सांवरिया सेठ ने बचाई लाज, ठाठ से भरा नानी बाई का मायरा

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भवानीमण्डी। मानधना परिवार के पूर्वजों की स्मृति में नवनिर्मित भवन परम्परा के लोकार्पण अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय नानी बाई रो मायरो कथा का समापन गुरूवार को हो गया। अंतिम दिन भगवान श्रीकृष्ण खुद नानी बाई के भाई बनकर आए और ठाठ से मायरा भरने की रस्म अदा की। यहां राधेश्याम बगीची स्थित गोकुल धाम में आयोजित कथा में गौवत्स संत राधाकृष्ण महाराज ने कथा वाचन करते हुए श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया और उनके नेत्र सजल हो गए।

कथा से पूर्व मानधना परिवार के गोविन्द माहेश्वरी ने भवानीमण्डी वेलफेयर ट्रस्ट की घोषणा की। माहेश्वरी ने बताया कि इस ट्रस्ट के माध्यम से शिक्षा एवं मेडिकल के क्षेत्र में आर्थिक मदद उपलब्ध कराना, बुर्जुगों की मदद एवं भवानीमण्डी में खेल सुविधाओं को बढ़ावा देने के प्रयास किए जाएंगे। यहां भवानीमण्डी के 9 प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को प्रमाणपत्र एवं नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। विभिन्न समाजों के प्रतिनधियों की ओर से महाराज का अभिनंदन किया गया।

स्वाद के लिए स्वास्थ्य से समझौता नहीं
संत राधाकुष्ण महाराज ने कहा कि युवा स्वाद के चक्कर में अपने स्वास्थ्य से समझौता कर रहे हैं। फास्टफूड में आपको स्वाद मिलेगा लेकिन पौष्टिकता नहीं। इसलिए प्रयास करें कि पारंपरिक खाद्य पदार्थों का सेवन करे। उन्होने मस्तक पर तिलक लगाने के वैज्ञानिक एवं शास्त्रीय महत्व से भी अवगत कराया। क्योंकि मस्तक पर जहां तिलक लगाया जाता है, वहां खुद भगवान विष्णु निवास करते हैं।

नरसी ने खुद को भगवान को समर्पित कर दिया
कथा में राधा कृष्ण महाराज ने कहा कि जब नरसीजी मायरा नहीं भर पाए तो उन्होनें खुद को भगवान को समर्पित कर दिया। तब कृष्ण भगवान खुद नानी बाई के भाई बनकर आए और ठाठ से मायरा भरा। इस दौरान सभी सोचने लगे यह कौन है, कहां से आया है। काफी सोचने के बाद लोगों ने आखिर उस सेठ से पूछ ही लिया के मान्यवर आप कौन हैं और नरसी जी के आप कौन लगते हैं।

बंधुओं के इस प्रश्न के उत्तर में उस सेठ ने जो उत्तर दिया वो बताना ही इस प्रसंग का केंद्र बिंदु था। उस सेठ ने उत्तर में कहा “ये जो नरसी जी हैं ना, मैं इनका गुलाम हूं। ये जब, जैसा चाहते हैं वैसा ही करता हूं। जब बुलाते हैं हाजिर हो जाता हूं। इनका हर कार्य करने को तत्पर रहता हूं।” इस दौरान ‘सांवरियो है सेठ म्हारो, राधा रानी सेठानी है’ सरीखे मारवाड़ी भाषा के भजनों पर श्रद्धालु झूम उठे।