नई दिल्ली। निवेशकों के चेहरे पर रौनक लाने के लिए और सरकार की विदेशी मुद्रा आय बढ़ाने के लिए सरकार शेयरों से जुड़े कुछ टैक्स में राहत देने पर काम कर रही है। यह बात वित्त मंत्रालय और नीति आयोग से जुड़े सुत्रों ने कही। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग और नीति आयोग के साथ मिलकर लांग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) टैक्स, सिक्युरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) और लाभांश वितरण कर (डीटीटी) की समीक्षा कर रहा है।
बजट से पहले हो सकती है राहत की घोषणा
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक बजट से पहले या बजट में इन टैक्स में राहत दी जा सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2020-21 का आम बजट तीन फरवरी को पेश कर सकती हैं। अधिकारियों का एक समूह बजट पर शुरुआती काम आरंभ कर चुका है। इसे नवंबर के आखिर में अंतिम रूप दिया जा सकता है।
आर्थिक तेजी लाने के लिए उठाए हैं कई कदम
वित्त मंत्री सीतारमण ने आर्थिक तेजी लाने के लिए गत तीन महीने में कई कदमों की घोषणा की है। उन्होंने नई कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर को 30 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर दिया। अब भारत का कॉरपोरेट टैक्स दक्षिण एशिया में सबसे कम हो गया है। उन्होंने घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों को बेचने की मुहिम चला रखी है।
उन्होंने सरकारी विभागों पर बजट में आवंटित राशि को खर्च करने का दबाव बनाया है। सरकारी के ऊपर बकाया बिलों को शीघ्रता से निपटाने का निर्देश दिया है। सरकारी बैंकों को एसएमई को तेजी से लोन देने के लिए कहा है। उन्होंने 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर चार
क्या है एलटीसीजी
शेयरों की बिक्री से होने वाले लाभ पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है। एक साल से अधिक समय तक रखे गए शेयरों में हुए लाभ पर चालू वित्त वर्ष से 10 फीसदी का लांग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) टैक्स लगता है। हालांकि एक लाख रुपए से अधिक के लाभ पर ही एलटीसीजी टैक्स लगता है। यदि शेयर एक साल के अंदर बेचे जाते हैं, तो उससे होने वाले लाभ पर 15 फीसदी का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) टैक्स लगता है।
लाभांश वितरण कर
कंपनी जो लाभांश अपने शेयरधारकों को देती है, उसपर उसे 15 फीसदी लाभांश वितरण कर (डीडीटी) देना होता है। इसके ऊपर 12 फीसदी सरचार्ज और तीन फीसदी एजुकेशन सेस भी देना होता है। यह टैक्स कॉरपोरेट टैक्स के अतिरिक्त होता है। इससे कंपनी को हुए लाभ पर दोहरा कर लगता है।