टूटती हुई उम्मीद फिर से बंधी, अब जिंदगी को देंगे नई दिशा

294

कोटा। छप्पन भोग परिसर में शनिवार को आशा और विश्वास से भरी ऐसी कई कहानियां सुनाई दीं। उम्र और शारीरिक कमी के कारण जो उम्मीद टूटने सी लगी थी, वह सहायक उपकरण मिलने से एक बार फिर सशक्त होती नजर आई। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से अमूल्य भेंट पाकर दिव्यांग और वरिष्ठजन एक बार फिर जिंदगी को नई दिशा देने का संकल्प करते दिखाई दिए।

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से शनिवार को छप्पन भोग परिसर में आयोजित सामाजिक अधिकारिता शिविर में दिव्यांग और वरिष्ठजनों को सहायक उपकरण भेंट किए गए। शिविर में 161 मोटराइज्ड साइकिल सहित करीब 2000 से अधिक सहायक उपकरणों का वितरण किया गया।

इन उपकरणों के माध्यम से अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने की आस लिए लोग घिसटते, लड़खड़ाते या सहारा लेकर आए, लेकिन मुस्कुराते चेहरों के साथ लौटे। बत्तीसी, चश्मा, सुनने की मशीन, छड़ी, वाॅकर जैसे उपकरण पाकर जहां वरिष्ठ खुश दिखाई दिए, वहीं दिव्यांगों को मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल, व्हील चेयर, कृत्रिम हाथ, कृत्रिम पैर जैसे उपकरण मिले।

बाधा आने से पहले अलर्ट करेगी स्मार्ट छड़ी
सामाजिक अधिकारिता शिविर में दृष्टिबाधित लोगों को स्मार्ट छड़ी भी दी गई। यह विशेष प्रकार की छड़ी चलते समय सामने कोई बाधा आने पर वाइब्रेट कर अलर्ट करती है। इससे छड़ी लेकर चल रहा व्यक्ति सावधान हो जाता है और अपनी राह बदल लेता है। यह उपकरण उन लोगों के लिए विशेष तौर पर लाभदायक है जिन्हें अक्सर घर से बाहर जाना होता है।

नए दिव्यांग प्रमाण बनवाने भी आए लोग
शिविर में बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी पहुंचे जिनके दिव्यांग प्रमाण पत्र बने हुए नहीं थे। शिविर में पहले बने दिव्यांग प्रमाण पत्रों की खामियों को भी दूर किया जा रहा था। इसके अलावा सहायक उपकरणों के लिए दिव्यांगों और वरिष्ठजनों के नवीन पंजीकरण भी किए गए।

स्मार्टफोन की मदद से बदलेगी जिंदगी
सामाजिक अधिकारिता शिविर में गोपाल को स्मार्टफोन भी भेंट किया गया गोपाल आंखों की गंभीर बीमारी से पीड़ित है जिसमें उसकी आंखों की रोशनी हर दिन कम होती जा रही है। गोपाल बीएड की पढ़ाई कर रहा है तथा भविष्य में शिक्षक बनना चाहता है। शिविर में उसी विशेष प्रकार का स्मार्टफोन दिया गया है जिस में उपलब्ध ऐप उसे अपनी शिक्षा पूरी करने में सहायता करेंगे।

मोटराइज्ड साइकिल से सपना पूरा करेगी

  • 10 वर्ष की उम्र में हुए ऑपरेशन के बाद मानसी शर्मा के पांव जवाब दे गए। अभी वह नीट की तैयारी कर रही लेकिन रोज कोचिंग और स्कूल जाना उसके लिए एक चुनौती थी। अब मोटराइज्ड साइकिल से वे खुद क्लास अटैंड कर सकेगी।
  • मोटराइज्ड साइकिल मिलने के बाद खेड़ली फाटक निवासी रोशनी यादव का चेहरा ख्लिा हुआ था। जेडीबी काॅलेज में तृतीय वर्ष की छात्रा रोशनी यादव काॅलेज जाने के लिए परिजनों पर ही निर्भर थी। लेकिन अब रोज काॅलेज जाने की इच्छा वह खुद पूरी कर सकेगी।
  • चेचट निवासी लाली बाई पोलियो के कारण दिव्यांग हो गई। उसके बच्चे अब बड़े हो गए हैं, लेकिन फिर भी वह स्वरोजगार के माध्यम से परिवार के भरण-पोषण में मदद करना चाहती है। मोटराइज्ड साइकिल उसका यह सपना पूरा करेगी।