मानसून में देरी से खरीफ फसलों की बोआई में करीब 49 फीसदी कमी

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नई दिल्ली। मानसून में देरी से चालू खरीफ सीजन में अब तक पिछले सीजन से खरीफ फसलों की बोआई में करीब 49 फीसदी कमी आई है। सबसे ज्यादा दलहन फसलों की बोआई प्रभावित हुई है। गन्ना की बोआई तो शुरू ही नहीं हो पाई है। देश में 15 जून तक सामान्य से 50 फीसदी कम बारिश हुई है।

कमोडिटी एक्सपर्ट इंद्रजीत पॉल कहते हैं कि मानसून में देरी के कारण बोआई में कमी आ रही है। मध्य प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में बोआई काफी कम है। हालांकि अभी खरीफ फसलों की बोआई शुरुआती चरण में हैं। ऐसे में आगे अच्छी बारिश होने पर बोआई में इजाफा होने की उम्मीद है।

खरीफ फसलों की कुल बोआई 49 फीसदी घटी
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में अब तक 16 जून तक करीब 49.48 लाख हेक्टेयर भूमि में खरीफ फसलों की बोआई हो चुकी है। पिछली समान अवधि में यह आंकडा 97.84 लाख हेक्टेयर था। इस तरह खरीफ फसलों की बोआई पिछले साल की तुलना में अब तक करीब 49 फीसदी कम हुई है। खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान के रकबे में भी गिरावट दर्ज की गई है। अब तक करीब 5.32 लाख हेक्टेयर में धान की बोआई हो चुकी है, जो पिछली समान अवधि के रकबा 6.23 लाख हैक्टेयर से 15 फीसदी कम है। कपास की बोआई 5 फीसदी बढ़कर करीब 20 लाख हेक्टेयर दर्ज की गई। गन्ने की बोआई अभी तक शुरू नहीं हुई है।

दलहन फसलों के रकबे में सबसे ज्यादा गिरावट
खरीफ फसलों में सबसे ज्यादा दलहन फसलों की बोआई में कमी देखी जा रही है। अब तक 1.80 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलें बोई जा चुकी हैं, जो पिछली समान अवधि के दलहन रकबा 4.22 लाख हेक्टेयर से 57 फीसदी कम है। दलहन फसलों में मूंग की बोआई 80 फीसदी, अरहर की बोआई 64 फीसदी और उड़द की बोआई 33 फीसदी घटी है।

तिलहन फसलों का कुल रकबा घटा
तिलहन फसलों के कुल रकबे में 14 फीसदी की गिरावट आई है। अब तक 4.11 लाख हेक्टेयर में तिलहन फसलें बोई जा चुकी हैं, पिछली समान अवधि में यह आंकड़ा 4.80 लाख हेक्टेयर था। तिलहन फसलों का कुल रकबा भले घटा हो, लेकिन मूंगफली की बोआई 10 फीसदी बढ़कर 3.51 लाख हेक्टेयर हो गई। अरंडी की बोआई में भी इजाफा हुआ है। खरीफ सीजन की प्रमुख तिलहन फसल सोयाबीन की बोआई 69 फीसदी घटकर 0.21 लाख हेक्टेयर दर्ज की गई। सूरजमुखी की बोआई 66 फीसदी और तिल की बोआई 53 फीसदी घटी।

अनाज की बोआई में 64 फीसदी इजाफा
चालू खरीफ सीजन में अब तक 12.43 लाख हेक्टेयर में अनाज की बोआई हो चुकी है, जो पिछले समान अवधि में हुई 7.57 लाख हेक्टेयर से 64 फीसदी अधिक है। अनाज की बोआई में वृद्धि की प्रमुख वजह बाजरा की बोआई कई गुना बढ़ना है। अब तक 6.27 लाख हेक्टेयर में बाजरा बोया जा चुका है, जबकि पिछली समान अवधि में यह आंकडा महज 0.39 लाख हेक्टेयर था। बाजरा को छोड़कर अन्य अनाज की बोआई में कमी देखी जा रही है। ज्वार की बोआई में 38 फीसदी, मक्के की बोआई में 13 फीसदी और छोटे मिलेटस की बोआई में 15 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है।