-कृष्ण बलदेव हाडा-
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक ही झटके में प्रदेश के इतिहास में पहली बार एक साथ 19 नए जिलों के गठन की घोषणा करके पूरे प्रदेश का नक्शा ही बदल डाला और लेकिन प्रदेश के नक्शे में किए गए इस बदलाव से एक ओर जहां नए बनाए गए जिलों के लोगों में खुशी का माहौल है तो कुछ इलाके ऐसे भी हैं जहां के लोग उन्हें नये जिले की सौगात नहीं मिल पाने की वजह से असंतुष्ट हैं।
इसके अलावा जो नए जिले बनाए गए हैं, उनकी भौगौलिक स्थिति में किये जाने वाले फेरबदल के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से जिला मुख्यालयों के बीच की दूरी बढ़ने की आशंका से भी बहुत से लोग त्रस्त है। इन लोगों को यह आशंका अभी से सता रही है कि नया जिला बनने के साथ ही जिला मुख्यालय बदलेगा और नए जिले मुख्यालय से उनके अपने क्षेत्र की दूरी बढ़ जाएगी जिसके कारण आने वाले समय में उन्हें प्रशासनिक दिक्कतें आ सकती है।
इसके अलावा अपने जरूरी कामों को निपटाने के लिए जिला मुख्यालय की दूरी तय करने में भी उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी दिक्कतों को महसूस करने वाले तबकों में सरकारी महकमों से जुड़े कर्मचारियों की संख्या अधिक है क्योंकि नए जिले बनेंगे तो प्रशासनिक दृष्टि से इन कर्मचारियों के लिए जिला मुख्यालय भी नए होंगे।
राजस्थान के मुख्यमंत्री ने अगले वित्त वर्ष के लिए घोषित बजट को तीन चरणों में पेश कर एक और जहां कई सारी लोक लुभावनी घोषणाएं की वहीं इस बजट में एक ही दिन में 19 जिले बनाकर इस सरकार का अब तक का सबसे बड़ा ‘मास्टर स्ट्रोक’ खेलकर न केवल प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को हतप्रभ कर दिया, बल्कि बहुत से ऐसे इलाकों के लोग को भी चौंकाया जहां अभी नए जिले बनाने की संभावनाएं प्रक्रिया के दौर से ही गुजर रही थी।
नए जिलों के प्रस्ताव तैयार करने के लिए बनाई गई राम लुभाया समिति का कार्यकाल हाल ही में बढ़ाया गया था और उसके चलते यह आशंका जताई जा रही थी कि अशोक गहलोत के मौजूदा कार्यकाल के दौरान तो कम से कम राजस्थान में नए जिले बनने की कोई संभावना नहीं है, लेकिन राम लुभाया समिति का अंतिम प्रतिवेदन आने से पहले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले सप्ताह अचानक राजस्थान विधानसभा में एक साथ 19 नए जिले बनाने की घोषणा करके पूरे प्रदेश को चौंका दिया। उन इलाकों के लाखों लोगों में एक नया उत्साह उत्पन्न हो गया, जिन्हें नए जिले बना करके उपकृत किया गया था।
हालांकि अभी अलवर जिले के ही नहीं बल्कि राजस्थान के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र माने जाने वाले भिवाड़ी और शेखावाटी क्षेत्र के सुजानगढ़ को वहां के लोगों की नया जिला बनाए जाने की मांग के बावजूद दोनों ही स्थानों को नये जिले के रूप में मान्यता नहीं दिए जाने से वहां के लोगों में असंतोष है। शेखावाटी के चुरू जिले के सुजानगढ़ के लोग तो काफी भड़के हुए भी हैं और आंदोलन की राह पर हैं और बीते एक सप्ताह से बाजार बंद किये बैठे है।
मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत की यह अब तक के इतिहास की सबसे बड़ी,अहम और महत्वपूर्ण घोषणा इसलिए भी कही जा सकती है कि जिस समय देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ, उस समय राजस्थान में 26 जिले थे और बीते कई दशकों बाद इन जिलों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ कर 33 तक पहुंची। अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान में एक साथ 19 नए जिलों की स्थापना की घोषणा करके इनकी संख्या बढ़ाकर 50 से भी अधिक कर दी है। इसके साथ ही अब आने वाले दिनों में राजस्थान के कई जिलों का नक्शा ही बदल जाने वाला है।
अशोक गहलोत ने जयपुर जिले के जयपुर उत्तर, जयपुर दक्षिण, दूदू एवं कोटपूतली-बहरोड़ के रुप में चार नये जिले बनाये जाने की घोषणा की। इसी तरह जोधपुर जिले के जोधपुर पूर्व एवं जोधपुर पश्चिम एवं फलौदी के रुप में तीन जिले बनाने, श्रीगंगानगर जिले में अनूपगढ़ को, बाड़मेर जिले में बालोतरा को, अजमेर जिले में ब्यावर एवं केकड़ी, भरतपुर जिले में डीग, नागौर जिले में डीडवाना-कुचामन, सवाईमाधोपुर जिले में गंगापुरसिटी, अलवर जिले में खैरथल, सीकर जिले में नीम का थाना, उदयपुर जिले में सलूम्बर, जालोर जिले में सांचौर तथा भीलवाड़ा जिले में शाहपुरा को नया जिला बनाने की घोषणा की। साथ ही उन्होंने बांसवाड़ा, पाली एवं सीकर को संभाग बनाने की घोषणा की।
इन 19 नए जिले बनाने की घोषणा के साथ ही राजस्थान देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य बन गया है, जहां सबसे अधिक जिले है। वर्तमान में देश में सबसे अधिक 75 जिले उत्तर प्रदेश में है जबकि दूसरे स्थान पर 53 जिलों के साथ मध्य प्रदेश है। 19 नये जिले बनाने की घोषणा के साथ ही राजस्थान 50 जिलों के साथ देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य हो जाएगा।
देश के अन्य राज्यों के हिसाब से तमिलनाडु में 38, बिहार में 38, महाराष्ट्र में 36, असम में 34, तेलंगाना में 33, गुजरात में 33, कर्नाटक में 31, ओडिसा में 30, छत्तीसगढ में 28, अरुणाचल प्रदेश में 25, झारखंड में 24, पंजाब में 23, पश्चिमी बंगाल में 23, हरियाणा में 22, मणिपुर में 16, केरल में 14, आंध्रप्रदेश में 13, उत्तराखंड में 13, हिमाचल प्रदेश में 12, नागालैंड में 12, मिजोरम में 11, मेघालय में 11, त्रिपुरा में 8, सिक्किम में 4 और गोवा में 2 जिले हैं।