नई दिल्ली। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) ने देश के सबसे बड़े बीमाकर्ता के विनिवेश की सुविधा के उद्देश्य से आईपीओ-बाउंड एलआईसी में 20 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति देने के सरकार के फैसले को अधिसूचित कर दिया है।
DPIIT ने सोमवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी की, जिसके तहत मौजूदा नीति में एक अनुच्छेद डाला गया है, जिसमें एलआईसी में स्वचालित मार्ग से 20 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति दी गई है। बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीते महीने इसके विनिवेश को मंजूरी दी थी। इस कदम से बीमा कंपनी के विनिवेश में आसानी होगी।
अधिसूचना में कहा गया कि एलआईसी में विदेशी निवेश समय-समय पर संशोधित जीवन बीमा अधिनियम, 1956 और बीमा अधिनियम, 1938 के प्रावधानों द्वारा निर्देशित होगा। चूंकि वर्तमान एफडीआई नीति के अनुसार, सरकारी अनुमोदन मार्ग के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए विदेशी निवेश की सीमा 20 प्रतिशत है, इसलिए एलआईसी के लिए भी 20 प्रतिशत तक के विदेशी निवेश की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है।
एलआईसी एक सांविधिक निगम होने के नाते, बीमा कंपनी या बिचौलियों या बीमा मध्यस्थों के अंतर्गत नहीं आता है और एलआईसी अधिनियम 1956, बीमा अधिनियम 1938 और बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम 1999 या संबंधित कानूनों के तहत बनाए गए नियमों के तहत एलआईसी में विदेशी निवेश के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई थी।
गौरतलब है कि LIC ने 13 फरवरी को IPO के लिए DRHP दाखिल किया था। सेबी ने ड्राफ्ट पेपर्स को मंजूरी भी दे दी थी, जिससे शेयर बिक्री का रास्ता साफ हो गया है। सरकार की योजना चालू वित्त वर्ष में जीवन बीमा निगम में 78,000 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए करीब 31.6 करोड़ या 5 प्रतिशत शेयर बेचने की है, जिससे करीब 63,000 करोड़ रुपये जुटाए जाने हैं। यह जल्द ही बाजार में आ सकता है।