Monday, July 1, 2024
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बिटकॉइन को कानूनी दर्जा देकर टैक्स लगा सकती है सरकार

नई दिल्ली। बिटकॉइन को सरकार कानूनी दर्जा दे सकती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार इसे कानून के दायरे में लाकर टैक्स लगाना चाहती है।रिजर्व बैंक इस वर्चुअल करेंसी में निवेश और लेनदेन पर विस्तृत दिशानिर्देश तैयार कर सकता है। इसे रिजर्व बैंक एक्ट, 1934 के दायरे में लाया जा सकता है।

वर्चुअल करेंसी में निवेश से होने वाली आय पर इनकम टैक्स लगाया जा सकता है।बिटकॉइन के जरिए विदेशों में रकम ट्रांसफर पर “फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट” यानी फेमा के नियम लागू किए जा सकते हैं। इसके अलावा वर्चुअल करेंसी के ट्रांसफर पर कैपिटल गेंस टैक्स लगाने पर भी विचार चल रहा है।

सूत्रों के मुताबिक बिटकॉइन में निवेश करने पर अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) की शर्तें तैयार की जाएंगी। वर्चुअल करेंसी के मसले पर बनाई गई समिति की बैठक में इन प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा। \

टाटा कंसल्‍टेंसी सर्विसेस का मुनाफा 2.5 फीसदी घटा

मुंबई। वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में टीसीएस का मुनाफा 2.51 फीसदी घटकर 6,608 करोड़ रुपए रह गया। तीसरी तिमाही में कंपनी ने 6,778 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया था। वैसे वित्त वर्ष 2015-16 की चौथी तिमाही के मुकाबले कंपनी का मुनाफा 4.23 फीसदी बढ़ा है।जनवरी-मार्च तिमाही में टीसीएस की रुपए में होने वाली आय 0.3 फीसदी घटकर 29,642 करोड़ रुपए रह गई। लेकिन, इस दौरान कंपनी की डॉलर आय 1.5 फीसदी बढ़कर 445.2 करोड़ डॉलर हो गई।  तिमाही दर तिमाही आधार पर चौथी तिमाही में टीसीएस का एबिट मार्जिन 26 से घटकर 25.76 फीसदी रह गया।

16 हजार करोड़ के बायबैक को शेयरधारकों की मंजूरी

\फरवरी में टीसीएस के बोर्ड ने 16 हजार करोड़ रुपए के बायबैक को मंजूरी दी थी। इसके तहत कंपनी 2.85 फीसदी यानी 5.61 करोड़ शेयर खरीदेगी। देश में इतना बड़ा शेयर बायबैक कभी नहीं हुआ है। इससे पहले 2012 में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 10,400 करोड़ रुपए के अपने ही शेयर बाजार से खरीदे थे।क्यों होता है बायबैकशेयर बायबैक अमूमन प्रति शेयर कमाई में सुधार लाता है। इससे शेयरधारकों के वास्तविक रिटर्न में बढ़ोतरी होती है। बाजार में यदि सुस्ती जैसे हालात हों तो इससे शेयर की कीमत को सपोर्ट मिलता है। जब कंपनी मुनाफे का बड़ा हिस्सा नकद में रखती है तो शेयरधारकों की पूंजी पर वास्तविक रिटर्न घटता है।माना जाता है कि कंपनी के पास कैश के रूप में पड़ा पैसा भी शेयरधारकों का ही है। जब यह लौटाया जाता है तो रिटर्न बेहतर हो जाता है।

क्या है टीसीएस की स्थिति

आईटी कंपनियों पर लाभांश और बायबैक के जरिए अतिरिक्त नकदी शेयरधारकों को लौटाने का दबाव है।टीसीएस देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी है।इसके पास 43,169 करोड़ रुपए की अतिरिक्त नकदी है। यह बाजार में कंपनी की वैल्यूका करीब 10 फीसदी है।कई कंपनियां कर रहीं बायबैक पिछले हफ्ते इंफोसिस ने वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान लाभांश और बायबैक के जरिए 13 हजार करोड़ रुपए के बायबैक का एलान किया था।इस साल की शुरुआत में कंग्निजेंट ने भी 3.4 अरब डॉलर के शेयर बायबैक की घोषणा की थी। उधर एचसीएल टेक्नोलॉजीज ने भी 3,500 करोड़ रुपए के 3.5 करोड़ शेयरों के बायबैक की मंजूरी दे चुकी है।

साइरस मिस्त्री को एक और झटका

नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए गए साइरस मिस्त्री को झटका दिया है। मिस्त्री परिवार की दो कंपनियों की ओर से दायर याचिका को ट्रिब्यूनल नेखारिज कर दिया है। इसमें उन्होंने पात्रता शर्त में छूट की मांग की थी।ट्रिब्यूनल ने ऐसा करने से मना कर दिया। दोनों फर्मों ने टाटा संस से मिस्त्री की बर्खास्तगी के फैसले को चुनौती दी थी। साथ ही कुप्रबंधन और छोटे शेयरधारकों के उत्पीड़न का आरोप भी लगाया था।

डिजिटल वॉलेट से खरीद सकेंगे म्यूचुअल फंड

नई दिल्ली। निवेशकों के लिए 50,000 रुपये तक के म्यूचुअल फंड डिजिटल वॉलेट के जरिये खरीदने का रास्ता साफ हो सकता है। पूंजी बाजार बाजार नियामक सेबी इसके लिए अनुमति देने पर विचार कर रहा है। नियामक का मानना है कि इससे खासतौर पर युवाओं को इन उत्पादों को खरीदने में आसानी होगी।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के इस कदम से लेनदेन फटाफट और आसानी से हो सकेगा। इसके लिए पेमेंट गेटवे विफलता संबंधी गड़बड़ी को भी कम किया जाएगा, क्योंकि इसकी वजह से समय पर भुगतान नहीं हो पाता है। सेबी की ओर से लिक्विड म्यूचुअल फंड में त्वरित निकासी सुविधा के लिए नियमों को पेश किए जाने की भी संभावना है। इसके साथ ही संपत्ति प्रबंधन कंपनियों भी निवेशकों को डिजिटल लेनदेन के लिए भुगतान बैंकों के साथ गठबंधन कर सकतीं हैं।

सूत्रों के अनुसार सेबी का निदेशक बोर्ड इस संबंध में प्रस्तावों पर अगले हफ्ते विचार-विमर्श करेगा। ऐसी नई सुविधाओं से म्यूचुअल फंड में निवेश बढ़ेगा। परिवारों की बचत पूंजी बाजार में आएगी। इससे निवेशकों को परंपरागत बचत साधनों से हटकर कई नए क्षेत्रों में निवेश की सुविधा भी मिलेगी। प्रस्ताव के तहत किसी एक वित्त वर्ष में कोई निवेशक ई-वॉलेट के जरिये प्रति म्यूचुअल फंड 50,000 रुपये तक का निवेश ही कर सकेगा।

सेबी इस मामले में एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (एएमसी) से प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट के साथ ई-वॉलेट से फंड स्कीमों की खरीद को भुगतान सुविधा देने के लिए समझौता करने को कह सकता है। एएमसी को यह सुनिश्चित करना होगा कि ई-वॉलेट जारी करने वाली फर्में म्यूचुअल फंडों में निवेश के लिए कैशबैक जैसे प्रोत्साहन सीधे या परोक्ष रूप से नहीं दें।

इसके अलावा कैश, डेबिट कार्ड या नेट बैंकिंग के जरिये ई-वॉलेट में लोड की गई धनराशि का उपयोग केवल म्यूचुअल फंड के सब्सक्रिप्शन के लिए ही किया जा सकेगा। फिलहाल देश में 41 एएमसी हैं। इनके प्रबंधन के अधीन कुल 18.3 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है। इनके पास पांच करोड़ म्यूचुअल फंड निवेशकों के खाते हैं।

कॉरपोरेट बांड के लिए फ्रेमवर्क
नियामक ने कॉरपोरेट बांड बाजार को व्यापक बनाने के लिए ऋण प्रतिभूतियों के कंसॉलिडेशन संबंधी फ्रेमवर्क तैयार करने की योजना बनाई है। हाल के वर्षों में कॉरपोरेट बांड जारी करने में आई तेजी को देखते हुए सेबी ने ऋण प्रतिभूति (डेट सिक्योरिटी) खंड में लिक्विडिटी बढ़ाने की ठानी है। इससे जुड़े प्रस्ताव पर बोर्ड की बैठक में चर्चा की जाएगी। इसके अलावा नियामक ने निवेशकों की खातिर ट्रेडिंग को आसान बनाने के लिए इंटरेस्ट रेट फ्यूचर्स के नियमों को और अधिक स्पष्ट बना दिया है।

सेबी की वेबसाइट नए कलेवर में
डिजिटल मौजूदगी बढ़ाने के लिए सेबी ने अपनी वेबसाइट में बदलाव कर इसे नए कलेवर में पेश किया है। इसमें कई यूजर-फ्रेंडली खूबियां जोड़ी गई हैं। नई वेबसाइट सभी डेस्कटॉप और मोबाइल डिवाइसों के लिए अनुकूल बन गई है। अब यूजर इसके वेबपेजों को अपने सोशल मीडिया नेटवर्क पर शेयर कर सकेंगे। सर्च फंक्शन को भी बेहतर बनाया गया है।

विजय माल्या लंदन में गिरफ्तार, कोर्ट से मिली जमानत

लन्दन। भारत के ‘भगोड़े’ कारोबारी विजय माल्या को मंगलवार को लंदन में गिरफ्तार कर लिया गया। स्कॉटलैंड यार्ड की इस कार्रवाई के बाद माल्या को वेस्टमिंस्टर की अदालत में पेश किया जहां उन्हें जमानत दे दी गई। अदालत में अब उनके प्रत्यर्पण को लेकर सुनवाई होगी। बता दें कि भारतीय बैंकों की 9 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की देनदारी का सामना कर रहे माल्या देश छोड़कर काफी वक्त से लंदन में रह रहे थे। माल्या पर कई दूसरे गंभीर वित्तीय आरोप भी लगे हुए हैं।

किंगफिशर एयरलाइंस पर करीब 9000 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। यह कर्ज एसबीआई की अगुवाई वाले 17 बैंकों के समूह ने दिया था। पिछले साल मार्च में माल्या भारत से निकल गए थे। उससे पहले उन्होंने यूएसएल के साथ डील की थी, जिसमें उन्हें कंपनी से हटने के एवज में 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम मिली थी और उस वक्त रही किसी भी ‘पर्सनल लायबिलिटी’ से वह मुक्त कर दिए गए थे। तबसे माल्या ब्रिटेन में है। इसके कुछ दिन बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने माल्या को अपने पासपोर्ट के साथ व्यक्तिगत रूप से 30 मार्च, 2016 को पेश होने को कहा था। भारत ने इस साल 8 फरवरी को औपचारिक तौर पर ब्रिटेन सरकार को भारत-ब्रिटेन प्रत्यर्पण संधि के तहत माल्या के प्रत्यर्पण का औपचारिक आग्रह किया था। वहीं, प्रॉपर्टीज की नीलामी अब लैंडर्स की ओर से एसबीआई कैप ट्रस्टी करा रहा है।

गिरफ्तारी का था अंदेशा?
विजय माल्या को क्या अपनी गिरफ्तारी का अंदेशा हो गया था? माल्या ने कुछ वक्त पहले ही ट्वीट करके बैंकों से समझौते की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि वह बैंकों से 9000 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाने के लिए एकमुश्त समझौता करने को तैयार हैं। उन्होंने लिखा था कि सार्वजनिक बैंको में एक बार में ही सारा कर्ज चुकाने का प्रवाधान है। सैकड़ों कर्जदाताओं इस नियम के तहत कर्ज चुकाया है फिर क्या वजह है कि उन्हें ऐसा करने से रोका जा रहा है।

गोवा में माल्या के किंगफिशर विला का नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू

नई दिल्ली । नॉर्थ गोवा की शानदार लोकेशन पर बने शराब कारोबारी विजय माल्या के किंगफिशर विला का नाम बदलने के लिए प्रक्रिया चल रही है। ये गोवा के कैडोलिम बीच के पास स्थित है। इसे हाल ही में उद्योगपति और अभिनेता सचिन जोशी ने खरीदा है।इस विला के नए मालिक सचिन जोशी विकिंग वेंचर प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटर भी हैं।

उन्होंने बताया कि विला का नाम बदलना जाहिर तौर पर जरूरी है। हालांकि, उन्होंने इस बात के संकेत अभी नहीं दिए कि इसके लिए किसी एक नाम पर अभी सहमति बनी है या नहीं। जोशी ने बताया, “जाहिर तौर पर यह होना चाहिए, लेकिन फिलहाल ऐसा कोई विचार नहीं है। मैंने इसके लिए ऐसा कोई नाम अभी तक सोचा नहीं है।

  जब किंगफिशर विला का मालिकाना हक विजय माल्या के पास था, तो इसमें कई आलीशान पार्टियों का आयोजन किया जाता था।  विजय माल्या पर भारत के कई बैंकों का तकरीबन 9000 करोड़ रुपए बकाया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में 17 बैंकों के कंसोर्टियम की ओर से आयोजित नीलामी प्रक्रिया के तहत सचिन जोशी ने यह विला 73 करोड़ रुपए में खरीदी थी।

गौरतलब है कि विजय माल्या बीते साल ही भारत छोड़ चुके हैं और वो फिलहाल लंदन में रह रहे हैं।भारतीय बैंकों का कंसोर्टियम भारत में मौजूद उनकी परिसपंत्तियों की बिक्री कर अपना बकाया वसूलने की कोशिश में लगा हुआ है।

जियो अकाउंट्स बंद करना शुरू , ऐसे ले सकते हैं लाभ

नई दिल्ली। रिलायंस जियो ने हाल ही में उन यूजर्स के लिए एक नई पेशकश की घोषणा की थी, जो समर सरप्राइज ऑफर से नहीं जुड़ पाए थे। इसे जियो धन धना धन ऑफर नाम दिया गया था। यह योजना मूल रूप से पिछले समर सरप्राइज ऑफर की तरह ही थी, जिसके तहत प्रति दिन एक जीबी डाटा यूज मिलता है। इसके लिए यूजर को 309 रुपए के साथ ही 99 रुपए का जियो प्राइम का सब्सक्रिप्शन लेना होता है।

रिलायंस जियो ने घोषणा करते हुए कहा था कि यूजर को जियो प्राइम मेंबरशिप से जुड़ना होगा और उन्हें 309 या 509 रुपए का रीचार्ज 15 अप्रैल तक कराना होगा, ताकि वे सुविधाओं का लाभ ले सकें या सर्विस बंद होने से बच सकें।मगर, इस बीच कई ऐसे यूजर्स हैं, जिन्होंने अभी तक सदस्यता नहीं ली है, लेकिन उनकी सेवाएं अभी भी सक्रिय हैं।

हालांकि, ऐसे अकाउंट को बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और अब प्राइम मेंबरशिप नहीं लेने वाले यूजर प्रभावित होने लगेंगे।ऐसे में अब रिलायंस जियो यूजर्स, जिन्होंने अभी तक रिचार्ज नहीं किया है, वे अभी भी जियो प्राइम के साथ धन धना धन ऑफर को ले सकते हैं। यानी यदि आपका जियो अकाउंट बंद हो गया है, तो आप जियो स्टोर पर जाएं या जियो वेबसाइट या माय जियो ऐप में जाएं। 84 दिन में डाटा यूज के लिए आपको 408 रुपए (प्राइम मेंबरशिप के लिए 99 रुपए और ऑफर के लिए 309 रुपए) का भुगतान करें।

इससे पहले रिलायंस जियो ने कहा था कि प्राइम मेंबरशिप को लेने की लास्ट डेट 31 मार्च थी। मगर, बाद में समर सरप्राइज ऑफर के साथ इसे बढ़ाकर 15 अप्रैल कर दिया गया था। मगर, अब लग रहा है कि रिलायंस जियो निकट भविष्य में जियो प्राइम और धन धना धन ऑफर को जारी रखने जा रहा है। 

 बासमती: ईरान के आयातकों की नए सौदों पर करेंसी सब्सिडी नहीं देने की मांग

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कोटा । भारतीय बासमती चावल के बड़े खरीदार ईरान की चावल इंपोर्टर एसोसिएशन ने मांग की है कि जबतक पुराने सौदे क्लीयर नहीं होते हैं तबतक नए आयात सौदे पर आयात के लिए सत्ता सिफारिश यानि करेंसी एक्सचेंज पर दिया जाने वाली छूट न दी जाए।

पंजाब बासमती राइस मिलर्स एसोसिएशन यानि PMRBA के सचिव आशीष कथूरिया ने लेन -देन न्यूज़ को बताया कि ईरान के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि चावल आयातकों ने अबतक करीब 8.40 लाख टन चावल आयात करने के लिए छूट हासिल की है लेकिन 15 अप्रैल तक इस स्कीम के तहत 2-2.25 लाख टन चावल ही ईरान पहुंच सका है।

ऐसे में इटका, जीटीसी, मोहसिन एंड कंपनी, आवाजे, जैबुल जैसे बड़े चावल आयातकों ने मांग की है कि जबतक पुराने सौदों के मुताबिक चावल ईरान के पोर्ट्स पर नहीं आ जाता तबतक नया सौदा नहीं किया जाए। इसके साथ आयातकों ने सरकार से चावल आयात के लिए लगाए गए 895 डॉलर के सीलिंग प्राइस सहित आयात शुल्क को भी रीव्यू करने की मांग की है।

आशीष के मुताबिक ईरान 15 जुलाई के बाद आयात पर फिर से रोक लगा सकता है, ऐसे में 15 जुलाई से पहले वह जल्दी से जल्दी अपनी जरूरत के मुताबिक स्टॉक भरना चाहता है, इसलिए आयातकों पर पुराने सौदों का चावल जल्दी से ईरान पहुंचाने के लिए यह दबाव बनाया गया है। आशीष के मुताबिक इस साल भारत मे बासमती का उत्पादन कम है जिस वजह से ईरान सहित दूसरे देशों को चावल की शॉर्टेज का सामना करना पड़ रहा है।

जब चढ़ जाए शरीर की नस तो आजमाएं ये तरीके

जब शरीर के किसी अंग की नस चढ़ जाती है तो काफी तकलीफ होती है। कई बार तो ये परेशानी इतनी बढ़ जाती है कि इसके ठीक होने में काफी समय लग जाता है। ऐसे में आप कुछ घरेलू नुस्खे आजमाकर इससे निजात पा सकते हैं।

  •  नस चढ़ जाए तो प्रभावित हिस्से पर बर्फ की सिकाई करें। इससे आपको दर्द से छुटकारा मिलेगा।
     
  • कमजोरी की वजह से ये समस्या सामने आती है। इसके लिए फलों में मौसमी, अनार, सेब, पपीता, केला आदि शामिल करें और सब्जियों में पालक, टमाटर, सलाद, आलू, गाजर का सेवन करने से आराम मिलेगा। साथ ही ड्राई-फ्रूट्स भी इस तकलीफ में फायदा करते हैं।
  •  नस चढ़ने के बाद उस जगह कई बार दर्द की भी शिकायत रहती है। इससे निजात पाने के लिए कच्चा नमक चाट लें।
     
  • कई लोगों की सोते समय नस चढ़ जाती है जिससे वो काफी परेशान रहते हैं। अगर आपको भी ये शिकायत रहती है तो पैरों के नीचे तकिया रखकर सोने की आदत डालें।
  • अगर बाएं पैर की नस चढ़ जाए को दाएं हाथ की अंगुली से अपने कान के निचले जोड़ को दबाएं। इससे आपको आराम मिलेगा। हालांकि ये नुस्खा कहां तक कारगर है इसका पता तो इसे आजमाने के बाद ही लगेगा।

16000 करोड़ के शेयर बायबैक को टीसीएस के शेयरधारकों की मंजूरी

नई दिल्ली। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के शेयरधारकों ने 16,000 करोड़ रुपए के शेयर बायबैक की योजना को मंजूरी दे दी है। यह भारतीय पूंजी बाजार में सबसे बड़ा बायबैक है। दिग्गज आईटी कंपनी ने बही-खातों में अतिरिक्त नकदी को शेयरधारकों के साथ बांटने के मकसद से यह फैसला किया है।

पुनर्खरीद के प्रस्ताव के पक्ष में 99.81 फीसद शेयरधारकों ने वोट किया। फरवरी में टीसीएस के बोर्ड ने 16 हजार करोड़ के बायबैक को मंजूरी दी थी। इसके तहत कंपनी 2.85 फीसद यानी कुल 5.61 करोड़ शेयर खरीदेगी। देश में इतना बड़ा शेयर बायबैक कभी नहीं हुआ है। इससे पहले 2012 में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 10,400 करोड़ रुपये के शेयरों की पुनर्खरीद की थी।

क्यों होता है बायबैक

शेयर बायबैक अमूमन प्रति शेयर कमाई में सुधार करता है। इससे शेयरधारकों के वास्तविक रिटर्न में बढ़ोतरी होती है। सुस्त बाजार की स्थिति के दौरान इससे शेयर की कीमत को समर्थन मिलता है।जब कंपनी मुनाफे का बड़ा हिस्सा नकद में रखती है तो शेयरधारकों की पूंजी पर वास्तविक रिटर्न घटता है। माना जाता है कि कंपनी के पास कैश के रूप में रखा पैसा भी शेयरधारकों का ही है। जब यह लौटाया जाता है तो रिटर्न बेहतर हो जाता है।

क्या है टीसीएस की स्थिति

आइटी कंपनियों पर लाभांश और बायबैक के जरिये अतिरिक्त नकदी को शेयरधारकों को लौटाने का दबाव है। टीसीएस देश की सबसे बड़ी आइटी कंपनी है। इसके पास 43,169 करोड़ रुपये सरप्लस कैश के रूप में हैं। यह कंपनी के बाजार पूंजीकरण का करीब 10 फीसद है।

कई कंपनियां कर चुकीं एलान

बीते हफ्ते इंफोसिस ने लाभांश और बायबैक के जरिये चालू वित्त वर्ष में 13,000 करोड़ रुपये की पुनर्खरीद योजना का एलान किया था। इस साल के शुरू में कंग्निजेंट ने भी 3.4 अरब डॉलर के शेयर बायबैक की घोषणा की थी। एचसीएल टेक्नोलॉजीज भी 3,500 करोड़ रुपये मूल्य के 3.5 करोड़ शेयरों के बायबैक को मंजूरी दे चुकी है।