहीं करेगा, उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जा सकता है।
केंद्र सरकार ने सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य कल्याण केंद्रों के डॉक्टरों को जेनरिक दवाएं ही लिखने के लिए निर्धारित नियमों का पालन करने की चेतावनी जारी की है।
जेनरिक दवाएं क्या होती हैं
- जेनरिक दवाएं ऐसी दवाएं होती हैं, जो किसी ब्रांडेड दवा के समान ही इफेक्टिव होती है और एक समान चिकित्सीय प्रभाव पैदा करता है।
- किसी अन्य ब्रांडेड कंपनियों की दवाओं की तुलना में जेनरिक दवाओं की खुराक, गुणवत्ता, इसके काम करने के तरीके और इसके उपयोग के तरीके सामान्य ही होते हैं।
- जेनरिक दवाओं एक समान तौर पर प्रभावी होती हैं और रोगों से लड़ने में रोगियों की मदद करती हैं, ठीक उसी प्रकार जैसे किसी ब्रांडेड दवा के सेवन के बाद असर होता है।
- सबसे ज्यादा जरूरी फैक्टर ये है कि किसी ब्रांडेड दवाओं की तुलना में जेनरिक दवाओं की कीमत बेहद कम होती है।
- ब्रांड नाम वाली दवा का पेटेंट समाप्त होने के बाद ही किसी जेनरिक दवा को बाजार में लाया जाता है।
अब सरकार ने जेनरिक दवाओं को लिखने के सख्त निर्देश दे दिए हैं। आदेश के अनुसार, अस्पतालों, पॉलीक्लिनिक के डॉक्टरों को बार-बार हिदायत दी गई है कि वे केवल जेनरिक दवाएं ही लिखें।
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल ने कहा, “इसके बावजूद यह पाया गया है कि कुछ मामलों में डॉक्टर ब्रांडेड दवाएं लिखना यदि जारी रखते हैं तो उनके उन पर सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।” आदेश में सभी अस्पतालों के प्रमुखों को यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है कि सभी इसका सख्ती से पालन करें।