नई दिल्ली। मंडियों में नए बासमती धान की आवक शुरू होने के साथ ही ईरान और सऊदी अरब से चावल की मांग में घटने से निर्यातकों की परेशानी बढ़ गई है। इससे किसानों को भी घाटा उठाना पड़ सकता है।
एपीडा के अनुसार ईरान में भारत के चावल निर्यातकों का पिछले सत्र का पैसा अब तक फंसा हुआ है। इसके कारण निर्यातक नए सौदे नहीं कर रहे हैं। लेकिन, अब माना जा रहा है कि बकाया भुगतान का मामला जल्द निपट जाएगा। बकाया भुगतान को लेकर भारतीय अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल ईरान जाना चाहता था, लेकिन वहां की सरकार से हरी झंडी नहीं मिलने के कारण मामला अटक गया है।
ऐसे में नए सौदों को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। इस बीच वित्त वर्ष 2019-20 के पहले पांच महीनों (अप्रैल से अगस्त) के दौरान बासमती निर्यात 10.27 प्रतिशत घटकर 16.6 लाख टन रह गया। पिछले वर्ष के निर्यात भुगतान का मामला सुलझ जाने पर भी ईरान को बासमती का निर्यात कम रहने की आशंका जताई जा रही है।
कारण यह है कि ईरान में भारतीय निर्यातकों का 1,500 करोड़ रुपए अटका पड़ा है। इसके अलावा 500-600 करोड़ रुपए का चावल बंदरगाह पर पड़ा हुआ है। हालांकि बासमती की घरेलू मांग लगातार बढ़ रही है। चालू सीजन में मौसम फसल के अनुकूल रहा है, जिससे कीटनाशकों का इस्तेमाल घटा है। चालू सीजन में धान का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है।
ईरान सबसे बड़ा आयातक
ईरान भारतीय बासमती का सबसे बड़ा आयातक है। एपीडा के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 में ईरान ने भारत से 10,790 करोड़ रुपए का 14.83 लाख टन बासमती का आयात किया था। वित्त वर्ष 2018-19 में भारत से बासमती का कुल निर्यात 44.14 लाख टन (32,804 करोड़ रुपए का) का रहा था।
भुगतान अटकने की वजह
निर्यातको के अनुसार ईरान से पहले चावल का भुगतान डॉलर में होता था, लेकिन अमेरिका की तरफ से उस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने के बाद डॉलर में भुगतान बंद हो गया। इसके बाद ईरान से भारत जो कच्चा तेल मंगवाता है, उसकी एवज में भुगतान के बदले चावल निर्यातकों को भुगतान कर दिया जाता था। यह सिस्टम कुछ समय तो ठीक चला, लेकिन बाद में दिक्कत आ गई। ईरान की रकम भारतीय बैंकों में जमा है, ईरान को बस इसे निर्यातकों को देने की इजाजत देनी है। इसमें देरी से निर्यातकों को परेशानी उठानी पड़ रही है।
मंडियों में धान की आवक बढ़ी
उत्पादक मंडियों में धान की दैनिक आवक बढ़ रही है। हरियाणा की मंडियों में पूसा 1,509 धान की दैनिक आवक बढ़कर एक लाख क्विंटल से ज्यादा हो गई है, जबकि परमल की दैनिक आवक 10-12 हजार क्विंटल की ही है। परमल की खरीद सरकारी एजेंसियां कर रही। मंडियों में फिलहाल पूसा 1509 बासमती धान का भाव 2,500 रुयए प्रति क्विंटल और पूसा 1509 बासमती चावल सेला का भाव 4,800 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास है। पूसा 1121 धान की आवक कम हो रही है, लेकिन अक्टूबर के अंत तक आवक बढ़गी। मंडियों में पूसा 1121 बासमती चावल सेला (पुराने) का भाव 6,200-6,300 रुपए प्रति क्विंटल है।