Wednesday, June 26, 2024
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देशी घी पर जीएसटी से रामदेव खफा, दाम बढ़ेंगे 

नई दिल्ली। देशी घी पर जीएसटी लगाए जाने से योगगुरु बाबा रामदेव खफा हैं। बाबा रामदेव जीएसटी लगने से घी दाम बढ़ेंगे । रामदेव के पतंजलि का सबसे टॉप सेलिंग ब्रैंड घी ही है। जीएसटी लगने के बाद घी पर 5 से 12 फीसदी तक लेवी बढ़ जाएगी।

कंपनी के एक सीनियर एग्जिक्युटिव के मुताबिक इससे न केवल एक किलो घी की कीमत 40-50 रुपये तक बढ़ जाएगी बल्कि पतंजलि घी की बिक्री भी 50 फीसदी तक प्रभावित होगी। पतंजलि के टोटल रेवेन्यू में अकेले गाय के घी हिस्सेदारी 15 फीसदी (1467 करोड़ रुपये) है। इसके बाद दंतकांति (940 करोड़ रुपये) और केशकांति (825 करोड़ रुपये) की बारी आती है।

पतंजलि के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हम देश में घी के सबसे बड़े उत्पादक हैं। देशभर के दुग्ध उत्पादक पशुओं में गाय की हिस्सेदारी 25 फीसदी है, बाकी भैंसें हैं। हम लोगों ने काफी कोशिश कर लाखों लोगों को गोपालन के लिए राजी किया है। हम उनसे दूध, दही, घी के अलावा गोमुत्र और गोबर (पंचगव्य) खरीदते हैं।’

उनके मुताबिक गोपालकों के मुनाफे में कटौती हुई तो उन्हें गाय रखने में दिक्कत होगी। योगगुरु रामदेव ने कहा कि जब लाखों किसानों और गोपालकों की जीविका की बात है तो मुझे लगता है कि सरकार जरूर संज्ञान लेगी। हालांकि कुछ इंडस्ट्री एक्सपर्ट का मानना है कि जीएसटी की वजह से घी की खपत पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।

सीबीएसई : 12वीं क्लास का रिजल्ट अब जल्दी ही

नई दिल्ली। सीबीएसई के छात्रों के लिए दोहरी खुशखबरी है। छात्रों को नंबर बढ़ाकर देने की पॉलिसी को जारी रखने के लिए सीबीएसई तैयार हो गई है, वहीं कल या परसो 12वीं क्लास के रिजल्ट की भी घोषणा हो सकती है। मॉडरेशन पॉलिसी को लेकर सीबीएसई सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी।

इस साल से सीबीएसई ने छात्रों को नंबर बढ़ाकर देने की अपनी पॉलिसी यानी मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म करने का फैसला लिया था। सीबीएसई के इस फैसले को एक वकील और एक पैरंट ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के हक में फैसला सुनाया था।

हाई कोर्ट ने सीबीएसई से मॉडरेशन पॉलिसी को जारी रखने का निर्देश दिया था। सीबीएसई ने एचआरडी मिनिस्टर से मिलने के बाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया था। लेकिन अब खबर आ रही है कि सीबीएसई ने अपना इरादा बदल दिया है और सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी।

वैसे सीबीएसई का 12वीं क्लास का रिजल्ट 24 मई को आना था लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद रिजल्ट लेट हो गया। मॉडरेशन पॉलिसी को जारी रखने की स्थिति में छात्रों के प्राप्तांक में सुधार करना होगा, जिससे रिजल्ट जारी करने में थोड़ा समय लग गया। रिजल्ट को लेकर सीबीएसई की चुप्पी से कई अन्य शिक्षा बोर्ड्स भी असमंजस की स्थिति में हैं। 

जैक्‍वार समूह राजस्थान में करेगा 150 करोड रुपये का निवेश

जयपुर। स्नानघर में काम आने वाले आधुनिक उत्पाद बनाने वाली कंपनी जैक्‍वार समूह ने अलवर जिले के भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्र स्थित उत्पादन इकाई के विस्तार में 150 करोड़ रुपये के निवेश का फैसला किया है। समूह की देश में चार उत्पादन इकाइयों ईकाइयों में से तीन इकाइयां भिवाडी में है।

जकुआर समूह का 2016-17 में कुल कारोबार 2753 करोड़ रूपए रहा है। कंपनी की यूरोप, पश्चिम एशिया सहित दुनिया के 30 से ज्यादा देशों में उपस्थिति है।समूह के निदेशक और प्रमोटर राजेश मेहरा ने कल यहां बताया कि भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्र स्थित उसकी उत्पादन इकाइे के विस्तार से कंपनी की स्नानघरों के उत्पादों की मौजूदा उत्पादन क्षमता 75 हजार से बढ़कर एक लाख किया जाना प्रस्तावित है।

जयपुर में चल रहीं आर्केशिया प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए आए मेहरा ने बताया कि जयपुर में एक ओरिएंटेंशन केंद्र स्थापित किया जाएगा जिसमें सभी उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा ताकि खरीददारों को आसानी हो। उत्पादों को प्रदर्शित करने और फिटिंग्स को लगाने के लिए देश भर में 22 और सिंगापुर में एक ओरिएंटेंशन केंद्र काम कर रहा है।

जीएसटी :1 जुलाई से बदल जायेगा रिटर्न फाइलिंग का तरीका

नई दिल्ली। 1 जुलाई से जीएसटी लागू होते ही रिटर्न फाइल करने का भी तरीका बदल जायेगा। एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के रूप में जीएसटी लागू होते ही मौजूदा अप्रत्यक्ष कर खत्म हो जाएंगे। जीएसटी सेल्फ-मॉनिटरिंग मेकनिजम पर काम करेगा। इस मॉडल के तहत वस्तु एवं सेवा मुहैया करवाने वाले और प्राप्त करने वालों के बीच इनवॉइस की बड़ी भूमिका होगी। दोनों इनवॉइस मैच करने और सप्लायर की ओर से टैक्स पे करने के बाद ही कन्ज्यूमर को इनपुट टैक्स क्रेडिट मिल पाएगा।

ऐसे में कोई भी ग्राहक वैसे वेंडरों के साथ ही बिजनस करना चाहेगा जो जीएसटी के नियम-कानून का सही-सही पालन करता हो। इस तरह जीएसटी लागू होने के बाद ग्राहक और दुकानदार या सेवा प्रदाता के बीच का भावनात्मक रिश्ता बदल जाएगा और कानून पालन की अनिवार्यता इस रिश्ते की जगह ले लेगी।

इस तरह जीएसटी लागू होने पर टैक्स कानून का पालन नहीं करने से फाइन, इंट्रेस्ट और पेनल्टीज के रूप में खर्चे बढ़ जाएंगे बल्कि आपके व्यवसाय पर भी असर होगा और कंप्लायंस रेटिंग भी घट जाएगी। चलिए, जीएसटी के तहत फाइल होने वाले विभिन्न प्रकार के रिटर्न्स के साथ-साथ इन्हें फाइल करते वक्त ध्यान रखने वाली बातों पर गौर करें…

महीने की 10 तारीख को फॉर्म जीएसटीआर-1
फॉर्म जीएसटीआर-1 में आपको हर महीने बेचे गए सामान या दी गई सेवाओं का विस्तृत जिक्र करना होगा। रजिस्टर्ड डीलरों को सप्लाइज के हरेक इनवॉइस और ग्राहकों के लिए सामानों और सेवाओं की कुल कर योग्य कीमत की जानकारी देनी होगी। अगर दूसरे राज्य के ग्राहक को की गई आपूर्ति की कर योग्य कीमत 2.5 लाख रुपये से अधिक है तो हर हरेक इनवॉइस का विवरण देना होगा।

11 तारीख को फॉर्म जीएसटीआर-2ए
जीएसटीआर-1 में सप्लायर की घोषणा के आधार पर महीने की 11वीं तारीख को प्राप्तकर्ता के लिए जीएसटीआर-2ए फॉर्म तैयार हो जाएगा। 11 से 15 तारीख के बीच इसमें संशोधन किया जा सकता है। रिटर्न फाइल करने के नजरिए से यह अवधि काफी महत्वपूर्ण होगी क्योंकि अगर इस दौरान आपने जीएसटीआर-2ए में संशोधन नहीं किया तो आपकी इनपुट टैक्स क्रेडिट एलिजिबलिटी पर असर पड़ सकता है। खास बात यह है कि नियमों का पालन करने और समय की बचत करने में टेक्नॉलजी आपकी बहुत मददगार साबित होगी।

15 तारीख को फॉर्म जीएसटीआर-2
फॉर्म जीएसटीआर-2ए में दी गई जानकारी के अतिरिक्त कोई दावा करने के लिए 15 तारीख तक जीएसटीआर-2 फॉर्म जमा कर देना होगा। जीएसटीआर-2 में दी गई जानकारी के आधार पर आपके ई-क्रेडिट लेजर में आईटीसी क्रेडिट हो जाएगा और इनवॉइस मैच होने पर यह पक्का हो जाएगा।

16 तारीख को फॉर्म जीएसटीआर-1ए
फॉर्म जीएसटीआर-2 में आप जो सुधार करेंगे, उन्हें आपके सप्लायर को फॉर्म जीएसटीआर-1ए के जरिए मुहैया कराया जाएगा। तब सप्लायर आपके संशोधनों को स्वीकार या खारिज करेगा।

20 तारीख को जीएसटीआर-3
फॉर्म जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-2 के आधार पर 20 तारीख को ऑटो-पॉप्युलेटेड रिटर्न जीएसटीआर-3 उपलब्ध हो जाएगा जिसे आप पेमेंट के साथ जमा कर सकते हैं।

फॉर्म जीएसटी एमआईएस-1 में इनपुट टैक्स क्रेडिट की आखिरी स्वीकृति
फॉर्म जीएसटीआर-3 में मंथली रिटर्न फाइल करने की सही तारीख के बाद आंतरिक आपूर्ति और बाह्य आपूर्ति में मिलान किया जाएगा। तब जीएसटी एमआईएस-1 में इनपुट टैक्स क्रेडिट को आखिरी स्वीकृति मिलेगी। बिलों के मिलान के वक्त इनका सहारा लिया जाएगा…

  • सप्लायर का जीएसटीआईएन
  • रिसीपिअंट का जीएसटीआईएन
  • इनवॉइस या डेबिट नोट नंबर
  • इनवॉइस या डेबिट नोट डेट
  • टैक्सेबल वैल्यू
  • टैक्स अमाउंट

इसी मिलान के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट के दावे पर विचार किया जाएगा।

 

5 साल बाद पेट्रोल 30 रुपए लीटर होगा, अमेरिका के फ्यूचरिस्ट टोनी सेबा का दावा

नई दिल्ली। अगर आप पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से परेशान हैं तो आपके लिए एक खुशखबरी है। अमेरिका के फ्यूचरिस्ट टोनी सेबा ने दावा किया है कि 5 साल बाद (साल 2022) पेट्रोल 30 रुपए प्रति लीटर की दर से बिकेगा। आपको बता दें कि राजधानी दिल्ली में फिलहाल पेट्रोल के दाम 65 रुपए कुछ पैसे हैं।

क्यों आएगी गिरावट

 नई तकनीकों के कारण ईंधन के तौर पर पेट्रोल पर दुनिया की निर्भरता काफी हद तक कम हो जाएगी और इस वजह से पेट्रोल की कीमतों में जबरदस्त गिरावट देखने को मिलेगी। यह दावा अमेरिका के फ्यूचरिस्ट टोनी सेबा ने किया है। टोनी के अनुसार सेल्फ ड्राइव कारों की तेजी से बढ़ती मांग के चलते ऑइल की डिमांड में जोरदार गिरावट आएगी और पेट्रोल के दाम 25 रुपये प्रति बैरल तक गिर सकते हैं।

क्या थी टोनी की भविष्यवाणी

अमेरिका के फ्यूचरिस्ट टोनी सेबा ने कई साल पहले भविष्यवाणी की थी कि दुनिया में सोलर पावर की मांग में तेजी देखने को मिलेगी। आज यह बात काफी हद तक सच साबित हो रही है। गौरतलब है कि सिलिकॉन वैली के आंत्रप्रेन्योर टोनी सेबा आंत्रप्रेन्योरशिप और क्लीन एनर्जी मामलों के इंस्ट्रक्टर भी हैं।

एनपीपीए ने किया 30 और दवाओं का अधिकतम खुदरा मूल्य तय

नई दिल्ली। राष्ट्रीय औषधि मूल्य प्राधिकरण (एनपीपीए) ने और 30 दवाओं (फार्मूलेशन) का अधिकतम खुदरा मूल्य/एमआरपी तय किया है। इन दवाओं का इस्तेमाल हेपेटाइटिस, ह्दय रोग, संक्रमण, बुखार और दर्द के इलाज के लिए होता है।

दवा मूल्य नियामक ने कहा कि जहां 19 अनिवार्य दवाओं के लिए अधिकतम मूल्य तय किया गया है, वहीं 11 के मूल्य में संशोधन किया गया है। एनपीपीए ने अधिसूचना में कहा,’सात दवाओं का खुदरा मूल्य तय किया गया है।’ ताजा मूल्य संशोधन से अप्रैल, 2016 से मूल्य नियंत्रण के दायरे में आने वाली दवाओं की संख्या 760 पर पहुंच गई है।

यह कदम सरकार की देशभर में मरीजों को उचित मूल्य पर गुणवत्ता वाली सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने की प्रक्रिया का हिस्सा है। एनपीपीए नियंत्रित थोक दवाओं और फार्मूलेशन का मूल्य तय और संशोधित करता है। वह देश में दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही बिना नियंत्रण वाली दवाओं के दाम उचित स्तर पर रखने के लिए मूल्य की निगरानी भी करता है।

ऋण लेने की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाएं बैंक- वसुंधरा राजे

राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) की बैठक

कोटा । मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने बैंकिंग कम्पनियों से कहा है कि कृषि ऋण जारी करने की प्रक्रिया को सरल एवं पारदर्शी बनाया जाए ताकि किसानों को समय पर ऋण उपलब्ध हो सके और उन्हें इस प्रक्रिया में देरी के कारण खुले बाजर से अधिक ब्याज दर पर कर्ज लेने को मजबूर न होना पडे़। उन्होंने कहा कि बैंक इसकी पूरी व्यवस्था करें कि किसानों को ऋण आवेदन करने के बाद इस प्रक्रिया की पूरी जानकारी एसएमएस पर मिलती रहे। 

राजे गुरुवार को कोटा स्थित आरएएसी ग्राउण्ड में ग्राम-2017 के आयोजन स्थल पर राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) की बैठक को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि हमने प्रदेश के विकास को ध्यान में रखते हुए भामाशाह योजना के प्रभावी क्रियान्वयन सहित बैंकिंग तंत्र से जुड़ी कई ठोस पहल की हैं।

उद्योगों के विकास एवं मकानों के निर्माण के लिए स्टांप ड्यूटी की अधिकतम सीमा 10 लाख रुपए से घटाकर 5 लाख की गई है। भामाशाह रोजगार सृजन योजना के अंतर्गत शिक्षित बेरोजगारों, महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं दिव्यांगजन को 5 लाख से 10 लाख रुपए तक के ऋण पर 4 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी दी जा रही है।

अच्छे लोन रिकॉर्ड वाले किसानों को ब्याज में छूट देने के लिए 370 करोड़ रुपए का प्रावधान वर्ष 2017-18 के राज्य बजट में किया गया है। सरकार ने लघु अवधि ऋणों की अधिक लागत के कारण सहकारी बैंकों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए 150 करोड़ रुपए का प्रावधान करने का भी निर्णय लिया है।

किसान किसी भी एटीएम से निकासी कर सकें, इसके लिए सहकारी बैंकों के किसान क्रेडिट कार्ड धारकों को 26 लाख रूपे किसान डेबिट कार्ड जारी किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने बैठक में उपस्थित बैंक प्रतिनिधियों से कहा कि प्राथमिकता वाले क्षेत्रों विशेषकर कृषि क्षेत्र पर फोकस किया जाये और ऋण जारी करने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए ताकि प्रदेश में उद्यमिता को बढ़ावा दिया जा सके। 

राजे ने दूर-दराज के क्षेत्रों में भी बैंकिंग सेवाओं का पर्याप्त विस्तार करने के निर्देश देते हुए कहा कि सरकार ऎसे इलाकों में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 20 हजार माइक्रो एटीएम उपलब्ध करवा रही है। उन्होंने ग्राम पंचायत स्तर से नीचे ऎडिशनल बिजनेस कॉरेस्पोन्डेन्ट लगाने के काम में तेजी लाने के निर्देश दिये। 

प्रमुख शासन सचिव वित्त पी.एस. मेहरा, प्रमुख शासन सचिव एमएसएमई सुबोध अग्रवाल ने विभिन्न योजनाओं में बैंकिंग सेक्टर से जुड़ी अपेक्षाओं के बारे में अवगत कराया। इस अवसर पर कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी, आरबीआई के सीजीएम पी.के. जैना, एसबीआई के सीजीएम विजय रंजन, नाबार्ड की सीजीएम सरिता अरोड़ा सहित विभिन्न सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बैंकिंग संस्थानों के उच्चाधिकारी, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी उपस्थित थे। 

ग्राम कोटा-2017 : 955 करोड़ के 21 एमओयू, किसान आगे बढ़ने को तैयार 

कोटा।  मुख्यमंत्री  वसुन्धरा राजे की उपस्थिति में ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट कोटा-2017 के दूसरे दिन गुरूवार को कृषि, कृषि प्रसंस्करण, कृषि विपणन एवं पशुपालन के क्षेत्र में 955 करोड़ 37 लाख रुपये के प्रस्तावित निवेश के कुल 21 एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये। इन एमओयू से 27 हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने की संभावना है। 

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि आज किसान नई तकनीक से जुड़ने, नवाचारों को अपनाने और आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं और इसी का परिणाम है कि ग्राम कोटा में हर रोज करीब 15 हजार से अधिक किसान पूरे उत्साह के साथ शिरकत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार एवं निवेशकों को साथ मिलकर किसानों की आशाओं एवं आकांक्षाओं को पूरा करते हुए प्रदेश को समृद्ध बनाना है।
 
 राजे ने निवेशकों को बधाई देते हुए कहा कि हमारे लिए छोटे से छोटा निवेश भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें निवेश की राशि से अधिक प्रदेश के विकास में सहभागिता की भावना झलकती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद निवेशकों ने इनसे तालमेल बिठाते हुए विषमताओं को संभावनाओं में बदलने का संकल्प लिया है।

उन्होंने इस अवसर पर कृषि विभाग की प्रमुख शासन सचिव  नीलकमल दरबारी को निर्देश दिए कि जिन जिलों में निवेश के प्रस्ताव आए हैं वहां के कलक्टरों से बात कर उन्हें निवेशकों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए कहें, ताकि यह निवेश जल्द से जल्द धरातल पर उतर सके। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर निवेशकों से बातचीत कर उनके निवेश प्रस्तावों के बारे में जानकारी ली ।

रॉयल काजू इण्डस्ट्रीज के प्रतिनिधि ने बताया कि वे काजू उत्पादन क्षेत्र से सैंकड़ों किलोमीटर दूर स्थित सीकर क्षेत्र को काजू प्रोसेसिंग का हब बनाना चाहते हैं। इस पर राजे ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि आप अपने इरादों में कामयाब होंगे। कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने कहा कि हम मुख्यमंत्री  के निर्देशानुसार कृषि क्षेत्र में उत्पादन, उत्पादकता, गुणवत्ता, प्रोसेसिंग एवं वेल्यू एडिशन के लिए काम कर रहे हैं।

 

धनिया पर अफवाहों से बचें, NCDEX की सलाह

मुंबई। धनिया की कीमतों में पिछले डेढ़ महीने से एकतरफा गिरावट पर कमोडिटी एक्सचेंज NCDEX ने बुधवार को अपनी प्रतिक्रिया दी है।एक्सचेंज लगातार कड़े निगरानी और जोखिम प्रबंधन ढांचे के साथ धनिया में स्थिति की निगरानी कर रहा है। बाजार प्रतिभागियों को सलाह दी जाती है कि वे एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर कारोबार करते समय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सोशल नेटवर्क, एसएमएस, व्हाट्सएप इत्यादि जैसे विभिन्न माध्यमों के माध्यम से फैले निराधार अफवाहों का पालन न करें।

एक्सचेंज का कहना है कि हाल के दिनों में सिर्फ वायदा बाजार ही नहीं बल्कि हाजिर मंडियों में भी धनिया की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है, 2 मई से लेकर 24 मई के दौरान एक्सचेंज के प्लेटफॉर्म पर धनिया में 22 फीसदी की भारी गिरावट आई है, इस दौरान एक्सचेंज पर मॉनिटर होने वाले कोटा मंडी के धनिया के भाव में 18 फीसदी और गुजरात के गोंडल में 22 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

इस दौरान कोटा और गोंडल मंडियों के भाव के लिए अगर सरकारी संस्था एगमार्कनेट के मॉडल प्राइस को देखें तो वह भी 21 फीसदी और 20 फीसदी घटा है। ऐसे में वायदा बाजार में जैसी गिरावट है वैसी ही गिरावट हाजिर मंडियों में भी देखी जा रही है। एक्सचेंज के मुताबिक धनिया में सट्टेबाजी को कम करने के लिए उनकी तरफ से कई कदम उठाए जा चुके हैं।

बिकवाली पर स्पेशल मार्जिन लगाया गया है, कंस्ट्रेशन मार्जिन के लिए ओपन इंटरेस्टर थ्रेशहोल्ड लेवल को घटाया गया है, ईएलएम मार्जिन में बढ़ोतरी की गई है और साथ में ज्यादा स्टॉक होल्डिंग पर अतीरिक्त शुल्क भी लगाया गया है। वर्तमान में, धनिया में एनसीडीईएक्स पर कुल खुले ब्याज 59,610 मीट्रिक टन है।

साथ ही करीब महीना (जून 2017) 43,180 मीट्रिक टन खुले ब्याज एक्सचेंज में कुल स्टॉक विभिन्न केंद्रों पर अनुमोदित गोदामों – गोंडाल, कोटा, रामगंज मंडी, जयपुर और बरान 32,100 मीट्रिक टन एक्सचेंज पर मई 2017 की समाप्ति के अनुबंध के लिए 4,410 मीट्रिक टन का कुल वितरण किया गया है।
 

जीएसटी व्यवस्था में सोने पर टैक्स का बोझ कम किया जाए: डब्ल्यूजीसी

कोलकाता। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) ने सरकार से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में सोने और स्वर्ण उत्पाद पर कर का प्रभाव कम करने का आग्रह किया है।

डब्ल्यूजीसी के प्रबंध निदेशक सोमसुंदरम पी आर ने आज यहां बांग्ला में  नई वृहद भारत स्वर्ण रिपोर्ट पेश किए जाने के मौके पर कहा, हम उम्मीद करते हैं कि जीएसटी व्यवस्था में  सोने पर कर का कुल बोझ मौजूदा 12 प्रतिशत से घटकर आधा रह जाएगा।

यह रिपोर्ट 15 साल बाद प्रकाशित की गई है और अंग्रेजी, हिंदी, मलयालम और तमिल में  भी उपलब्ध है। फिलहाल सोने पर कुल कराधान 12 से 13 प्रतिशत बैठता है। इसमें 10 प्रतिशत सीमा शुल्क के अलावा एक प्रतिशत उत्पाद शुल्क और राज्यों  के हिसाब से एक से डेढ़ प्रतिशत वैट शामिल है।

सोमसुंदरम ने कहा, जीएसटी व्यवस्था में हम मांग करते हैं कि सोने पर कर का बोझ 6-7 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। हमें इसके लिए कुछ इंतजार करना होगा, जब इस पर जीएसटी दरों  की घोषणा होगी।

उनसे पूछा गया कि जब सोना निष्क्रिय संपत्ति है तो सरकार को इस पर कर की दरें कम क्यों  करनी चाहिए, इस पर सोमसुंदरम ने कहा कि सोने का आयात इतना बुरा नहीं है जितना लगता है।

डब्ल्यूजीसी के अधिकारी ने उम्मीद जताई कि जीएसटी से स्वर्ण उद्योग में काफी पारदर्शिता आएगी। इससे गैरकानूनी आयात पर भी अंकुश लगेगा, जो सालाना 120 टन बैठता है।