Tuesday, November 5, 2024
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परिधान निर्यातकों ने जीएसटी की समस्याओं को संसदीय समिति के सामने रखा

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नयी दिल्ली। वस्त्र निर्यातकों ने संसदीय समिति के सामने माल एवं सेवा कर लागू किए जाने के बाद उत्पन्न हुई समस्याओं को रखा किया है। साथ ही उन्होंने संकेत दिया है कि इससे भारत से परिधानों के निर्यात में गिरावट और रोजगार के नुकसान के आसार हैं।

परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी)  ने इस हफ्ते की शुरुआत में नरेश गुजराल की अध्यक्षता वाली वाणिज्य संबंधी की संसदीय स्थायी समिति राज्यसभा के सामने प्रस्तुति दी थी।

परिषद ने कर वापसी (टैक्स रिफंड) की प्रक्रिया जल्दी शुरू करने के लिए कहा है। एईपीसी ने कहा कि ओटे जुए कपास की खरीदी की लागत में मशीनरी, बीज, उर्वरक, बिजली और डीजल पर लगने वाला कर और केंद्र या राज्य सरकार द्वारा लगाया गया शुल्क बिजली सब्सिडी, स्टांप शुल्क, सम्पत्ति कर और अन्य शुल्क भी शामिल होता है।

परिषद ने ईपीसीजी (निर्यात संवर्धन पूंजीगत माल) के तहत आयात पर एकीकृत जीएसटी से छूट की सीमा को बढ़ाकर 31 मार्च 2018 से 31 दिंसबर 2018 किए जाने की ओर भी समिति के सदस्यों का ध्यान आकर्षित किया है।

निर्यात में कमी को रोकने के लिए एईपीसी ने सुझााव दिया कि निर्यातकों के हितों की रक्षा के खातिर प्रतिस्पर्धी विनिमय दर और रुपये के अभिमूल्यन को स्थिर किया जाना चाहिए।

पद्मावती के “घूमर ” गाने में दीपिका ने पहनी 30 लाख की ड्रेस?

मुंबई। संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ शुरुआत से ही किसी ना किसी वजह से चर्चा में बनी रहती है। चाहे फिल्म के पोस्टर की बात हो या फिल्म के ट्रेलर की, फिल्म हर बार तारीफों या आलोचनाओं की वजह से खबर में जरूर आई है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, फिल्म के गाने ‘घूमर ”  में दीपिका पादुकोण ने जो ड्रेस पहनी है, उसकी कीमत 30 लाख रुपये बताई जा रही है।

फिल्म में रानी पद्मिनी का किरदार निभा रहीं दीपिका को इस किरदार में काफी पसंद की जा रही हैं। हाल ही में रिलीज हुए गाने ‘घूमर’ में राजस्थानी डांस करती नजर आ रही हैं।

कहा जा रहा है कि इस गाने में दीपिका ने जो ड्रेस पहनी है, उसकी कीमत 30 लाख रुपये बताई जा रही है। बता दें कि संजय लीला भंसाली परफेक्शन के लिए जाने जाते हैं, ऐसे में यह खबर सच भी हो सकती है।

इस गाने में दीपिका की ड्रेस को देखकर भी लगता है कि यह ड्रेस विशेष रूप से तैयार किया जा रहा है। इस गाने को यूट्यूब पर सिर्फ 24 घंटे में 1 करोड़ से ज्यादा बार देखा गया। यह फिल्म 1 दिसंबर को रिलीज किया जाएगा।

जीएसटीएन का जायजा लेगा मंत्रिसमूह, आज होगी अहम बैठक

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नई दिल्ली । जीएसटी के आइटी नेटवर्क में खामियों का जायजा लेने के लिए गठित जीएसटी काउंसिल के मंत्रिसमूह की महत्वपूर्ण बैठक शनिवार को बेंगलुरु में होगी। जीएसटी काउंसिल के सदस्य और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी की अध्यक्षता वाला यह मंत्रिसमूह के आला अधिकारियों से सवाल करेगा कि जीएसटी नेटवर्क की कमियों को कितना दुरुस्त किया गया है।

इससे पहले इस समूह की एक बैठक बेंगलुरु में हो चुकी है। इस बैठक में समूह ने को 30 अक्टूबर तक कमियों को दूर करने का निर्देश दिया था। इस संबंध में बाकायदा एक टाइम फ्रेम भी दिया गया था।

सूत्रों के मुताबिक शनिवार को होने वाली बैठक में इस पर जायजा लिया जाएगा कि अब तक इसमें से कितना काम हुआ है और अभी कितना बाकी है। सुशील मोदी की अध्यक्षता वाले इस समूह की पहली बैठक 16 सितंबर को हुई थी।

इसमें राजस्व सचिव और के उच्च अधिकारी भी मौजूद रहे थे। उल्लेखनीय है कि एक जुलाई से देश में जीएसटी लागू होने के बाद कारोबारियों को पोर्टल पर पंजीकरण से लेकर रिटर्न दाखिल करने तक कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है।

यही वजह है कि नौ सितंबर को हैदराबाद में हुई जीएसटी काउंसिल की 21वीं बैठक में राज्यों के वित्त मंत्रियों ने पोर्टल में खामियों का मुद्दा उठाया। इसके बाद ही काउंसिल ने से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने के लिए मंत्रिसमूह का गठन करने का फैसला किया।

काउंसिल ने यह मंत्रिसमूह गठित करने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को अधिकृत किया। जेटली ने 12 सितंबर को बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिसमूह का गठन करने का निर्णय किया है।

छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री अमर अग्रवाल, कर्नाटक के कृषि मंत्री कृष्ण बी. गौडा, केरल के वित्त मंत्री टी. एम. थॉमस आइजैक और तेलंगाना के वित्त मंत्री ई राजेन्द्र इस मंत्रिसमूह में बतौर सदस्य शामिल हैं।

बढ़ते कैशलेस से बैंकों ने बंद किए 358 एटीएम

चेन्नई। क्या भारतीय अब कैशलेस होते जा रहे हैं? बैंक जिस तरह से लगातार एटीएम बंद करते जा रहे हैं, उससे तो ऐसा ही लगता है। इस साल जून से अगस्त के दौरान देश में अब तक बैंकों की ओर से 358 एटीएम बंद किए जा चुके हैं।

इस तरह देश में एटीएम की संख्या में 0.16% की कमी आ चुकी है। लेकिन, भारत में यह बदलाव बहुत तेजी से आया है क्योंकि बीते 4 सालों में एटीएम की संख्या में 16.4 फीसदी की तेजी से इजाफा हुआ है।

हालांकि बीते एक साल में यह ग्रोथ कम होकर 3.6 पर्सेंट पर ही सिमट गई है। यह पहला मौका है, जब एटीएम की संख्या बढ़ने की बजाय घटने लगी है।

नोटबंदी के बाद शहरों में एटीएम के इस्तेमाल में कमी और ऑपरेशनल कॉस्ट में इजाफा होने के चलते बैंकों को अब एटीएम की व्यवस्था की समीक्षा करनी पड़ रही है। देश में भारतीय स्टेट बैंक का सबसे बड़ा एटीएम नेटवर्क है।

जून में एसबीआई के देश भर में एटीएम की संख्या 59,291 थी, जो अगस्त में घटकर 59,200 ही रह गई। पंजाब नैशनल बैंक के एटीएम की संख्या 10,502 से 10,083 हो गई है।

निजी क्षेत्र के दिग्गज बैंक एचडीएफसी के एटीएम की संख्या 12,230 से कम होकर 12,225 हो गई है।

बैंकों का कहना है कि 7×5 स्क्वेयर फुट के एटीएम केबिन का एयरपोर्ट और मुंबई की प्राइम लोकेशन पर मासिक किराया 40,000 रुपये तक जा सकता है।

यहां तक कि चेन्नै और बेंगलुरु जैसे मेट्रो शहरों में भी एटीएम साइट का किराया 8,000 रुपये से 15,000 रुपये तक पहुंच गया है।

इसके अलावा सिक्योरिटी स्टाफ,. एटीएम ऑपरेटर्स, मेंटनेंस चार्ज और इलेक्ट्रिसिटी बिल को मिलाकर एक एटीएम केबिन के रखरखाव का खर्च महीने का 1 लाख रुपये तक होता है।

खासतौर पर एटीएम के केबिन पर बिजली का खर्च काफी अधिक होता है क्योंकि इसमें तापमान पूरे दिन 15 से 18 डिग्री सेल्सियस रखना होता है।

अब कंपनियों को ग्राहकों का डेटा शेयर करना पड़ेगा भारी

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नई दिल्ली। उपभोक्ताओं की किसी भी निजी जानकारी को कमर्शल उद्देश्य से साझा करना अब कंपनियों को भारी पड़ सकता है। ऐसा करने पर कंपनियों के खिलाफ कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन लॉ के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से कमर्शल फायदे के लिए उपभोक्ताओं के डेटा को बेचने की खबरों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में यह प्रस्ताव किया है।

पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई बैठक में ट्रेंड ऐंड डिवेलपमेंट पर यूएन कॉन्फ्रेंस के सेक्रटरी जनरल मुखिसा कितुयी ने उपभोक्ताओं के निजी डेटा की सुरक्षा की बात कही थी।

उपभोक्ता मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि उपभोक्ताओं के डेटा की सुरक्षा के लिहाज से कन्जयूमर प्रोटेक्शन लॉ में पर्याप्त प्रावधान किए जाएंगे।

इसके तहत ग्राहकों को यह अधिकार होगा कि वह अपने डेटा को शेयर किए जाने की शिकायत को कन्ज्यूमर कोर्ट में दर्ज करा सकेंगे। इसके अलावा प्रस्तावित सेंट्रल कन्जयूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी भी अपने स्तर पर कार्रवाई कर सकेगी।

उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने कहा, ‘दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के हर देश ने हमसे अपने प्रयास साझा किए हैं। हमें उम्मीद है कि यह विधेयक शीत सत्र में पारित हो सकता है।

हमने दूसरे देशों से जो सीखा है, वह जल्दी ही हमारी नीतियों में दिखाई देगा।’ इससे पहले कन्जयूमर राइट्स ऐक्टिविस्ट्स और अन्य लोगों ने इस संबंध में कानून को मजबूत किए जाने की मांग की थी।

मार्बल पर 29 प्रतिशत रॉयल्टी बढ़ाने का विरोध, आज लदान बंद

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कोटा /राजसमंद/केलवा। प्रदेश के मार्बल और ग्रेनाइट कारोबार पर राज्य सरकार ने शुक्रवार से रॉयल्टी बढ़ाने की घोषणा कर दी। इसका कारोबारियों ने जोरदार विरोध शुरू करते हुए लदान बंद करने की घोषणा की। मार्बल व्यवसायियों ने कहा कि इसके विरोध में हड़ताल शनिवार से शुरू हो रही है जिससे ट्रकों के चक्के थम जाएंगे।

राज्य सरकार ने मार्बल के कच्चे माल पर रॉयल्टी 29 प्रतिशत बढ़ा दी है। पहले यह राशि 240 रुपए थी। यह रॉयल्टी 101 रुपए बढ़ाकर 341 रुपए कर दी है। गौरतलब है कि इससे पूर्व वर्ष 2014 में मार्बल रॉयल्टी 60 रुपए की बढ़ोतरी की गई थी। प्रदेश के 33 जिलों में से 22 जिलों में मार्बल व्यवसाय फैला हुआ है।

राज्यभर में इस उद्योग से करीब 50 लाख व्यक्ति प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। मार्बल माइन ऑनर्स एसोसिएशन की कार्यकारिणी की आपात बैठक शुक्रवार को केलवा स्थित एसोसिएशन कार्यालय में हुई। बैठक में निर्णय होते ही देर शाम से ही मार्बल खदानों से लदान बंद कर दिया गया।

एसोसिएशन के अध्यक्ष गौरव सिंह राठौड़ ने कहा कि मार्बल व्यवसायी पहले से ही ई-रवन्ना, ऑनलाइन रिटर्न, जीएसटी के कारण परेशान हो रहे हैं। ऐसे में रॉयल्टी बढ़ने से खनन व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित होगा। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि शुक्रवार से ही आगामी सूचना तक समस्त खनन पट्टाधारी अपनी खदानों से मार्बल का लदान बंद रखेंगे।

राजसमंद जिले में कुल 12 सौ मार्बल खदानें, ग्रेनाइट 300 खदानें, 3000 कटर, 500 मार्बल गैंगसा, 300 ग्रेनाइट गैंगसा कटर लगे हुए हैं। जिले में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मार्बल व्यवसाय से पांच लाख से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं।

बढ़ी दरें वापस लेने का अनुरोध
राजस्थानके सभी मार्बल संगठनों से आंदोलन में सहयोग लेने की कोशिश की जा रही है। बढ़ी हुई रॉयल्टी दरें वापिस लेने के लिए सरकार से बार-बार अनुरोध कर रहे है, जिससे मार्बल व्यवसाय को जिन्दा रख सकें। आगे मार्बल संघर्ष समिति का जो भी निर्णय होगा उस अनुरूप आंदोलन चलाया जाएगा।
-गौरवसिंह राठौड़, अध्यक्ष मार्बल माइंस ऑनर्स एसोसिएशन, राजसमंद

लघु उद्योग के लिए राहत जरूरी
राज्यसरकार ने जीएसटी की ऊंची दरें लागू हाेने के बावजूद मार्बल उद्योग को राहत प्रदान करने के लिए कुछ नहींं किया। अब रॉयल्टी की मार से यह उद्योग उबर ही नहीं सकेगा। सरकार की उदासीनता से लघु उद्योग खत्म हो जाएगा। सरकार को जल्द ही इस समस्या से राहत के कदम उठाने चाहिए।
-सुरेशटांक, अध्यक्ष किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन, किशनगढ़

जीएसटी के विरोध में भी एक महीने बंद रहा था व्यवसाय

केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी लागू करने के दौरान भी प्रदेश के मार्बल उत्पादक क्षेत्रों में एक माह तक मार्बल व्यापार बंद रहा था। राजसमंद जिले में मार्बल सबसे प्रमुख व्यवसाय है। 

यहां हर दिन करीब 10 करोड़ का व्यवसाय होता है। जीएसटी के विरोध में हुए बंद के दौरान प्रतिदिन 40 लाख रुपए के हिसाब से पूरे महीने 12 करोड़ से अधिक का राजस्व का राज्य सरकार को नुकसान हुआ।

अकेले राजसमंद जिले का ईआरसीसी ठेका 150 करोड़ के लगभग का है। मार्बल खनन के लिए पर्यावरण स्वीकृति का नियम लागू करने के दौरान भी मई-जून दो माह तक कारोबार प्रभावित रहा।

इसी प्रकार नोट बंदी लागू होने के बाद भी एक महीने तक मार्बल कारोबार प्रभावित रहा।

अब रॉयल्टी ने निकाला कोटा स्टोन का दम
रामगंजमंडी (कोटा)| कोटा स्टोन कारोबार पर भी बढ़ी हुई रॉयल्टी की मार पड़ेगी। शुक्रवार से कोटा स्टोन की रॉयल्टी 33 रुपए प्रति टन बढ़ा दी गई। इससे रामगंजमंडी क्षेत्र में ही प्रतिदिन व्यापारियों पर करीब दस लाख रुपए का अतिरिक्त भार बढ़ गया है।

गुजरात, महाराष्ट्र में टाइल्स की खपत अधिक होने से वहां भेजे जाने वाले कोटा स्टोन में कमी आई है। इसके बाद गत जुलाई से लागू हुए जीएसटी ने कोटा स्टोन के कारोबार को बुरी तरह प्रभावित किया। व्यापारियों काे जब इसका पता चला तो उनमें रोष छा गया।

डकनिया रेलवे स्टेशन पर बनेगा नया प्लेटफार्म

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कोटा। कोटा रेल मंडल के डकनिया रेलवे स्टेशन को उपनगरीय स्टेशन के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से सिटी साइड में नए प्लेटफार्म का निर्माण किया जाएगा।

इसके लिए रेलवे बोर्ड पश्चिम मध्य रेलवे के मुख्यालय जबलपुर ने 4 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। प्लेटफार्म निर्माण अन्य विकास कार्यों के लिए ड्राइंग नक्शा भी पास कर दिया गया है। इसका काम नए साल में शुरू कर दिया जाएगा।

दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग के कोटा रेल मंडल का मुख्यालय कोटा में हैं। कोटा का विकास डकनिया रेलवे स्टेशन के आसपास के क्षेत्र में पहुंच गया है। वहां कोचिंग इंस्टीट्यूट, हॉस्टल रिहायशी मकानों का निर्माण हो चुका है।

कोचिंग संस्थानों में देशभर के विभिन्न राज्यों से प्रतिवर्ष लगभग डेढ़ लाख बच्चे अध्ययन करने के लिए पहुंचते हैं। डकनियां में यूपी, बिहार, दिल्ली, इंदौर, निजामुद्दीन, जोधपुर, जयपुर की तरफ जाने वाली कई ट्रेनों का ठहराव है।

नए कोटा के यात्री इस स्टेशन से ही ट्रेन से आते-जाते हैं। इस स्टेशन को विकसित किए जाने, उपनगरीय रेलवे स्टेशन बनाने की मांग पिछले कुछ दिनों से जनप्रतिनिधियों द्वारा की जाती रही है।

लेकिन अभी तक इसका विकास नहीं हो पा रहा था। अब मंडल के रेलवे प्रशासन ने डकनिया रेलवे स्टेशन के सिटी साइड पर एक प्लेटफार्म निर्माण अन्य विकास कार्य करवाने का फैसला किया है।

इसके लिए 4 करोड़ के प्रस्ताव को ड्राइंग नक्शे को मंजूरी दी जा चुकी है। रेलवे के इंजीनियरों ने बताया कि सिटी साइड में नए प्लेटफार्म का निर्माण कार्य नए साल में शुरू कर दिया जाएगा।

  • ये होगा काम
  • डकनिया में सिटी साइड नया प्लेटफार्म बनेगा
  • स्टेशन के बाहरी क्षेत्र को 9000 स्क्वायर मीटर क्षेत्र में विकसित किया जाएगा
  • सिटी से रेलवे स्टेशन में प्रवेश के लिए मैन एंट्रेंस गेट बनेगा

डी श्रेणी का है रेलवे स्टेशन
कोटा रेल मंडल का डकनिया रेलवे स्टेशन अभी डी श्रेणी का है। स्टेशन पर केवल दो ही प्लेटफार्म अप डाउन बने हुए हैं। प्लेटफार्म की ऊंचाई भी ट्रैक लेवल की थी। प्लेटफार्म की ऊंचाई बढ़ाने का काम अंतिम चरण में हैं।

इस रेलवे स्टेशन पर अभी केवल गिनती की ही ट्रेन रुकती हैं। अन्य लंबी दूरी की ट्रेनों को पकड़ने के लिए नए को टा के लोगों को 15 किमी तय कर कोटा रेलवे स्टेशन जाना पड़ता है। इससे नए को टा के लोगों को पैसा समय अधिक खर्च करना पड़ता है।

राजस्थान में तेल-तिलहनों की उपलब्धता के लिए डीएसओ को निर्देश

जयपुर । भारत सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट खाद्य पदार्थों से (अनुज्ञापन संबंधी अपक्षाएं, स्टॉक सीमा और संचलन, निर्बधन) हटाना (चौथा संशोधन) आदेश 2017 के अंतर्गत खाद्य तेलों एवं तिलहनों की आपूर्ति एवं उपलब्धता बनाये रखने हेतु प्रभावी मॉनिटरिंग रखने के क्रम में उप शासन सचिव एवं खाद्य उपायुक्त ने प्रदेश के सभी जिला रसद अधिकारियों को निर्देशित किया है। 

इस आदेश के तहत तेल तिलहनों के व्यवसायों को नियंत्रित करने तथा उपभोक्ताओं को उचित दरों पर उपलब्ध कराने हेतु तेल-तिलहनों के व्यवसाय में लाइसेंस प्रणाली लागू रखने तथा आवश्यक समझे जाने पर स्टॉक सीमा तथा आवागमन पर प्रतिबंध लगाने हेतु राज्य सरकारों को 30 सितम्बर 2018 तक अधिकृत किया गया है। 

उपशासन सचिव एवं खाद्य उपायुक्त प्रीति माथुर ने बताया कि खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा इस संबंध में राजस्थान व्यापारिक वस्तु (अनुज्ञापन एवं नियंत्रण) आदेश 1980 में आवश्यक संशोधन कर तेल-तिलहनों के व्यवसायों पर लाइसेंस प्रावधान लागू रखने एवं प्रभावी कार्यवाही करने के लिए अधिसूचना 29 सितम्बर 2017 को जारी की गई थी, जिसे 30 सितम्बर 2018 तक बढा दिया गया है। 
 
जारी आदेश में बताया गया है कि समस्त जिला रसद अधिकारी तेल-तिलहनों की बाजार में उपलब्धता बनाये रखने एवं कीमतों पर प्रभावी नियंत्रण रखने के लिए सामयिक कार्यवाही करें। संबंधित जिले में कार्यरत व्यवसायियों, खुदरा विक्रेताओं, किसानों तथा उपभोक्ता संगठनों की बैठक समय-समय पर आयोजित करें।

थोक विक्रेताओं के लिए चीनी की भण्डारण सीमा अवधि 28 अप्रैल तक बढाई

जयपुर । भारत सरकार द्वारा चीनी के भावों पर नियंत्रण रखने तथा उपभोक्ताओं तक चीनी सहज उपलब्ध कराए जाने की दृष्टि से चीनी के व्यापारियों के लिए अधिसूचना जारी कर अधिकतम भण्डारण सीमा एवं अनुज्ञापन प्रणाली (लाइसेंस) संबंधित प्रावाधानों को 28 अप्रैल 2018 तक बढाई गई है, जो पूर्व में 28 अक्टूबर 2017 तक रखी गयी थी।  

उपशासन सचिव एवं खाद्य उपायुक्त प्रीति माथुर ने बताया कि खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा भारत सरकार की अधिसूचना के क्रम में राजस्थान व्यापारिक वस्तु (अनुज्ञापन एवं नियंत्रण) (विशेष प्रावधान) संशोधन आदेश 2017 के तहत राजस्थान में कार्यरत चीनी के थोक विक्रेताओं के लिए चीनी की अधिकतम भण्डारण सीमा 5 हजार क्विंटल की गयी है।
 
माथुर ने बताया कि चीनी के व्यवसाय हेतु पूर्व में जारी आदेश की अवधि में संशोधन कर यह अवधि 28 अप्रैल 2018 तक बढाई गई है। उन्होंने बताया कि खुदरा विक्रेताओं द्वारा पूर्व मेें जारी किये गये आदेशों के क्रम में अधिकतम 25 क्विंटल तक एक साथ चीनी का भण्डारण कर व्यवसाय किया जाना अपेक्षित है।