कृषि लागत में बढ़ोतरी वर्तमान में सबसे बड़ी कृषि चुनौतियां: राज्यपाल मिश्र

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कृषि विश्वविद्यालय कोटा का छठा दीक्षांत समारोह

-आशीष मेहता-
कोटा। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि देश में फसल और पशुधन उत्पादकता, न्यूनतम समर्थन मूल्य और फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के कारण कृषि निर्यात में हमारी भागीदारी तेजी से बढ़ी है। कृषि उत्पादों के सकल निर्यातक के रूप में हमारे देश की नई पहचान बनी है।

वे आज कोटा में कृषि विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश की जो आर्थिक समीक्षा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रस्तुत की है, उसके अंतर्गत वर्ष 2021-22 में हमारा कृषि निर्यात 50.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। यह कृषि क्षेत्र की हमारी बहुत बड़ी उपलब्धि है।

समारोह के दीक्षांत अतिथि कृषि शिक्षा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के पूर्व उप महानिदेशक तथा महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर पूर्व कुलपति डॉ. शांतिलाल मेहता थे। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अभय कुमार व्यास ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

समारोह में राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि देश का कृषि क्षेत्र इस समय बहुत सारी चुनौतियों के साथ आधुनिक विकास की ओर अग्रसर है। जमीन में पानी की कमी, जलवायु परिवर्तन एवं कृषि लागत में बढ़ोतरी वर्तमान में सबसे बड़ी कृषि चुनौतियां हैं। इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए हमें भविष्य के लिए बेहतर कार्य की ओर अग्रसर होना है।

उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का अप्रतिम योगदान है। इसलिए इसे सर्वोच्च प्राथमिकता में रखते हुए कृषि शिक्षा अनुसंधान और प्रसार में प्रभावी व सार्थक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि प्रसार शिक्षा के तहत हमारा प्रयास यह होना चाहिए कि किसानों की आय तो बढ़े ही, उनकी कृषि पैदावार में भी विविधता का समावेश हो। भारत विश्व में जैविक खेती की संख्या में सबसे आगे है।भारतीय प्रयासों से आज पूरे विश्व में मोटे अनाजों पर चर्चा प्रारंभ हुई है।

उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर मोटे अनाजों के महत्व के परिप्रेक्ष्य में ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को मोटा अनाज वर्ष मनाने की घोषणा की है। हमारे यहां आरंभ से ही मोटे अनाज की संस्कृति रही है।

उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग खाने में ज्वार, बाजरा, रागी, सामा आदि मोटे अनाजों का उपयोग करते रहे हैं। लेकिन, धीरे-धीरे लोगों ने मोटे अनाजों को अपनी थाली से दूर कर दिया। जिससे आज बहुत सारी पोषण संबंधित समस्याओं के साथ ही मानव स्वास्थ्य पर विपरीत असर हो रहा है। पोषण की समस्याओं से निजात पाने के लिए भारतीय पहल पर आज पूरी दुनिया उसी मोटे अनाज की तरफ वापस लौट रही है।

इस दौरान राज्यपाल ने ट्राइकोडरमा प्रयोगशाला का लोकार्पण किया तथा विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई दलहनी फसलों की उन्नत किस्मों का भी लोकार्पण किया। वहीं पुस्तकों का भी विमोचन किया गया।

527 अभ्यर्थियों को उपाधियां
दीक्षांत समारोह के दौरान कृषि उद्यानिकी एवं वानिकी संख्याओं में कुल 527 अभ्यर्थियों को उपाधियां प्रदान की गई। जिनमें स्नातक के 434, स्नातकोत्तर की 86 तथा विद्यावाचस्पति के 7 अभ्यर्थी शामिल थे। इस समारोह में अकादमिक वर्ष 2020- 21 एवं 2021-22 की स्नातक, स्नातकोत्तर एवं विद्यावाचस्पति परीक्षाओं में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को उपाधि प्रदान की गई। अकादमिक वर्ष 2020-21 के लिए ऋषिका चौधरी को स्नातक उद्यानिकी व वर्ष 2021-22 के लिए निशा नेहरा को स्नातक ऑनर्स कृषि के लिए कुलपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।

अकादमिक वर्ष 2020- 21 के लिए हेमंत यादव को स्नातकोत्तर कृषि अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन तथा वर्ष 2021- 22 के लिए उदिति धाकड़ को स्नातकोत्तर कृषि शस्य विज्ञान को कुलाधिपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।

23 अभ्यर्थियों को स्वर्ण पदक
दीक्षांत समारोह में कुल 23 अभ्यर्थियों को स्वर्ण पदक भी प्रदान किए गए। जिसमें से आठ स्वर्ण पदक स्नातक अभ्यर्थियों को तथा 15 स्वर्ण पदक स्नातकोत्तर अभ्यर्थियों को प्रदान किए गए। इन स्वर्ण पदकों में दो स्नातक अभ्यर्थियों को कुलपति स्वर्ण पदक तथा 2 स्नातकोत्तर अभ्यर्थियों को कुलाधिपति स्वर्ण पदक दिया गया।

14 छात्राओं को स्वर्ण पदक
दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त करने वाले कुल 527 अभ्यर्थियों में से 304 छात्र तथा 223 छात्राएं शामिल रही। इसी प्रकार कुल 23 स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों में से 9 छात्र तथा 14 छात्राएं शामिल रही।