नंदिनी गुप्ता का एलन में किया स्वागत, छात्राओं से किया संवाद
कोटा। Miss India Nandni Welcome at ALLEN: जीवन में एक अवसर जाएगा तो दूसरा आएगा, हर इंसान के सर पर अवसरों का ताज है, हमें अवसर भुनाना आना चाहिए। आशावान बने रहिए, सफलता एक दिन अवश्य आपके कदम चूमेगी। मिस इंडिया नंदिनी गुप्ता ने सोमवार को एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट प्राइवेट लिमिटेड में छात्राओं से संवाद के दौरान यह बात कही। जवाहर नगर स्थित एलन सम्मुनत कैम्पस के समरस सभागार में यह स्वागत समारोह हुआ। यहां एलन के निदेशक डॉ. गोविन्द माहेश्वरी, डॉ. नवीन माहेश्वरी एवं डॉ. बृजेश माहेश्वरी ने नंदिनी गुप्ता का सम्मान किया। उपर्णा पहनाया, सिल्वर मैडल और दो लाख रुपए का चेक भेंट कर सम्मानित किया। नंदिनी के माता-पिता का भी स्वागत किया गया। नंदिनी ने हाड़ौती भाषा में एलन का धन्यवाद देते हुए कहा ‘म्हने अठी आर घणो चोखो लाग रियो छ’। कई विद्यार्थी नंदिनी का पोट्रेट बनाकर भी लाए थे। निदेशक डॉ. बृजेश माहेश्वरी ने मंच पर उन्हें सौंपे।
बैकग्राउंड मायने नहीं रखता
नंदिनी ने एलन पीएनसीएफ विभाग की छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा कि ‘मेरे पिता किसान और मां गृहिणी है। आपका बैकग्राउंड मायने नहीं रखता, कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कहां से आते हैं। जीवन एक यात्रा है और इसमें कई बार मुझे भी फेलियर का सामना करना पड़ा। कोटा जैसे शहर से मुंबई जाकर अपने सपनों को साकार करने के लिए कोशिश करना आसान नहीं था लेकिन, माता-पिता के सपोर्ट से मैंने सपनों को साकार किया।
बाधाओं को अपना कौशल बनाया
नंदिनी गुप्ता ने कहा कि मिस इंडिया का ताज जीतने का सफर आसान नहीं था। कई चुनौतियां मेरे सामने आईं, लेकिन उन सबको पीछे छोड़ आगे बढ़ने में सफल रहीं। अपनी चुनौतियों के बारे में बताते हुए, नंदिनी ने कहा, ‘अंग्रेजी मेरी तीसरी लैंग्वेज थी और यही कम्यूनिकेशन बैरियर मेरे लिए बड़ी चुनौती बना। मैंने इन असफलताओं को स्वीकार किया और सफलता के लिए कड़ी मेहनत की। इस तरह से मैंने अपनी बाधाओं को अपना कौशल बनाया।
दोस्त ऐसे हों जो हैप्पीनेस दें
एक छात्रा ने पूछा कि आपको मिस इंडिया बनने की प्रेरणा कैसे मिली, आप किनसे इंस्पायर हुई थी। नंदिनी ने जवाब दिया कि जब मैं दस वर्ष की थी तब मैं देवदास मूवी में ऐश्वर्या को देख मंत्रमुग्ध थी। मां ने बताया कि ये मिस वर्ल्ड है, मैंने उनसे पूछा कि मिस वर्ल्ड कैसे बनते हैं तो उन्होनें मुझे इसके बारे में बताया।
एक विद्यार्थी ने पूछा कि जीवन में दोस्त कैसे चुनने चाहिए। नंदिनी ने खुद के दोस्ता का उदाहरण देते हुए कहा कि जीवन में दोस्त ऐसे होने चाहिए, जो आपको हैप्पीनेस दें। एक विद्यार्थी ने पूछा कि आप फेलियर से कैसे बाहर आती हैं तो नंदिनी ने बताया कि पहचान बनाने के लिए कई बार असफलता भी जरूरी होती है। जब कॅरियर या जीवन के बारे में सोचें तो तमाम कठिनाइयों और विपरीत परिस्थितियों को भी ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ें।