मंडियों में आपूर्ति घटने से हल्दी की कीमतों में तेज़ी का दौर शुरू

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नई दिल्ली। हल्दी का उत्पादन कमजोर रहने एवं कोविड-19 महामारी में खपत बढ़ जाने से धीरे-धीरे कीमतों के कमजोर स्तर बाज़ार धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा है। बाजारों में रुपए की बड़ी तंगी के बावजूद उत्पादक मंडियों से माल के पड़ते नहीं लगने से बीते कुछ दिनों के दौरान क़ीमतों में कमजोर स्तर से लगभग 4 रुपए प्रति किलो के तेजी दर्ज की गई है। आगे जैसे ही कोरोना का दबाव कम होंगा और बाज़ार खुलने लगेंगे तो माँग निकलने पर क़ीमतों में 8/10 रुपए प्रति किलो की और तेजी के आसार लगने लगे हैं।

किराना बाजार के जानकार विशेषज्ञों के अनुसार,उत्पादक क्षेत्रों ईरोड, दुग्गीराला, वारंगल, निजामाबाद, कड़प्पा, सांगली एवं निजामाबाद मंडी में धीरे-धीरे माल की आपूर्ति घटने लगी है, जबकि बीते 2 माह के अंतराल पुराने माल 85/90 फ़ीसदी बिकने की ख़बर हैं।

हल्दी की नई बिजाई जुलाई माह में दक्षिण भारत के उत्पादक क्षेत्रों में प्रारम्भ होनी है जबकि नई फसल फरवरी-मार्च माह में आएगी। नया माल आने में अभी लंबा समय बाकी रहने तथा वैश्विक बाजारों की ऊंची कीमतों को देखते हुए वर्तमान में हल्दी में घरेलू मांग के साथ-साथ निर्यात मांग भी देखी जा रही है।

दूसरी ओर, कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में एक तरफ जहाँ हल्दी की खपत बढ़ी है, वहीं मंडियों में लॉकडाउन चलने से बीते 1 माह से आवक भी काफी कम रह गई है। यही कारण है कि धीरे-धीरे चौतरफा माल की कमी बन गयी है।

बाजार के विशेषज्ञ जानकारों के अनुसार, हल्दी उत्पादक क्षेत्रों में किसान धीरे-धीरे सोयाबीन की बिजाई का मन पूरी तरह बना लिये हैं और आने वाली सोयाबीन फसल के लिए अधिकतर किसान अपने खेत भी तैयार कर चुके हैं। कुछ क्षेत्रों से छिटपुट बिजाई की खबरें भी मिल रही है।सोयाबीन की फसल सितंबर माह में आती है, और इसके लिए जून के प्रथम सप्ताह तक चौतरफा बिजाई पूरी हो जाएगी।

इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए इरोड में अभी से बाजार में स्टॉकिस्ट के माल बिकने लगे हैं, क्योंकि उत्तर भारत की मंडियों की अपेक्षा 2.5/3 रुपए प्रति किलो ऊंचे चल रहे हैं।

दिल्ली बाजार में भी माल अधिकतर निपट गया है, जिसके चलते जो हल्दी 83 रुपए प्रति किलो नीचे में बन गई थी, उसकी कीमतें 87/88 रुपए हो गए हैं, जबकि चालू वर्ष की सूखी बढ़िया हल्दी 88/89 रुपए सुनी गयी हैं।

निज़ामाबाद फली भी ज्यादा नहीं है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए हल्दी में आगे का व्यापार 8/10 किलो औसतन तेज़ लगने लगा हैं। जबकि कुछ जानकार यह भी संभावना व्यक्त कर रहे है कि हल्दी की कीमतें कभी भी 100 रुपए के स्तर को पार कर सकती है।