-दिनेश माहेश्वरी
कोटा। वातानुकूलित ट्रेन में अब आप यात्रा के दौरान पसीने से तर-बतर नहीं होंगे। रात के समय ज्यादा कूलिंग के कारण ठिठुरने की मजबूरी भी नहीं होगी। आपको इन समस्याओं से निजात के लिए अगले स्टेशनों के आने का इंतजार भी नहीं करना पड़ेगा। कोच एटेंडेंट से भी इसके लिए बार-बार जाकर गुजारिश करने की आवश्यकता नहीं होगी। दरअसल, रेलवे ऐसी तकनीक पर काम कर रहा है, जिससे कोच का वातानुकूलित मेकेनाइज्ड तरीके से कंट्रोल हो सके।
आसानी से होगी ट्रेन के कोच की निगरानी
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, सेंट्रलाइज्ड कोच मॉनीटरिंग सिस्टम (सीसीएमएस) तकनीक के तहत ट्रेन के कोच की निगरानी की जाएगी। शुरुआती दौर में राजधानी और शताब्दी ट्रेनों के एयर कंडीशन कंट्रोल पैनल को सेंट्रलाइज्ड मॉनीटरिंग सिस्टम से लैस किया जाएगा।
दिल्ली मंडल में सीसीएमएस की सुविधा जून महीने से मिलनी शुरू हो जाएगी। राजधानी, शताब्दी ट्रेनों के बाद लंबी दूरी की अन्य ट्रेनों में भी यात्रियों को यह सुविधा मिलेगी।
सीसीएमएस दिल्ली रेल मंडल से ही संचालित की जाएगी। सेंट्रलाइज्ड मॉनीटरिंग सिस्टम से यह पता चलता रहेगा कि किस ट्रेन के किस कोच में तापमान की स्थिति क्या है। अगर एसी ठीक से काम नहीं कर रही है तो अगले स्टेशन पर सूचित कर एसी ठीक करने वालों को जानकारी दी जाएगी। यात्रियों के शिकायत पर भी तुरंत करवाई की जाएगी। इसी तरह कोच में ठीक से रोशनी नहीं मिल रही है तो उसका भी निदान किया जाएगा। हेड ऑन जेनरेशन तकनीक यानी ओवर हेड वॉयर से ट्रेनों के कोच में इलेक्ट्रिक सप्लाई होने से भी सेंट्रलाइज्ड मॉनीटरिंग करने में आसानी होगी।