Tuesday, November 5, 2024
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उत्पादन में कमी से चाय की कीमतों में उछाल

पश्चिम बंगाल के डुआर्स और तराई क्षेत्रों में प्रतिकूल जलवायु के कारण चाय उत्पादन में 90 लाख किलो की कमी दर्ज की गई

नई दिल्ली । कई महीनों तक कीमतों में स्थिरता के बाद अब चाय की कीमतें धीरे-धीरे बढ़ रही हैं। इसके पीछे उत्पादन घटने के साथ ही अन्य कारण जिम्मेदार हैं। टीबोर्ड से प्राप्त जानकारी के मुताबिक सितंबर में उत्तर भारत में चाय का उत्पादन 4.2 करोड़ किलो की गिरावट आई।

असम में चाय के उत्पादन में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई। यह सितंबर में करीब 3.1 करोड़ किलोग्राम कम रहा। इसके अलावा पश्चिम बंगाल के डुआर्स और तराई क्षेत्रों में प्रतिकूल जलवायु के कारण चाय उत्पादन में 90 लाख किलो की कमी दर्ज की गई। वर्ष 2016 में भारत में कुल 126.74 करोड़ किलो चाय का उत्पादन हुआ था।

इसमें से असम और पश्चिम बंगाल में कुल उत्पादन 105.45 करोड़ किलोग्राम रहा। उत्तर पूर्व चाय संघ के सलाहकार और टी बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष विद्यानंद बारकाकोटे ने बताया कि सितंबर व अक्टूबर महीने असम के सालाना चाय उत्पादन में 25 से 30 फीसद का योगदान करते हैं।

चाय बागान

यहां सितंबर में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में उत्पादन में 25 फीसद की गिरावट दर्ज की गई।

हालांकि अक्टूबर में उत्पादन ठीक-ठाक रहा। अनुमान है कि इस साल असम के चाय उत्पादन में पिछले साल की तुलना में कुल मिलाकर पांच फीसद तक की गिरावट आएगी।

इसे देखते हुए आने वाले महीनों में चाय की कीमतों में वृद्धि की आशंका बढ़ गई है। भारत के सालाना चाय उत्पादन का करीब 50 फीसद असम में ही होता है।

सहकारी समितियां नाम के साथ ‘बैंक’ न जोड़ें : आरबीआई

RBI की आम लोगों से भी सहकारी समितियों से कामकाज में सतर्कता बरतने की अपील 

नई दिल्ली । भारतीय रिजर्व बैंक ने कोऑपरेटिव सोसायटी यानी सहकारी समितियों को निर्देश दिया है कि वे अपने नाम के साथ बैंक शब्द का इस्तेमाल नहीं करें क्योंकि यह बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के विरुद्ध है।

एक बयान में रिजर्व बैंक ने कहा कि उसे यह भी जानकारी मिली है कि राजस्थान के कोटा ,जयपुर और जोधपुर समेत कई शहरों कुछ सहकारी समितियां आम लोगों से जमा स्वीकार कर रही हैं। कानून के प्रावधानों के मुताबिक यह बैंकिंग कारोबार के दायरे में आता है, इस वजह से यह करना नियमों का उल्लंघन है।

बयान के अनुसार इन समितियों को बैंक का कोई लाइसेंस नहीं दिया गया है। RBI ने उन्हें बैंकिंग व्यवसाय के लिए अधिकृत भी नहीं किया है। समितियों में जमा राशि पर लोगों को डीआइसीजीसी की बीमा सुरक्षा भी नहीं मिलेगी।

रिजर्व बैंक ने आम लोगों से भी सहकारी समितियों से कामकाज में सतर्कता बरतने की अपील की है। समितियों के साथ बैंकों की तरह लेनदेन नहीं किया जाना चाहिए। सरकारी समितियां बैंक की तरह पैसा जमा नहीं कर सकती हैं।

आरबीआई ने कम किया नए नोटों की छपाई का ऑर्डर
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने नए नोटों की छपाई के ऑर्डर में कटौती कर दी है। यह कटौती बीते पांच वर्षों में सबसे कम है। इसका कारण करेंसी चेस्ट में पर्याप्त जगह न होना है।

यह जानकारी एक मीडिया रिपोर्ट के जरिए सामने आई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक आरबीआई के करेंसी चेस्ट और कॉमर्शियल बैंकों में जगह न होने का मुख्य कारण बीते वर्ष देश में नोटबंदी के बाद पुराने 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करना है। ये पुराने नोट इन करेंसी चेस्ट में पहले से पड़े हैं।

रेल टिकटों के लिए डिजिटल पेमेंट्स पर चार्ज खत्म करें बैंक

नई दिल्ली। रेलवे ने बैंकों से रेल टिकटों के लिए डिजिटल पेमेंट्स पर लिए जाने वाले चार्ज को खत्म करने या इसमें बड़ी कटौती की मांग की है। रेलवे ने कहा है कि अगर बैंक यह चार्ज खत्म करते हैं या इसमें बड़ी कटौती करते हैं तो उन्हें और ज्यादा बिजनस मिलेगा।

इस चार्ज को मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) कहा जाता है। रेलवे ने कहा है कि इस कदम से डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा मिलेगा और बैंकों, ट्रैवलर्स और साथ ही रेलवे को भी फायदा होगा। अधिकारियों का कहना है कि इससे रेलवे को रेल टिकटों की विंडो बुकिंग पर होने वाले खर्च को घटान में मदद मिलेगी और यात्रियों की लागत कम होगी।

रेलवे चाहता है कि उसका टिकट बिजनस पूरी तरह से कैशलेस हो जाए ताकि टिकट विंडो को मैनेज करने पर आने वाली लागत कम की जा सके। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रेलवे ने सभी प्रमुख बैंकों के हेड्स को लिखकर एमडीआर में छूट देने की मांग की है ताकि डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा दिया जा सके।

अधिकारी ने कहा, ‘रेलवे ने बैंकों से कहा है कि अगर वे चार्जेज को खत्म या न्यूनतम करेंगे तो रेलवे इसके बदले उनकी बैंकिंग सुविधाओं का इस्तेमाल अपने डिपॉजिट्स और एंप्लॉयीज की सैलरी के लिए करेगा।’ अधिकारी ने बताया कि रेल मिनिस्टर पीयूष गोयल ने एसबीआई चेयरमैन रजनीश कुमार के साथ इस मसले पर कई मर्तबा बात की है।

एमडीआर एक दर होती है, जिसे बैंक क्रेडिट और डेबिट कार्ड सर्विसेज मुहैया कराने के बदले मर्चेंट से लेते हैं। यह वॉल्यूम, एवरेज टिकट प्राइस, रिस्क और इंडस्ट्री के हिसाब से तय होता है। अभी इंडियन रेलवे कैटरिंग ऐंड टूरिजम कॉर्पोरेशन (आईआरसीटीसी) एमडीआर को कन्ज्यूमर्स से वसूलती है।

आईआरसीटीसी रेलवे की कैटरिंग, टूरिजम और ऑनलाइन टिकटिंग ऑपरेशंस मैनेज करती है। यह चार्ज 10 रुपये और टैक्स से लेकर सौदे की 1.8 पर्सेंट और टैक्स तक जाता है। अधिकारियों ने कहा कि यह चार्ज टिकट खिड़की पर डिजिटल पेमेंट्स को हतोत्साहित करता है।

इसी तरह से रेलवे ने आईआरसीटीसी से कहा है कि वह नो सर्विस चार्ज पॉलिसी पर टिकी रहे और अपने कैटरिंग बिजनस के लिए भी मेकनिजम निकाले साथ ही कस्टमर्स को एमडीआर चुकाने के बोझ से बचाए। रेलवे रिजर्वेशन काउंटर्स पर 15,000 पॉइंट ऑफ सेल मशीनें लगा रहा है।

फिलहाल ऐसे टिकट काउंटरों की संख्या बेहद कम है, जहां डेबिट और क्रेडिट कार्ड्स के जरिए पेमेंट करने के लिए पीओएस सर्विस मिलती हो। रेलवे की योजना सभी 12,000 टिकट काउंटरों को एक या अधिक पीओएस मशीनों से लैस करने की है। अधिकारी ने कहा, ‘हमारे स्टाफ के लिए कैश मैनेज करना बड़ा काम है। 

एयरटेल पेमेंट्स बैंक में चुपके से खोले अकाउंट्स?

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UIDAI ने दिया भारती एयरटेल के खिलाफ जांच का आदेश

नई दिल्ली। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने आधार ऐक्ट के कथित उल्लंघन के मामले में भारती एयरटेल के खिलाफ जांच का आदेश दिया है।

आरोप है कि ग्राहकों ने मोबाइल नंबर का आधार वेरिफिकेशन कराया, उसी दौरान कंपनी ने ग्राहकों के एयरटेल पेमेंट्स बैंक में चुपके से खाते खोल दिए। यूआईडीएआई भारती एयरटेल पर जुर्माना लगाने की धमकी दे रहा है।  पहली नजर में शिकायत सही पाए जाने के बाद कंपनी के खिलाफ जांच का आदेश दे दिया गया।

पहचान गुप्त रखने की शर्त पर एक सूत्र ने बताया, ‘ये गड़बड़ियां बेहद गंभीर प्रकृति की हैं। पहली नजर में यह विश्वास और अनुबंध का आपराधिक उल्लंघन है। साथ ही, आधार ऐक्ट के प्रावधानों का भी उल्लंघन हुआ है।’

भारती एयरटेल की चालबाजी तब पकड़ी गई जब एयरटेल के कुछ ग्राहकों की एलपीजी सब्सिडी की रकम उनकी ओर से निर्धारित बैंकों के बचत खातों की जगह एयरटेल पेमेंट्स में जमा होने लगी।ऐसे ज्यादातर ग्राहकों ने सब्सिडी की रकम यूं ट्रांसफर होने की शिकायत की और कहा कि उन्हें एयरटेल पेमेंट्स बैंक अकाउंट्स की कोई जानकारी नहीं है।

उनका कहना है कि उन्होंने एयरटेल पेमेंट्स बैंक में अपने खाते खोलने की अनुमति नहीं दी थी और उन्हें बिना बताए खाते खोल दिए गए। केंद्र सरकार की प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) योजना के तहत करीब 40 करोड़ रुपये सब्सिडी के रूप में सीधे ग्राहकों के खाते में जमा होते हैं।

लेकिन शिकायत की सूचना मिलने के बाद यूआईडीएआई ने पहले एयरटेल को शोकाउज नोटिस जारी किया। संपर्क किए जाने पर यूआईडीएआई के सीईओ अजय भूषण पाण्डेय ने कहा कि आधार वेरिफिकेशन प्रोसेस के दौरान कुछ खास टेलिकॉम कंपनियों के खिलाफ गड़बड़ियों की शिकायतें मिली हैं।

पाण्डेय ने कहा, ‘हमने इस मामले की जांच का आदेश दिया है। अगर सिलसिलेवार जांच के बाद शिकायतें सही पाई गईं तो यह एक गंभीर मामला होगा।’ उन्होंने कहा, ‘जांच चल रही है और हम जल्द ही इस मामले में फैसला लेंगे।’

इधर, एयरटेल से संपर्क करने पर उसके प्रवक्ता ने कंपनी की ओर से कोई गड़बड़ी किए जाने की बात खारिज कर दी, हालांकि उन्होंने कहा कि कंपनी अपने रीटेल पार्टनर्स से आधार वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को दुरुस्त करने और इसमें पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए काम काम कर रही है।

सवालों की एक बड़ी फेहरिस्त के जवाब में कंपनी ने कहा, ‘एयरटेल पेमेंट्स बैंक पूरी तरह सभी निर्देशों का पालन करता है और ग्राहकों को जोड़ने की काफी सघन प्रक्रिया अपनाता है। एयरटेल पेमेंट्स बैंक अकाउंट्स ग्राहकों की स्पष्ट सहमति के बाद ही खोले जाते हैं। डीबीटी के लिए ग्राहकों की अलग से सहमति ली जाती है।’

150 अंक टूटा सेंसेक्स, निफ्टी 10,300 के आसपास

नई दिल्ली। नवंबर डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्टस की एक्सपायरी से पहले गुरुवार को शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी गिरावट के साथ खुले।

30 शेयरों का बीएसई सेंसेक्स 33,542 और 50 शेयरों का एनएसई निफ्टी 10,328 अंकों के साथ खुलने के बाद 9:46 बजे क्रमशः 172.46 और 57.95 अंक टूटकर 33,430 और 10,303 पॉइंट्स तक गिर गए। दरअसल, निवेशकों की नजर आज आनेवाले जीडीपी के आंकड़ों और तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक के फैसलों पर भी है।

वेदांता, टेक महिंद्रा, ऐक्सिस बैंक, अल्ट्राटेक सीमेंट, एसबीआई, कोटक महिंद्रा बैंक, अडाणी पोर्ट्स, टाटा मोटर्स और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियों के शेयर शुरुआती कारोबार में ही टूट गए। हालांकि, इस दौरान सन फार्मा, इंडियाबुल्स हाउजिंग फाइनैंस, बॉश, इंडसइंड बैंक, विप्रो और ऑरबिंदो फार्मा जैसे शेयरों ने मजबूती हासिल की।

शुरुआती कारोबार में निफ्टी मिडकैप शेयरों में 0.4 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। फ्यूचर रिटेल, मैकलॉयड रसेल, बालाजी टेलिफिल्म्स, जीएनए ऐक्सलेस, इंडियाबुल्स रियल, पूर्वांकरा, डेल्टा कॉर्प और गैटी के शेयर 1 से 4 प्रतिशत तक टूट गए जबकि टीबीजेड के शेयर 9 प्रतिशत गिरे और मुक्ता आर्ट्स ने 13 प्रतिशत तेजी हासिल की।

100 साल पहले मजबूरी में छापा गया था 1 रुपए का नोट, जानिए वजह

एक रुपए का नोट जारी करने के पीछे की एक रोचक कहानी

नई दिल्ली । ये पहले विश्वयुद्ध का दौर था, जब टकसालों की अक्षमता के कारण तत्कालीन औपनिवेशिक अधिकारियों को सिक्के के बजाए 1 रुपए का नोट छापने को मजबूर होना पड़ा।

इस घटना को आज 100 साल बीत चुके हैं। यानी कि आज ही के दिन 100 साल पहले 1 रुपए का पहला नोट भारत में जारी किया गया था।

कैसा दिखता था 1 का नोट और किसकी थी फोटो:

हालांकि साल 1940 में इसे एक बार फिर से लॉन्च किया गया। वहीं साल 1994 में एक बार फिर से इसकी छपाई को रोक दिया गया।

मगर देश की अर्थव्यवस्था के इस सबसे छोटे नोट ने साल 2015 में फिर से वापसी की।

तमाम बार गुमनामी में जाने के बाद भी इसने अपने अनूठे भेदों को बरकरार रखा है और इसे आज भी कानूनी भाषा में सिक्का कहा जाता है।

कौन जारी करता है 1 का नोट: आप में से बहुत ही कम लोगों को यह जानकारी होगी कि 1 रुपए का नोट आरबीआई की ओर से नहीं बल्कि भारत सरकार की ओर से जारी किया जाता है।

एक रुपये के नोट पर वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं। जबकि अन्य सभी नोटों पर आरबीआई गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं। यह शायद भारत का एकलौता नोट है जिस पर “मैं धारक को वचन देता हूं’’, जो कि एक दायित्व होता है नहीं छपा होता है।

क्यों गायब हुआ नोट : दादर (मध्य मुंबई) के एक वरिष्ठ कलेक्टर गिरीश वीरा ने बताया, “जब इसे जारी किया गया तब इसने सिल्वर (चांदी) क्वाइन की जगह ली, जो कि राजसी मुद्रा के भंडारण का एक प्रचलित तरीका था।

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान चांदी की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिला और इसी वजह से अंग्रेजों को मजबूरन प्रचलित चांदी के सिक्के के साथ नोट छापना पड़ा।”

पहले नोट पर थे किसके हस्ताक्षर: एक रुपए के नोट पर उस समय के तीन ब्रिटिश वित्त सचिवों की ओर से हस्ताक्षर किए गए थे जिनमें एमएमएस गबी, एसी मैक्वैटर और एच डेनिंग प्रमुख थे। आजादी के बाद भी यही परिपाटी चली आ रही है कि 1 रुपए के नोट पर वित्त सचिव हस्ताक्षर करता है।

(नोट: इस नोट पर एमएमएस गबी के हस्ताक्षर हैं जो ब्रिटिश काल में तात्कालीन वित्त सचिव थे।)

1949 में भारतीय नोट से हटे जॉर्ज पंचम: इस नोट को लेकर एक बड़ा बदलाव साल 1940 में देखने को मिला जब ब्रिटिशर ने इसके फीचर में बदलाव कर दिया।

इसके बाद साल 1949 में भारत सरकार ने (आजादी मिलने के 2 साल बाद) ब्रिटिश सिंबल को हटाकर नए बने रिपब्लिक का सिंबल लगाया। वहीं साल 2016 में इसका एक और नया स्वरूप सामने आया।

अब इंटरनेट सर्विस के लिए भी जरूरी होगा आधार कार्ड

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बेंगलुरु। अगर आप इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं और अभी तक आपने अपना आधार कार्ड नहीं बनवाया है, तो सबसे पहले यह काम कर लीजिए। क्योंकि अब देश में इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए आधार कार्ड का होना जरूरी बनने जा रहा है।

देश में इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाली कंपनियां अब अपने ग्राहकों को उनके आधार कार्ड का नंबर जानने के बाद ही इंटरनेट सेवाएं देंगी।

इंटरनेट सेवाएं देने वाली कंपनियां अब अपनी सेवाओं के इस्तेमाल से पहले ग्राहको से उनके 12 नंबर के यूनीक आइडेंटिटी नंबर की डिटेल्स मांगेंगी। अब बिना आधार नंबर के किसी उपभोक्ता को इंटरनेट कनेक्शन और सेवा नहीं मिलेगी।

इसी तरह ऑनलाइन उत्पाद बेचने वाली कंपनी ऐमजॉन ने भी अपने ग्राहकों को अपनी वेबसाइट पर उनका आधार नंबर अपलोड करने को कहा है।

कंपनी का मानना है कि आधार नंबर से ग्राहकों के खो जाने वाले सामान को ट्रैक करना आसान होगा, वहीं बेंगलुरु में किराए पर कार देने वाली कंपनी जूमकार ने भी अपनी बुकिंग के लिए आधार नंबर को जरूरी कर दिया है।

17 साल पुराना रिकॉर्ड मांगा तो बंद कर दिए प्राइवेट स्कूल

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कोटा। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने निजी स्कूलों से 17 साल पुराना ऑनलाइन रिकॉर्ड मांगने समेत अन्य व्यवस्थाएं थोपने के विरोध में प्रदेश आह्वान पर कोटा में प्राइवेट स्कूल संगठन समिति ने स्कूलों को बंद करने का आह्वान किया है। एेसे में जिले के निजी स्कूल गुरुवार को बंद रहेंगे।

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष सत्यप्रकाश शर्मा ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा 2001 से 2017 तक की सम्पूर्ण सूचनाएं, जिसमें वार्षिक शुल्क, सम्बद्वता शुल्क, अध्यापक विवरण, अन्य कई सूचनाएं ऑनलाइन मांगी जा रही है, जो किसी प्रकार से उचित नहीं है।

51 स्कूलों को बंद करने का निर्णय
इसी मामले में निजी विद्यालयों के सभी संगठनों की हुई बैठक में आरबीएसई व उससे जुड़े जिले के कुल 1105 निजी स्कूल गुरुवार को बंद रखने का निर्णय किया। प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसायटी के महामंत्री संजय शर्मा ने बताया कि सरकार ने इस सत्र से कक्षा पांचवीं के विद्यार्थियों के लिए बोर्ड अनिवार्य किया हैं, जो किसी भी प्रकार से इतने छोटे बच्चों के लिए उचित नहीं है।

कोटा एजुकेशन डवलपमेंट के अध्यक्ष ओम माहेश्वरी व सचिव कुलदीप माथुर, निजी विद्यालय संचालक संस्थान के महामंत्री पंकज महेन्द्र वात्स्य, गैर सरकारी विद्यालय संचालक संघ के संरक्षक मुकुट कुशवाह व प्रोग्रेसिव सहोदय काम्पलेक्स ने बंद का पूर्ण समर्थन किया है।  कुशवाह ने बताया कि कोटा से करीब 200 निजी स्कूल संचालक गुरुवार को अजमेर बोर्ड का घेराव करेंगे। 

56 देशों में फ्री इलाज मिलता है तो भारत में क्यों नहीं?

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विधायक भवानी सिंह राजावत ने पीएम को लिखा पत्र, देश के प्रत्येक नागरिक को निशुल्क चिकित्सा उपलब्ध करवाने की मांग

कोटा। लाडपुरा विधायक भवानी सिंह राजावत ने इलाज के अभाव में मरते निर्धन अक्षम रोगियों की जान बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर देश के प्रत्येक नागरिक को निशुल्क चिकित्सा उपलब्ध करवाने की मांग की है।

उन्होंने कहा कि दुनिया के 56 देशों में निशुल्क इलाज की सुविधा है, जो भारत से भी छोटे हैं। तो क्या भारत में ऐसा नहीं किया जा सकता। अलग-अलग योजनाएं लागू करने की बजाय एकमात्र सिर्फ आधार कार्ड के पंजीयन पर मरीज को निशुल्क इलाज किया जाना चाहिए।

विधायक ने पत्र में लिखा है कि वर्तमान में देश में चिकित्सा का आधारभूत ढांचा बहुत बिगड़ा हुआ है, आबादी के अनुपात में चिकित्सालय उपलब्ध नहीं हैं, जहां चिकित्सालय हैं, वहां चिकित्साकर्मी नहीं हैं। सरकारी चिकित्सालयों के अलावा निजी चिकित्सालयों में भी रोगी भार बहुत अधिक है।

हाल ही में राजस्थान सहित देश के कई भागों में फैले डेंगू स्वाइन फ्लू रोग से हुई मौतों की ओर ध्यान आकृष्ट करवाते हुए विधायक ने लिखा है कि गत सीजन में ही इन रोगों से अकेले कोटा शहर में ही लगभग 1800 रोगी अस्पतालों में भर्ती हुए और 500 से अधिक मरीज असमय काल कलवित हो गए।

इन बीमारियों के अलावा देश के कई नागरिक कैंसर, हृदय, किडनी, लीवर के असाध्य रोगों से जूझते हुए जान दे देते हैं। प्रधानमंत्री सहायता कोष से बीपीएल श्रेणी अन्य अल्प आय वर्ग के लोगों को उपचार के लिए 30-40 प्रतिशत सहायता प्रदान की जाती है, लेकिन जटिल प्रक्रिया और जानकारी के अभाव में अधिकांश लोग लाभ नहीं ले पाते।

वर्तमान में दुनिया में आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी जैसे विकसित और मकाऊ, साइप्रस, माल्टा जैसे छोटे देशों सहित कुल 56 से अधिक देशों में निशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है।

कोटा स्टोन उद्योग पर GST दर को लेकर भ्रम, देखिये वीडियो

जीएसटी समाधान शिविर में भी नहीं हुआ उद्यमियों की समस्याओं का समाधान

कोटा। हाड़ौती के प्रमुख कोटा स्टोन उद्योग को राज्य सरकार ने बढ़ी हुई रॉयल्टी दरें वापस लेकर बहुत बड़ी राहत प्रदान की है। किन्तु केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के कोटा स्टोन पर  18 प्रतिशत की GST दर के बयान के बाद उद्यमियों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

यह मानना है हाड़ौती कोटा स्टोन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष छुट्टन लाल शर्मा का। उन्होने हमारे चैनल को एक भेंट में बताया कि वित्त मंत्री के बयान के बाद उद्यमी माल की बिलिंग नहीं कर पा रहे हैं। कुछ 5 तो कुछ 18 प्रतिशत में बिल काट रहे हैं।

अधिकारी इस मामले में स्थिति स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं.  इसके बाद दी एएसआई एसोसिएशन, लघु उद्योग भारती और केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर विभाग की ओर से बुधवार को पुरुषार्थ भवन में जीएसटी समाधान शिविर का आयोजन किया गया।

वहां भी शर्मा ने जीएसटी की दरों पर हो रहे भ्रम को दूर करने का आग्रह किया। सीजीएसटी के डिप्टी कमिश्नर नरेश बुन्देल ने उद्यमियों का आश्वत किया कि 3 दिसंबर को कमिश्नर कोटा आएगी, उनके सामने अपना प्रजेंटेशन देंगे, तो शायद समस्या दूर हो सके।

इस मौके पर एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष गोविंदराम मित्तल ने बुन्देल को कोटा स्टोन के अलग -अलग सेम्पल दिखाकर बताया कि फैक्ट्री में सिर्फ स्टोन की चिराई होती है। उन्होंने कोटा स्टोन की टाइल्स भी उन्हें दिखाई।  

इस अवसर पर उद्यमियों ने जीएसटी रिटर्न, रिफंड समेत कई समस्याएं उपायुक्त बुन्देल के सामने रखी. शिविर में एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम भाटिया और सचिव राजकुमार जैन भी मौजूद थे।