नई दिल्ली। खाद्य तेलों की गिरती कीमतों से परेशान भारतीय तिलहन उद्योग ने खाद्य तेलों के आयात पर सीमा शुल्क बढ़ाने की मांग की है। इसके लिए सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) ने वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है।
पत्र में कहा गया है कि सभी खाद्य तेलों की कीमतें लगातार गिर रही हैं और काफी निचले स्तर तक पहुंच चुकी हैं। पिछले साल एक सितंबर से इस साल 23 मार्च तक क्रूड सोयाबीन तेल के दाम करीब 31 फीसदी, क्रूड पाम तेल के दाम 5.71 फीसदी और क्रूड सूरजमुखी तेल के दाम 32 फीसदी गिर चुके हैं।
SOPA के चेयरमैन दवीश जैन (Davish Jain) ने कहा कि सोयाबीन तेल में गिरावट ने सोयाबीन खली के निर्यात को सीधे प्रभावित किया है क्योंकि विश्व बाजार में इसकी कीमत 20 फीसदी तक गिर गई है। जिससे हम भविष्य के निर्यात के लिए प्रतिस्पर्धी नहीं रहे हैं।
खाद्य तेल की कीमतों में भारी गिरावट से तिलहन की कीमतों में भी गिरावट आई है। सरसों के दाम गिरकर MSP के करीब पहुंच गए हैं और जल्द ही MSP से नीचे जा सकते हैं। दुनिया भर में खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट के बाद भी खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क बहुत कम रखने की इस नीति से किसान निराश हैं।
प्रमुख तिलहन उत्पादक राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के किसान तिलहन की खेती से कतरा रहे हैं। ऐसे में सरकार का खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता कम करने पर ध्यान खतरे में पड़ सकता है।
जैन ने कहा कि ऐसे में हम सरकार से सभी खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क को कम से कम 20 फीसदी तक बढ़ाने पर विचार करने का अनुरोध करते हैं, जो कीमतों में गिरावट और बेलगाम आयात की जांच करेगा।
किसानों, उपभोक्ताओं और उद्योग के हितों को ध्यान में रखते हुए आयात शुल्कों को मूल्य व्यवहार के आधार पर समय-समय पर समायोजित किया जा सकता है।