भगवान नरसिंह के जयकारों के बीच हुआ हिरण्यकश्यपु के पुतले का वध

0
61

कोटा। अग्रवाल वैष्णव मोमीयां पंचायत द्वारा गुरुवार को भगवान नृसिंह प्राकट्य महोत्सव का भव्य समारोह गाँधी चौक रामपुरा में आयोजित किया गया। संस्था के प्रवक्ता संजय गोयल ने बताया कि भगवान नरसिंह के स्वरूप द्वारा हिरण्यकश्यपु के 25 फीट के पुतले का वध किया गया। इस दौरान भक्त प्रह्लाद द्वारा हाथ जोड़ने पर भगवान नरसिंह के स्वरूप का गुस्सा शांत हुआ।

मान्यता के अनुसार, शाम और रात्रि की संक्रांति बेला पर ठीक 6.45 बजे भगवान नृसिंह का प्राकट्य हुआ तो पूरा गांधी चौक जयकारों से गूंज उठा। जयकारों के बीच ही हिरण्यकश्यपु के पुतले का वध किया गया। इसके बाद पुतले को लूटने के लिए लोगों की खासी भीड़ जमा हो गई।

कार्यक्रम संयोजक महेंद्र कुमार मित्तल व राधेश्याम गर्ग ने बताया कि राम दरबार व शिवजी, हनुमान व भक्त प्रह्लाद की झांकी सजाई गई थी। इसके बाद महाआरती और प्रसाद वितरण के साथ ही ठंडाई भी बांटी गई।

कार्यक्रम के अतिथि खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के उपाध्यक्ष पंकज मेहता, समाजसेवी अमित धारीवाल, सम्मेलन कोटा जिला के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, श्रीनाथ मित्तल आलवाले, सुरेन्द्र गोयल विचित्र, रामभरोस गोयल, अग्रवाल संगठन के अध्यक्ष जगदीश अग्रवाल चूनेवाले थे।

महिला अध्यक्ष शिखा मित्तल व सचिव सुनीता गोयल ने कहा कि हिरण्यकश्यप को वरदान प्राप्त था कि उसे नर व पशु नहीं मार सकता, ना अस्त्र से न शस्त्र से मारा जा सकता है। इसलिए भगवान विष्णु ने धरती को पाप से मुक्त करने के लिए श्री नरसिंह भगवान का रूप धारण कर उसका वध किया। इस दिन पूजा अर्चना करने से पापों से मुक्ति मिलती है।

इस अवसर पर संस्था सचिव चेतन मित्तल गोंद वाले, चेतन प्रकाश मित्तल, सोहनलाल गुप्ता, दिनेश गर्ग, गिर्राज मित्तल, महिला मंडल की संरक्षिका सावित्री गुप्ता, अध्यक्ष शिखा मित्तल, सचिव सुनीता गोयल, माया अग्रवाल, सुरेश गोयल, परमानन्द गर्ग, शिव कुमार गोयल, गोपाल मित्तल आलवाले, अजय गुप्ता, मधु मित्तल समेत बडी संख्या में लोग मौजूद रहे।

पुतले के कागज व लकडियाँ घर ले गए
संस्था के अध्यक्ष कैलाश गुप्ता व सचिव चेतन मित्तल के अनुसार यह परम्परा पिछले 125 वर्षों से चली आ रही है। भगवान नरसिंह स्वरूप द्वारा हिरण्यकश्यप के पुतले का वध करने के बाद लोग पुतले के कागज व लकडियां अपने घरों में ले गए। मान्यता है कि इस लकड़ी को घर के बाहर लगाते हैं। जिससे साल भर कोई अनिष्ट नहीं होता है।