एक रुपए का नोट जारी करने के पीछे की एक रोचक कहानी
नई दिल्ली । ये पहले विश्वयुद्ध का दौर था, जब टकसालों की अक्षमता के कारण तत्कालीन औपनिवेशिक अधिकारियों को सिक्के के बजाए 1 रुपए का नोट छापने को मजबूर होना पड़ा।
इस घटना को आज 100 साल बीत चुके हैं। यानी कि आज ही के दिन 100 साल पहले 1 रुपए का पहला नोट भारत में जारी किया गया था।
कैसा दिखता था 1 का नोट और किसकी थी फोटो:
हालांकि साल 1940 में इसे एक बार फिर से लॉन्च किया गया। वहीं साल 1994 में एक बार फिर से इसकी छपाई को रोक दिया गया।
मगर देश की अर्थव्यवस्था के इस सबसे छोटे नोट ने साल 2015 में फिर से वापसी की।
तमाम बार गुमनामी में जाने के बाद भी इसने अपने अनूठे भेदों को बरकरार रखा है और इसे आज भी कानूनी भाषा में सिक्का कहा जाता है।
कौन जारी करता है 1 का नोट: आप में से बहुत ही कम लोगों को यह जानकारी होगी कि 1 रुपए का नोट आरबीआई की ओर से नहीं बल्कि भारत सरकार की ओर से जारी किया जाता है।
एक रुपये के नोट पर वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं। जबकि अन्य सभी नोटों पर आरबीआई गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं। यह शायद भारत का एकलौता नोट है जिस पर “मैं धारक को वचन देता हूं’’, जो कि एक दायित्व होता है नहीं छपा होता है।
क्यों गायब हुआ नोट : दादर (मध्य मुंबई) के एक वरिष्ठ कलेक्टर गिरीश वीरा ने बताया, “जब इसे जारी किया गया तब इसने सिल्वर (चांदी) क्वाइन की जगह ली, जो कि राजसी मुद्रा के भंडारण का एक प्रचलित तरीका था।
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान चांदी की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिला और इसी वजह से अंग्रेजों को मजबूरन प्रचलित चांदी के सिक्के के साथ नोट छापना पड़ा।”
पहले नोट पर थे किसके हस्ताक्षर: एक रुपए के नोट पर उस समय के तीन ब्रिटिश वित्त सचिवों की ओर से हस्ताक्षर किए गए थे जिनमें एमएमएस गबी, एसी मैक्वैटर और एच डेनिंग प्रमुख थे। आजादी के बाद भी यही परिपाटी चली आ रही है कि 1 रुपए के नोट पर वित्त सचिव हस्ताक्षर करता है।
(नोट: इस नोट पर एमएमएस गबी के हस्ताक्षर हैं जो ब्रिटिश काल में तात्कालीन वित्त सचिव थे।)
1949 में भारतीय नोट से हटे जॉर्ज पंचम: इस नोट को लेकर एक बड़ा बदलाव साल 1940 में देखने को मिला जब ब्रिटिशर ने इसके फीचर में बदलाव कर दिया।
इसके बाद साल 1949 में भारत सरकार ने (आजादी मिलने के 2 साल बाद) ब्रिटिश सिंबल को हटाकर नए बने रिपब्लिक का सिंबल लगाया। वहीं साल 2016 में इसका एक और नया स्वरूप सामने आया।