कंपनी लॉ के सेक्शन 164 (2)(ए) के तहत इन्हें अयोग्य घोषित किया गया है
सरकार ने जिन एंटिटीज के नाम दिए हैं, उनमें राज्य सरकार की एमआईडीसी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स लिमिटेड भी शामिल है
नई दिल्ली। सरकार ने जिन डिफॉल्टिंग कंपनियों के डायरेक्टरों को डिसक्वॉलिफाई किया है, उनमें कई जानी-मानी हस्तियों के नाम हैं। इनमें मलयालम फिल्म स्टार मोहनलाल, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, महाराष्ट्र के सेल्स टैक्स कमिश्नर राजीव जलोटा और मशहूर कंसल्टेंट रमा बीजापुरकर शामिल हैं।
यह लिस्ट कंपनी मामलों के मंत्रालय ने जारी की है। कंपनी लॉ के सेक्शन 164 (2)(ए) के तहत इन्हें अयोग्य घोषित किया गया है। सरकार ने जिन एंटिटीज के नाम दिए हैं, उनमें राज्य सरकार की एमआईडीसी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स लिमिटेड भी शामिल है। जलोटा इसमें डायरेक्टर थे।
इस लिस्ट में जम्मू ऐंड कश्मीर स्टेट पावर का नाम भी है, जिसके बोर्ड में अब्दुल्ला शामिल थे। पिछले एक आदेश के मुताबिक, जिन कंपनियों के डायरेक्टर्स को लगातार तीन साल फाइनैंशल रिटर्न जमा नहीं करने की वजह से डिसक्वॉलिफाई किया गया है, वे किसी भी कंपनी में अगले पांच साल तक बोर्ड मेंबर नहीं बन सकते।
प्रमोटरों और डायरेक्टरों के लिए इस आदेश का मतलब यह है कि वे अयोग्य घोषित किए जाने के बाद नई कंपनी नहीं खोल सकते। जहां दूसरी कंपनियों में डिसक्वॉलिफाइड किए गए लोगों की बोर्ड मेंबरशिप के बारे में तस्वीर साफ किए जाने की जरूरत है, वहीं जानकारों का कहना है कि इस कदम से काफी उथल-पुथल मचेगी।
प्राइम डेटाबेस के प्रणव हल्दिया ने कहा, ‘प्रमोटर-डायरेक्टर और इंडिपेंडेंट डायरेक्टर की लाइबिलिटी में फर्क किया जाना चाहिए। सरकार ये नाम इसलिए जारी कर रही है ताकि ऐसे लोग शर्मिंदा हों। यह सार्वजनिक तौर पर दबाव बनाने का अच्छा तरीका है।’
मोहनलाल को उनकी कंपनी प्रणवा टेस्ट बड्स के डिफॉल्ट करने की वजह से डिसक्वॉलिफाई किया गया है, जिसको उन्होंने 2007 में बेच दिया था। बीजापुरकर का नाम 2007-08 में समीक्षा ट्रेडिंग से जुड़े रहने की वजह से इस लिस्ट में डाला गया है। कंपनी पहले ही दिवालिया हो चुकी है।
मुखौटा कंपनियों पर सख्ती करते हुए सरकार ने 2 लाख फर्मों का रजिस्ट्रेशन कैंसल कर दिया था और उन कंपनियों के डायरेक्टरों पर उसके बैंक अकाउंट एक्सेस करने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद कंपनी मामलों के मंत्रालय ने डिफॉल्ट करनेवाली कंपनियों के 1 लाख से अधिक डायरेक्टरों को डिसक्वॉलिफाई कर दिया।
इनमें 55,000 के नाम मंगलवार को सार्वजनिक किए गए। सरकार रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास अवेलबल डेटा के आधार पर डायरेक्टर ही नहीं, उन कंपनियों के असल बेनेफिशियरी का पता लगाने की भी कोशिश कर रही है।