Tuesday, October 8, 2024
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स्टार्टअप के लिए अपने आइडिया डाउनलोड करें

  • स्टार्टअप ओएसिस सेमिनार :

  • आईआईएम व रीको की साझा पहल पर राज्य के 7 जिलों में शुरू हुआ स्टार्टअप अवेयरनेस कैम्पेन
  • सीपी यूनिवर्सिटी व झालावाड़ इंजीनियरिंग कॉलेज में बनाए स्टार्टअप सेंटर

-अरविन्द
कोटा। आज के शिक्षित युवाओं में स्टार्टअप को लेकर थ्रिल है। कई क्षेत्रों में वे इनोवेटिव काम कर रहे हैं। लेकिन स्टार्टअप शुरू करने पर पहले वर्ष में 50 प्रतिशत युवा फैल्योर हो जाते हैं। इसलिए अनिश्चितता में काम करने की आदत बनाओ।

आईआईएम अहमदाबाद व रीको की संयुक्त पहल पर राज्य में शुरू की गई ‘स्टार्टअप ओएसिस’ शृंखला में मुख्य वक्ता कॅरिअर पॉइंट यूनिवर्सिटी के चांसलर प्रमोद माहेश्वरी ने कहा कि सफल औंत्रप्रिन्योर बनने के लिए हमें जिस चीज से प्यार है, वो करें। स्टार्टअप में जोखिम व चुनौती दोनों का सामना करना है। आप खुद के बॉस हैं।

बिजनेस के लिए दिन-रात जीना पड़ता है। हर अवसर को भुनाना सीखें। निवेशक यह देखते हैं कि आप बिजनेस में कितना जीते हैं। युवा औंत्रप्रिन्योर से उन्हांने कहा कि 25 वर्ष पूर्व स्टार्टअप कल्चर नहीं था। उन्होंने 1993 में आईआईटी से बीटेक कर कोटा में तिलक नगर के एक गैराज से ट्यूशन करने की चुनौती उठाई।

कहीं ऊँचे पैकेज पर जॉब करने की बजाय बेराजगार के रूप में शुरूआत की। सोशल प्रेशर पर खरा उतरना बहुत मुश्किल था इसलिए दिन-रात मेहनत में निरंतरता बनाए रखी। आप जो हासिल कर सके, वहीं टारगेट बनाइये।

डिजिटल मार्केटिंग उभरता क्षेत्र
ट्रेड स्टार्ट सेमीनार में लोका ग्लोब के सीईओ अतुल माथुर ने कहा कि गूगल पर रोज 4.6 बिलियन यूजर्स सर्च करते हैं। 2 बिलियन यूजर फेसबुक से जुडे़ हैं। देश में 654 मिलयन इंटरनेट यूजर हैं। ऐसे में डिजिटल मार्केटिंग को समझना बहुत जरूरी है।

सही सर्च इंजन व ई-कॉमर्स से स्टार्टअप को प्रमोट कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में इनोवेशन व स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए ऐसे सेमीनार राज्य के 7 जिलों में होंगे।

बिंदास वॉशिंग के सीईओ आईआईटीयन पंकज मालपानी व ए-2 स्टूडियो डॉट कॉम के सीईओ अंकुर मित्तल ने अपने अनुभव शेयर किए। सेमिनार में सीपीयू के कुलपति डॉ.डीएन राव सहित कोटा के कई आैंत्रप्रिन्योर शामिल हुए।

सफल स्टार्टअप के 10 मूलमंत्र

  1. अपने सेक्टर के एक्सपर्ट बनो। प्रॉब्लम के सामान्य सॉल्यूशन बनाओ।
  2. हमें ताजमहनल नहीं बनाना, वो केवल देखने के लिए है, रहने के लिए नहीं।
  3. प्रॉडक्ट को रिलीज करो, उसके लेवल बनाते चलो। मार्केट से फीडबेक लो।
  4. बिजनेस में स्ट्रेट टर्न के बाद एल टर्न से उसमें सुधार करो। लोचशीलता से फौरन बदलो।
  5. आप जॉब क्रिएटर हैं, सबसे नीचे वाला प्रॉब्लम दूर कर सके, ऐसी टीम चुनो।
  6. आइडिया यूनिक होना जरूरी नहीं, जो सबके दिमाग में है, वह बेहतर होता है।
  7. करना है तो करना है, मन में यह आग पैदा करो। अंधेरे में तीर लगाना मुश्किल है,उसे स्वीकार करें।
  8. अनुभव की कमी व कमजोर संसाधन का प्रबंधन ठीक करो। स्थाई संपत्ति पर ज्यादा खर्च नहीं हो।
  9. केवल एक्सेल शीट पर ग्रोथ नहीं देखें, जमीनी हकीकत पर बिजनेस करें।
  10. अपना आइडिया डाउनलोड करें, अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा रहेगी, उसमें अपना लेवल खुद तय करें।

सेनेटरी पैड्स टैक्स फ्री होना चाहिए – सोनाक्षी

मुंबई। एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा ने सेनेटरी पैड्स को लेकर कहा है कि सरकार को इन पर कोई टैक्स नहीं लगाना चाहिए क्योंकि यह महिलाओं की मूलभूत आवश्यकताओं में शामिल है। 

जीएसटी के तहत सेनेटरी पैड्स पर 12 प्रतिशत टैक्स लग रहा है। एक कार्यक्रम में पहुंची एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा से जब इस बारे में राय मांगी गई तो उन्होंने आह्वान करते हुए कहा कि सरकार को सेनेटरी पैड्स पर किसी प्रकार का टैक्स नहीं लगाना चाहिए।

 सोनाक्षी सिन्हा कहती हैं, ‘सेनेटरी पैड्स पर 12 प्रतिशत की जीएसटी दर सही नहीं है। यह प्रत्येक महिला की आवश्यकता है और इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। मुझे लगता है इसे टैक्स फ्री कर देना चाहिए।’ सोनाक्षी सिन्हा जल्द फिल्म ‘इत्तेफाक’ में नज़र आएंगी।

इस फिल्म में सोनाक्षी सिन्हा के अलावा सिद्धार्थ मल्होत्रा की भी मुख्य भूमिका है। यह फिल्म 1969 में इसी नाम से बनी फिल्म पर आधारित होगी। इस फिल्म का निर्माण शाहरुख़ खान की कंपनी और करण जौहर की कंपनी मिलकर करेगी। फिल्म में अक्षय खन्ना और राजकुमार राव की भी अहम भूमिकाएं होंगी।

फिल्म की शूटिंग पूरी कर ली गई है और जल्द फिल्म का पोस्टर आएगा। आपको बता दें कि 1969 की ‘इत्तेफाक’ में राजेश खन्ना और नंदा की मुख्य भूमिकाएं थी। इस फिल्म का निर्देशन अभय चोपड़ा ने किया है जो कि 3 नवंबर को रिलीज़ हो रही है।

महंगी होंगी SUV कारें, सेस बढ़ाने की तैयारी

नई दिल्ली। अगर आप एसयूवी या लग्जरी सेडान खरीदने के बारे में सोच रहे हैं तो जल्द फैसला कर लेना ठीक होगा क्योंकि माना जा रहा है कि गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स काउंसिल ने लग्जरी गाड़ियों पर सेस को अभी के 15 पर्सेंट से बढ़ाकर 25 पर्सेंट करने का फैसला किया है।

हालांकि, अगर काउंसिल सेस बढ़ाने का फैसला करती है तो यह तुरंत लागू नहीं होगा। इसके लिए जीएसटी कॉम्पेंसेशन लॉ में संशोधन की जरूरत पड़ेगी। जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में शनिवार को हुई चर्चा की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया, ‘काउंसिल ने जीएसटी लॉ में संशोधन को मंजूरी दी है, जिससे कॉम्पेंसेशन सेस में बढ़ोतरी होगी।’ 

कारों को जीएसटी के तहत सबसे ऊंचे 28 पर्सेंट वाले स्लैब में रखा गया है। यह भी ध्यान देने लायक बात है कि जीएसटी काउंसिल पहले ही सेस सहित इस पर अधिकतम टैक्स 40 पर्सेंट तय कर चुकी है। 4 मीटर की लंबाई वाली छोटी पेट्रोल और 1,200 सीसी इंजन कैपेसिटी वाली गाड़ियों पर 1 पर्सेंट सेस लगाया गया है।

जबकि इसी लंबाई और 1,500 सीसी कैपेसिटी की डीजल गाड़ियों पर 3 पर्सेंट का सेस तय किया गया है। मिड साइज की बड़ी कारों या एसयूवी पर सेस 15 पर्सेंट है, जिससे जीएसटी लागू होने के बाद कुछ मॉडल्स के दाम में कमी आई थी।1 जुलाई को जीएसटी लागू होने के बाद कई कार कंपनियों ने गाड़ियों की कीमत में कटौती की थी।

हालांकि, कुछ कार कंपनियों को छोटी गाड़ियों के दाम में सेस की वजह से बढ़ोतरी करनी पड़ी थी। सरकार का मानना है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट के बिना झंझट भुगतान की वजह से इंडस्ट्री को फायदा होगा, जिससे कुलमिलाकर गाड़ियों की कीमत कम होगी। केंद्र सरकार ने अलग से जीएसटी (कॉम्पेंसेशन टु स्टेट्स फॉर लॉस ऑफ रेवेन्यू) बिल, 2016 भी पेश किया था।

यह बिल इसलिए लाया गया था ताकि लग्जरी और कथित सिन (शराब, तंबाकू आदि) प्रॉडक्ट्स पर टैक्स बढ़ाकर राज्यों को नए टैक्स सिस्टम से होने वाले किसी नुकसान की भरपाई की जा सके। राज्यों को कॉम्पेंसेशन देने का प्रविज़न संविधान संशोधन के जरिये किया गया। इसके मुताबिक, जीएसटी से होने वाले लॉस की भरपाई केंद्र सरकार राज्यों को पांच साल तक करेगी।

बारिश नहीं हुई तो घटेगा धान का उत्पादन

कोटा। रूठे मानसून से धान उत्पादक किसान बेबस हैं। किसानों का कहना है कि आगे भी बारिश नहीं हुई तो धान का उत्पादन आधा रह जाएगा। चूंकि बारिश के अभाव में धान की पौध की ग्रोथ नहीं हो पा रही है।

सफेद मच्छर के प्रकोप से फसल को नुकसान हो रहा है। तापमान में तेजी भी फसल को प्रभावित कर रही है। इन हालात को देखकर किसानों का कहना है कि ऐसी स्थिति में 30 फीसदी धान का प्रोडक्शन कम होने की संभावना है। 10 दिन और बारिश नहीं आई तो यह आंकड़ा 50 फीसदी पर पहुंच जाएगा।

भूजल से नहीं नेचुरल पानी बढ़ेगी ग्रोथ
अर्जुनपुरा गांव के किसान जयप्रकाश गहलोत ने बताया कि धान की अच्छी पैदावार के लिए नेचुरल पानी चाहिए, लेकिन अभी तक कम हुई बारिश से किसानों को ट्यूबवेलों से पानी देना पड़ रहा है, जो कारगर साबित नहीं हो रहा है। किसानों को डीएपी यूरिया खाद का ज्यादा इस्तेमाल करना पड़ रहा है। सप्ताह भर में अगर बारिश नहीं हुई तो 25 फीसदी फसल सूखकर खेतों में चौपट हो जाएगी।

दो दिन पानी नहीं देने में ही खेत में रही है दरारें
चंद्रेसल कालातालाब क्षेत्र के किसान मुकुट नागर मोहम्मद हुसैन ने बताया कि बारिश नहीं होने से धान की पौध चौपट हो रही है। दो दिन पानी नहीं देने पर खेत में दरारें नजर रही है। इससे किसान की आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाएगी। चूंकि फसल को लगातार ट्यूबवेल से पानी देने पर बिजली खर्च बढ़ रहा है।

कीटनाशक का ज्यादा प्रयोग करना पड़ रहा है। इस कारण प्रति बीघा धान के उत्पादन में 7 से 8 हजार रुपए होने वाला खर्च इस बार 10 हजार के पार पहुंचेगा। ऐसे में किसान को मंडी में धान के भाव 4000 रुपए प्रति क्विंटल से ज्यादा चाहिए।

75 हजार से ज्यादा हैक्टेयर में हो चुकी रोपाई : कृषि विस्तार विभाग के संयुक्त निदेशक पीके गुप्ता ने 2 अगस्त तक की रिपोर्ट का जिक्र करते बताया कि संभाग में 75800 हैक्टेयर में धान की रोपाई हो चुकी। अभी भी चल रही है, लेकिन बारिश कम होने से फसल प्रभावित होने की संभावना है। प्राकृतिक पानी जरूर चाहिए। अन्यथा कीट प्रकोप बढ़ेगा। प्रोडक्शन पर भी असर पड़ेगा।

 

पेंशन के लिये अब कर्मचारियों को नहीं लगाना होंगे बैंक के चक्‍कर

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को पेंशन लेने के मामले में बड़ी राहत दे दी है। अब से केंद्रीय कर्मचारियों को बैंकों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। चूंकि अब पेंशन शुरू होते ही पेंशन पेमेंट आर्डर (पीपीओ) की प्रति कर्मचारियों को ही सौंप दी जाएगी।

इस फैसले से 48 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को कालांतर में और 53 लाख पेंशनरों को सीधे तौर पर लाभ होगा।कार्मिक मंत्रालय ने रविवार को बताया कि मौजूदा नियमों को देखते हुए केंद्र सरकार के सभी विभागों को हाल ही में यह आदेश जारी किया गया है।

लिहाजा, पेंशनभोगी को अब पेंशन की पहली किस्त एक्टिवेट कराने के लिये बैंक जाने की जरूरत ही नहीं होगी। इस नियम के तहत रिटायर हो रहे सरकारी कर्मचारी या पेंशनर को अपनी पेंशन जारी होने से पहले वितरणकर्ता बैंक को एक अंडरटेकिंग देनी होगी।

नये आदेश के मुताबिक बैंक की पीपीओ की प्रति सेंट्रल पेंशन अकाउंटिंग ऑफिस सेभेजे जाने के बाद पेंशनर की पीपीओ की कॉपी सेवानिवृत्ति के समय उसे अन्य रिटायरमेंट शुल्कों समेत ही सौंप दी जाएगी।

अगर किसी कर्मचारी को मुख्यालय से दूर तैनात किया गया है या अन्य किसी कारण से उसे लगता है कि वह अपनी पीपीओ की कॉपी बैंक से ही लेना चाहेगा, तो वह अपने इस विकल्प की लिखित जानकारी अपने पेंशन के कागज को सौंपते समय मुख्यालय को दे सकता है।

पहली अगस्त को जारी हुए इस आदेश में कहा गया है कि हाल के दिनों में देखा गया है कि पेंशनर की पीपीओ की प्रति उसे नहीं सौंपी गई और बैंक को भेज दी गई है। लेकिन इस भेजने की प्रक्रिया में वह गुम हो गई।

पेंशनरों को इन परेशानियों से बचाने के लिये ही यह फैसला लिया गया है। लोगों की इन परेशानियों को देखते हुए ही सरकार के सभी विभागों से फिर अपील की गई है कि वह इन नियमों का कड़ाई से पालन करें।

स्विट्जरलैंड देगा अब कालाधन रखने वाले खातों की जानकारी

नई दिल्ली/बर्न। स्विट्जरलैंड के बैंकों में कालाधन रखने वालों की चिंता बढ़ने वाली है, क्योंकि उनके अकाउंट की पूरी जानकारी भारत सरकार तक पहुंचने का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है। स्विट्जरलैंड सरकार ने ऑटोमैटिक सूचना आदान-प्रदान समझौते के लिए भारत के डेटा सुरक्षा और गोपनीयता के कानून को पर्याप्त बताया है।

इस समझौते से स्विस बैंक में कालाधन रखने वालों की जानकारी सरकार तक लगातार पहुंच का रास्ता खुल जाएगा।’भारत के साथ वित्तीय खातों की जानकारी स्वत: आदान-प्रदान’ को लेकर आधिकारिक गजेट में प्रकाशित विस्तृत नोटिफिकेशन और फैक्ट शीट में स्विस गवर्नमेंट ने इसी तरह के समझौते के लिए अन्य वित्तीय केंद्रों के फैसले का भी हवाला दिया है।

डेटा को पर्याप्त सुरक्षा देने वाले देशों में भारत को मान्यता देने के लिए स्विट्जरलैंड ने अमेरिकी टैक्स अथॉरिटी, इंटरनल रेवेन्यू सर्विस (आईआरएस) का भी संज्ञान लिया। जर्मन में छपे फैक्ट शीट और नोटिफिकेशन में इस बात का भी जिक्र है कि स्विट्जरलैंड बीमा और दूसरे वित्तीय सेवाओं सहित भारतीय बाजार में अधिक पहुंच बनाने की संभावना तलाश रहा है।

गौरतलब है कि स्विट्जरलैंड ने भारत और 40 अन्य देशों के साथ अपने यहां संबंधित देश के लोगों के वित्तीय खातों, संदिग्ध काले धन से संबंधित सूचनाओं के आदान-प्रदान की व्यवस्था को इस साल जून में मंजूरी दे दी थी। उसने कालेधन की सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान के लिए गोपनीयता की शर्त रखी है।

इस फैसले को आगे बढ़ाते हुए स्विस सरकार ने इसे नोटिफाइ कर दिया है। इससे स्विस फेडरल काउंसिल को वह तारीख निर्धारित करने का अधिकार मिल गया है, जब भारत के साथ यह सूचना का आदान-प्रदान शुरू हो। अभी तक इसे 2018 तक लागू किए जाने की प्लानिंग है और जानकारी 2019 तक मिलने लग जाएगी।

इलेक्ट्रॉनिक कॉम्लेक्स जोन कोटा की हकीकत, देखिए वीडियो

कोटा। शहर का एक महत्वपूर्ण इंडस्ट्रियल एरिया इंद्रप्रस्थ है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक कॉम्लेक्स जोन भी है। यह जोन इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए रीको ने वर्षों पहले शुरू किया था।

यहाँ वर्तमान में उद्योग की जगह चारों ओर बहुमंजिला हॉस्टल और नजदीक ही रोड नंबर एक पर नामी कोचिंग संस्थान नजर आते हैं। क्या उद्यमियों का सपना पूरा हुआ। आखिर क्या है, इसकी हकीकत, बता रहे हैं खुद इलेक्ट्रॉनिक कॉम्लेक्स सोसायटी के अध्यक्ष राजेंद्र गंभीर। जानने के लिए देखिए हमारे चैनल LEN-DEN NEWS का यह वीडियो —-

राजीव कुमार होंगे नीति आयोग के नए उपाध्‍यक्ष

नई दिल्ली। नीति आयोग के नये उपाध्यक्ष के तौर पर अर्थशास्त्री डॉ. राजीव कुमार का नाम आज रात तय किया गया। निवर्तमान उपाध्यक्ष अरविंद पनगढिया के वापस अकादमिक क्षेत्र में लौटने की घोषणा के पांच दिन बाद बाद यह फैसला हुआ है। वहीं दूसरी ओर सरकार ने एम्स में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ विनोद पॉल को नीति आयोग का सदस्य नियुक्त किया है।

ऑक्सफोर्ड से अर्थशास्त्र में डीफिल और लखनऊ विश्विवद्यालय से पीएचडी कर चुके कुमार सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) में वरिष्ठ फेलो हैं। पहले, वह फिक्की के महासचिव थे और इंडियन कौंसिल फोर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स रिलेशन (आईसीआरआईईआर) के चीफ एक्जीक्यूटिव भी रह चुके हैं।

वह 2006 और 2008 के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य रह चुके हैं ।वह CII के मुख्य अर्थशास्त्री भी रहे हैं और एशियाई विकास बैंक, भारतीय उद्योग मंत्रालय और वित्त मंत्रालय में भी महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं।

कुमार कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय संस्थानों के बोर्ड के सदस्य भी हैं जिसमें रियाद में किंग अब्दुल्ला पेट्रोलियम स्टडीज एंड रिसर्च सेंटर, जकार्ता में इकोनॉमिक रिसर्च इंस्टिट्यूट फोर आसियान एंड एशिया, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और भारतीय विदेश व्यापार संस्थान का नाम शामिल है।

पनगढिया ने एक अगस्त को घोषणा की थी कि वह 31 अगस्त को नीति आयोग से हट जाएंगे और वापस कोलंबिया विश्वविद्यालय जाएंगे जिसके बाद नीति आयोग के उपाध्यक्ष के पद के लिए नियुक्ति जरूरी हो गयी थ।

एचपीसीएल का मुनाफा 56 फीसद तक घटा

नई दिल्ली । हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) के मुनाफे में भारी गिरावट आई है। जून में समाप्त पहली तिमाही के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की इस कंपनी का लाभ 56 फीसद घटकर 925 करोड़ रुपये रह गया।

बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि में उसे 2098 करोड़ रुपये का प्रॉफिट हुआ था। रिफाइनिंग मार्जिन घटने और इंवेंट्री लॉस के कारण प्रदर्शन प्रभावित हुआ। समीक्षाधीन अवधि में कंपनी को प्रत्येक बैरल कच्चे तेल (क्रूड) को ईंधन में बदलने पर 5.86 डॉलर की कमाई हुई।

बीते साल उसका ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) 6.83 डॉलर प्रति बैरल रहा था। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कंपनी को 1595 करोड़ रुपये की इंवेंट्री हानि हुई। इंवेंट्री लॉस तब होता है जब तेल के दाम खरीदने के बाद और मार्केटिंग से पहले फिसल जाते हैं। पहली तिमाही में कंपनी का रेवेन्यू 51,600 करोड़ से बढ़कर 59,891 करोड़ रुपये हो गया।

आंध्रा बैंक को 40 करोड़ का लाभ
सार्वजनिक क्षेत्र के आंध्रा बैंक के मुनाफे में बढ़ोतरी हुई है। जून में समाप्त पहली तिमाही के दौरान बैंक का लाभ 30 फीसद बढ़कर 40 करोड़ रुपये हो गया। बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि में उसे 31 करोड़ रुपये का प्रॉफिट हुआ था। समीक्षाधीन अवधि में बैंक की आय 6.18 फीसद बढ़कर 5155 करोड़ रुपये हो गई। बीते साल इसी अवधि में यह 4855 करोड़ रुपये रही थी।

फॉर्टिस हेल्थकेयर का प्रॉफिट घटा
फोर्टिस हेल्थकेयर के मुनाफे में कमी आई है। जून में समाप्त तिमाही के दौरान कंपनी को 22.61 करोड़ रुपये का प्रॉफिट हुआ। बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि में उसे 25.26 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था। इस दौरान कंपनी की आय 1154.15 करोड़ से बढ़कर 1214.22 करोड़ रुपये हो गई।

एमआरएफ के मुनाफे में भारी गिरावट
टायर बनाने वाली प्रमुख कंपनी एमआरएफ के प्रॉफिट में कमी आई है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कंपनी का शुद्ध मुनाफा 78.30 फीसद घटकर 106.53 करोड़ रुपये रह गया। बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि में कंपनी को 490.93 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था।

महिंद्रा एंड महिंद्रा का लाभ घटा
महिंद्रा एंड महिंद्रा के मुनाफे में गिरावट आई है। चालू वित्त वर्ष के दौरान जून में समाप्त पहली तिमाही में कंपनी का टैक्स के बाद लाभ (पीएटी) 19.79 फीसद घटकर 765.96 करोड़ रुपये रह गया। बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह आंकड़ा 954.95 करोड़ रुपये रहा था। 

 

 

50,000 से अधिक के माल ढुलाई पर ई वे बिल

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नयी दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में शनिवार को यहां हुयी परिषद की 20 वीं बैठक में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने माल ढुलाई के लिए इलेक्ट्रानिक वे बिल ( ई वे बिल) को  सैद्धांतिक मंजूरी दे दी । जिसके मद्देनजर अब 50 हजार रुपये से अधिक के माल परिवहन पर ई वे बिल लगेगा और पूरे देश में चुंगी समाप्त हो जायेगी।

 इस तरह जो परमिट जारी किया जायेगा उसके तहत एक दिन में 100 किलोमीटर तक माल का परिवहन किया जा सकेगा।

बैठक के बाद श्री जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि अब किसी भी शहर में 10 किलोमीटर से अधिक दूरी तक 50 हजार रुपये से अधिक के माल ले जाने पर ई वे बिल लगेगा। 

ई-वे बिल संभवत: एक अक्तूबर से अमल में आ जायेगा। इस तरह जो परमिट जारी किया जायेगा उसके तहत एक दिन में 100 किलोमीटर तक माल का परिवहन किया जा सकेगा। इसके बाद प्रत्येक दिन में इतनी ही दूरी में माल परिवहन हो सकेगा।

 बैठक में कपड़ों की सिलाई से लेकर उनमें कशीदाकारी करने जैसे जॉब वर्क पर जीएसटी दर को 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने का फैसला किया गया है।

ट्रैक्टर के कुछ कलपुजों पर भी जीएसटी दर में कटौती की गई है। इसके साथ ही माल का परिवहन करने से पूर्व उसके पंजीकरण संबंधी ई-वे बिल के प्रावधानों को भी कुछ राहत देते हुये आज अंतिम रूप दे दिया गया।

ट्रैक्टर के कुछ कलपुर्जों पर जीएसटी 18 प्रतिशत
खेती में काम आने वाले विभिन्न उपकरणों को सस्ता करने के लिये परिषद ने ट्रैक्टर के कुछ कलपुर्जों पर भी जीएसटी दर को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने पर सहमति जताई है। इसके साथ ही सरकारी कार्य अनुबंधों में भी इनपुट टैक्स क््रुेडिट की सुविधा के साथ 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया जायेगा।

परिषद ने 15 दिन के भीतर मुनाफाखोरी-रोधी उपायों और जांच समिति बनाने को भी सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी। यह समिति इस पर गौर करेगी कि जीएसटी दर में कमी किये जाने के बावजूद इसका लाभ उपभोक्ता तक पहुंचाया गया अथवा नहीं।

जेटली ने बताया कि जीएसटी से छूट प्राप्त सामान को ई-वे बिल के दायरे से बाहर रखा गया है। यह जीएसटी परिषद द्वारा इस संबंध में तैयार किये गये मसौदा नियमों में कुछ राहत दी गई है।