इंदौर। प्रसंस्करणकर्ताओं के एक संगठन ने बृहस्पतिवार को अनुमान जताया कि मौजूदा खरीफ सत्र के दौरान देश में सोयाबीन का रकबा 10 फीसद बढ़कर 118 लाख हेक्टेयर के आस-पास रह सकता है।
सोयाबीन, नकदी फसल होने के चलते किसानों में “पीले सोने” के रूप में मशहूर है।
इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक ने बताया, “मौजूदा हालात को देखते हुए हमारा अनुमान है कि खरीफ के इस मौसम के दौरान देश में सोयाबीन के रकबे में 10 फीसद का इजाफा दर्ज किया जायेगा।”
उन्होंने सोपा के आंकड़ों के हवाले से बताया कि पिछले खरीफ सत्र के दौरान देश में 107.61 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया था, जबकि इसकी पैदावार 93.06 लाख टन रही थी। पिछले साल मॉनसून की भारी बारिश ने इस तिलहन फसल को बड़ा नुकसान पहुंचाया था।
पाठक ने बताया, “हमें लगता है कि मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में मक्का तथा कपास की खेती करने वाले कई किसान उपज के बेहतर भावों की उम्मीद में इस बार सोयाबीन बोएंगे। इससे तिलहन फसल के रकबे में बढ़ोतरी होगी।”
उन्होंने बताया कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की आमद के साथ ही मध्यप्रदेश और अन्य प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में सोयाबीन की बुआई शुरू हो गयी है जिसके जुलाई के पहले हफ्ते तक खत्म होने का अनुमान है।