अब इंजीनियरिंग कॉलेज मनमानी फीस नहीं वसूल पाएंगे, अधिकतम फीस का स्लैब निर्धारित

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ई दिल्ली। इंजीनियरिंग कॉलेज अब बीटेक और बीई में मनमानी फीस नहीं वसूल पाएंगे। पहली बार इंजीनियरिंग, डिजाइन, आर्ट एंड क्राफ्ट प्रोग्राम में स्नातक और स्नातकोत्तर प्रोग्राम के लिए न्यूनतम और अधिकतम फीस का स्लैब निर्धारित किया है। इसमें पहले वर्ष इंजीनियरिंग प्रोग्राम की फीस करीब 79 हजार रुपये से लेकर 1.89 लाख रुपये सालाना निर्धारित की गई है।

तकनीकी कॉलेज सुविधाओं (कंप्यूटर लैब, शिक्षक, लाइब्रेरी) और शहर ( मेट्रो सिटी, ए, बी, सी श्रेणी) के आधार पर फीस निर्धारित कर सकेंगे। खास बात यह है कि दूसरे, तीसरे व चौथे वर्ष कॉलेज पहले वर्ष लागू फीस में हर वर्ष पांच फीसदी तक की ही बढ़ोतरी कर सकेंगे। शैक्षणिक सत्र 2022-23 से इंजीनियरिंग, डिजाइन, एप्लाइड आर्ट एंड क्राफ्ट प्रोग्राम में यह फीस सभी सरकारी और निजी कॉलेजों में लागू होगी।

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने जस्टिस श्रीकृष्णन कमेटी और प्रो. मनोज कुमार तिवारी कमेटी की सिफारिशों और रिव्यू के आधार पर तैयार रिपोर्ट को फरवरी में आयोजित काउंसिल बैठक में पास कर दिया है। इसके बाद रिपोर्ट को मार्च के पहले हफ्ते शिक्षा मंत्रालय की मंजूरी के लिए भेजा है।? शिक्षा मंत्रालय की मंजूरी के साथ ही एआईसीटीई आगामी शैक्षणिक सत्र से इसे लागू करने के लिए अधिसूचना जारी करेगा।

हर साल पांच फीसदी की बढ़ोतरी को मंजूरी
उक्त तकनीकी कॉलेज हर साल पांच फीसदी तक फीस में बढ़ोतरी कर सकेंगे। यह फीस बढ़ोतरी सभी प्रोग्राम में दूसरे वर्ष से अंतिम वर्ष तक के प्रोग्राम में लागू होगी। पहले वर्ष में कॉलेज सुविधाओं और शहर की श्रेणी के आधार पर जितनी फीस निर्धारित करेंगे, उसके आधार पर आगे बढ़ोतरी कर सकेंगे। तकनीकी शिक्षण संस्थान सिर्फ चार वर्गों में ही फीस ले सकते हैं, जिसमें ट्यूशन, डेवलेपमेंट, एग्जामिनेशन और अन्य (ट्यूशन फीस का एक फीसदी या एक हजार रुपये से अधिक न हो) शामिल हैं।इसमें संस्थान को इन चार वर्गों के फीस की जानकारी अपनी अधिकारिक वेबसाइट पर भी अपलोड करना होगा। इस रिपोर्ट में ड्यूल डिग्री व इंटीग्रेटिड प्रोग्राम की अवधि आदि की फीस भी निर्धारित है।

आर्किटेक्चर व फॉर्मेंसी की फीस उनकी काउंसिल करेगी तय
आर्किटेक्चर और फार्मेंसी कॉलेज बेशक एआईसीटीई के अधीन हैं, लेकिन वे उसकी फीस निर्धारित नहीं करेगी। दरअसल, आर्किटेक्चर प्रोग्राम में फीस, पाठ्यक्रम, परीक्षा आदि के सभी फैसले काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर करेगी। ऐसे ही फार्मेसी कॉलेज की भी फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया तय करेगी।

फीस तय करना राज्यों का अधिकार
देशभर के सभी तकनीकी कॉलेजों में कोर्स, पाठ्यक्रम, परीक्षा पैटर्न व सीट आदि के लिए नियम एआईसीटीई ही तय करता है। तकनीकी उच्च शिक्षण संस्थान फीस कितनी रखेंगे इसका फैसला सभी राज्यों के उच्च शिक्षा विभाग व प्रदेश सरकार की कमेटी करती है। एआईसीटीई इस फीस निर्धारित रिपोर्ट राज्यों को साझा करके इसे लागू करने का आग्रह करेगी, लेकिन राज्य के पास अधिकार होगा कि वे इसे मानें या न मानें।

छात्रों व अभिभावकों को मिलेगी राहत
अधिसूचना के बाद छात्रों और अभिभावकों को सबसे अधिक राहत मिलेगी। दरअसल, अभी 50 हजार रुपये से लेकर दस से 15 लाख रुपये सालाना फीस वसूली जाती है। हर राज्य में सरकारी और निजी कॉलेजों की फीस में अंतर है। इसी अंतर के चलते अच्छे और बेहतरीन छात्र इंजीनियरिंग की बजाय अन्य कोर्स में दाखिला लेने को मजबूर होते हैं। नया नियम लागू होने से अभिभावकों को पहले से पता रहेगा कि फीस कितनी, किसा साल देनी है। निजी कॉलेज मनमानी नहीं कर पाएंगे।

पहले वर्ष के लिए फीस का स्लैब

  • प्रोग्राम- कोर्स- न्यूनतम और अधिकतम फीस (फीस लगभग सालाना रुपये में)
  • यूजी-इंजीनियरिंग- 79, 000-1.89 लाख
  • पीजी- इंजीनियरिंग-1.4?1 लाख -3.03 लाख
  • डिप्लोमा-इंजीनियरिंग- 67,000- 1.40 लाख
  • यूजी- डिजाइन- 94,000-2.25 लाख
  • पीजी -डिजाइन- 1.55 लाख- 3.14 लाख
  • यूजी- एप्लाइड आर्ट एंड क्त्रसॅफ्ट- 1.10 लाख- 2.53 लाख
  • पीजी-एप्लाइड आर्ट एंड क्त्रसॅफ्ट- 1.48 लाख- 2.25 लाख
  • डिप्लोमा- एप्लाइड आर्ट एंड क्त्रसॅफ्ट- 81,000- 1.64 लाख