जयपुर। राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल पर सरकार और डाॅक्टरों के बीच सहमति बन गई है। सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। सीए गहलोत ने ट्वीट किया- मुझे प्रसन्नता है कि राइट टू हेल्थ पर सरकार व डॉक्टर्स के बीच अंततः सहमति बनी एवं राजस्थान राइट टू हेल्थ लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना है।
मुझे आशा है कि आगे भी डॉक्टर-पेशेंट रिलेशनशिप पूर्ववत यथावत रहेगी। सरकार और निजी डॉक्टर के बीच 8 सूत्री मांगों पर सहमति बन गई है। मुख्य सचिव उषा शर्मा के साथ डॉक्टरों की मंगलवार को उनके आवास (मुख्य सचिव) पर बैठक हुई, जिसमें मांगों पर सहमति बनी है। हालांकि, प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम सोसाइटी ने हड़ताल खत्म होने की अधिकारिक घोषणा की नहीं, लेकिन उन्होंने वार्ता के सफल होने की बात कही है।
इन शर्तों पर बनी सहमति
- राइट टू हेल्थ में 50 बेड क्षमता वाली मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के अलावा बिना किसी सरकारी मदद के चल रहे निजी अस्पताल इस विधेयक के बाहर होंगे।
- राइट टू हेल्थ के दायरे में निजी मेडिकल कॉलेज पीपीपी मोड पर संचालित अस्पताल आएंगे। साथ ही वह अस्पताल जिन्होंने रियायती दरों पर सरकार से जमीन ली है।
- सभी वह अस्पताल जो ट्रस्ट की तरफ से संचालित किए जा रहे हैं, वह इसके दायरे में आएंगे।
- चिकित्सकों की हड़ताल के दौरान पुलिस केस या अन्य तरह के मुकदमों को रद्द किया जाएगा।
- अस्पतालों से जुड़े मामलों में अनुमति के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया जाएगा।
- अग्निशमन एनओसी हर 5 साल में कंसीडर की जाएगी।
- भविष्य में किसी तरह के नियम कायदे बनाए जाने पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के 2 प्रतिनिधियों की भी मंजूरी ली जाएगी।
- कोटा मॉडल और सिंगल विंडो ग्रीवेंस सिस्टम लागू करने पर सहमति बनी।
बिल में महत्वपूर्ण क्या है
राइट टू हेल्थ बिल से निजी अस्पतालों को आपातकाल या इमरजेंसी की स्थिति में निःशुल्क इलाज करना पड़ेगा। स्वास्थ्य के अधिकार वाले इस बिल में गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीज को रेफर किए जाने के हालत में अस्पताल को एंबुलेंस की व्यवस्था खुद करना पडे़गा। इसके तहत प्राइवेट हॉस्पिटल्स को सरकारी योजना के अनुसार, हर बीमारी का फ्री इलाज करना होगा। आरटीएच बिल में कई ऐसे प्रावधान हैं, जिनके जरिए आम जनता को वक्त पर और सही इलाज मिल सकेगा।