जयपुर। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यनल (National Green Tribunal) ने राजस्थान सरकार को ठोस और तरल कचरे के अनुचित प्रबंधन के लिए पर्यावरण संबंधी मुआवजे के रूप में 3,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है।
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने प्रदूषण में योगदान और अपने संवैधानिक कर्तव्यों के निर्वहन में नाकाम रहने के लिए राज्य के अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया है। बेंच में जस्टिस सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेली भी शामिल थे।
बेंच ने कहा, “चूंकि, सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के पहले के आदेशों के तहत जल प्रदूषण की रोकथाम और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए दी गई समयसीमा समाप्त हो गई है, इसलिए ‘प्रदूषक भुगतान’ सिद्धांत को एक जनवरी 2021 से लागू किया जाना है और पर्यावरण को हुए नुकसान व प्रबंधन की लागत के बराबर मुआवजा लगाया जाना है।”
बेंच ने कहा कि भविष्य में लगातार जारी क्षति को रोकने और पिछले नुकसान की भरपाई करने की जरूरत है। एनजीटी ने 1,250 मिलीलटर प्रति दिन (एमएलडी) तरल अपशिष्ट या सीवेज के निस्तारण में कमी के लिए मुआवजे का निर्धारण 2,500 करोड़ रुपये के रूप में किया।
बेंच ने कहा कि वैज्ञानिक रूप से ठोस कचरे का प्रबंधन करने में विफलता के मद में कुल मुआवजा 555 करोड़ रुपये है। उसने कहा कि कुल मुआवजा 3,000 करोड़ रुपये पूर्णांकित किया गया है, जो राजस्थान सरकार द्वारा दो महीने के भीतर एक अलग खाते में जमा किया जा सकता है, जिसका संचालन मुख्य सचिव के निर्देश के अनुसार किया जाएगा और जिसका इस्तेमाल नुकसान की भरपाई के उपायों पर होगा।
बेंच ने कहा कि सीवेज प्रबंधन के संबंध में नुकसान की भरपाई के उपायों में सीवेज निस्तारण और उपयोग प्रणाली स्थापित करना तथा मौजूदा सीवेज प्रबंधन प्रणालियों व उनकी संचालन व्यवस्था का उन्नयन करना शामिल है, ताकि उनकी पूरी क्षमता का उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।
एनजीटी ने कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए निष्पादन योजना में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के दिशा-निर्देशों के तहत जैव-उपचार प्रक्रिया के निष्पादन के साथ-साथ आवश्यक अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्रों की स्थापना करना और 161 साइटों का उपाय करना शामिल होगा।
बेंच ने आगे कहा कि नुकसान की भरपाई से जुड़ी दोनों योजनाओं को समयबद्ध तरीके से राज्यभर में तुरंत क्रियान्वित करने की आवश्यकता है और यदि उल्लंघन जारी रहता है तो अतिरिक्त मुआवजा तय करने पर विचार किया जाएगा। बेंच ने कहा कि अनुपालन मुख्य सचिव के जिम्मे होगा। इसके अलावा, मुख्य सचिव द्वारा सत्यापन योग्य प्रगति पर छह मासिक प्रगति रिपोर्ट दायर की जाएंगी। रिपोर्ट की एक प्रति इस अधिकरण के रजिस्ट्रार जनरल को भी सौंपी जाएगी।