जब मप्र में मर रहे तो राजस्थान क्यों नहीं भेजे जा रहे चीते?

66

-कृष्ण बलदेव हाडा-
Question On The Death Of Leopards: मध्य प्रदेश में गुना जिले के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में दो अफ्रीकी देशों से लाए गए चीतों की लगातार हो रही मौतों के बावजूद इन चीतों (Leopards) में से कुछ को राजस्थान में स्थानांतरित नहीं करने के मसले को अब राजस्थान के कोटा जिले की सांगोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने केंद्र सरकार के समक्ष उठाया है।

उन्होंने कहा है कि अब तो उच्चतम न्यायालय तक ने इस बात पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं कि जब मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में लगातार चीतों की मौत हो रही है तो उनमें से कुछ को राजस्थान में क्यों नहीं स्थानांतरित कर दिया जाता। इसके लिए उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने केंद्र सरकार से जवाब भी तलब किया है।

अब यह भी आरोप लगना लाजमी है कि केंद्र सरकार के पक्षपातपूर्ण रवैया के बावजूद और उच्चतम न्यायालय के राजस्थान की दृष्टि से दिए गए महत्वपूर्ण एवं स्वागत योग्य सकारात्मक फैसले के बावजूद प्रदेश सरकार अब तक चुप्पी साधे हुए है, जबकि उच्चतम न्यायालय तक इस बात की ताकीद कर रहा है कि चीते राजस्थान में बसा सकते हैं।

तब भी अशोक गहलोत सरकार इस मसले को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय सहित प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी के समक्ष क्यों नहीं पुरजोर तरीके से उठाती है। क्योंकि दशकों पहले देश में विलुप्त हो चुके चीतों को बसाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का एक महत्वपूर्ण प्रयास था और नामीबिया से पिछले साल उनके जन्मदिन के मौके पर लाए गए चीतों को उन्होंने स्वयं कूनो पहुंच कर छोड़ा था।

इस कदम की भरपूर वाहवाही लूटने के लिए पूरे देश की मीडिया का नेशनल पार्क में जमावड़ा किया गया था। अब जबकि कूनो नेशनल पार्क में चीते मर रहे हैं तो न केवल मध्य प्रदेश सरकार बल्कि भारत में चीते बसाने का स्वप्निल कदम उठाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी तक इस गंभीर मसले पर चुप्पी साधे हुए हैं। अंत में उच्चतम न्यायालय को ही आगे आना पड़ा है।

अब इस मसले को लेकर मोर्चा राजस्थान में कोटा जिले की सांगोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने संभाला है, जो शुरुआत से लेकर अब तक कोटा के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व (Mukundra Tiger Reserv) में नामीबिया और दक्षिणी अफ्रीका से लाए जाने वाले चीतों को बसाने की वकालत करते रहे हैं।

उनका यह सार्थक तर्क भी है कि चीते बसाने से पहले इन दोनों अफ्रीकी देशों से आए चीता विशेषज्ञों की टोली ने देश भर के विभिन्न अभयारण्यों में दौरा करने के बाद जिन अभयारण्य को चीते बसाने की दृष्टि से सर्वाधिक उपर्युक्त पाया था, उसमें मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (Mukundra Hills Tiger Reserve) का दरा अभयारण्य क्षेत्र का 82 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा भी शामिल था। लेकिन राजनीतिक भेदभाव के चलते प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार ने भाजपा शासित मध्यप्रदेश में चीते बसाना उपर्युक्त समझा।

हालांकि यह भी आरोप लगता रहा है कि इस मसले को लेकर राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने भी कोई खास और गंभीर प्रयास नहीं किए और ना ही इस मसले को पूरी संजीदगी के साथ केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के समक्ष रखा।

श्री भरत सिंह ने उच्चतम न्यायालय के हवाले से कहा है कि कूनो नेशनल पार्क में आठ चीतों की मौत के मसले पर न्यायालय ने भी चिंता जताई है और इसे गंभीर माना है कि अफ्रीकी देशों से लाए गए चीतों में से 40 प्रतिशत की मौत हो गई है, जबकि अभी वहां से चीजों को लाए गए एक साल का वक्त भी नहीं गुजरा है।

श्री सिंह ने उच्चतम न्यायालय के आदेश का भी हवाला दिया है कि खुद न्यायालय ने इस बात पर सवाल उठाए हैं कि सभी चीते एक जगह रखने की जगह अलग-अलग जगह क्यों नहीं भेज देते? भले ही यह केंद्र के लिए प्रतिष्ठा वाली परियोजना हो लेकिन एक साल से भी कम समय में 40 प्रतिशत चीजों की मौत होना कोई अच्छा संकेत नहीं है।

उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में केंद्र सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, जिस पर अगले महीने की पहली तारीख को सुनवाई होना है। उल्लेखनीय है कि अफ्रीका से 20 चीते लाए गए थे और लाए जाने के बाद चार शावकों का जन्म कूनो में हुआ था, जिनमें से तीन की मौत हो चुकी है। कुछ अन्य चीते भी काल के गाल में समा चुके हैं।

श्री सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार को भी उच्चतम न्यायालय की इस चिंता को समझना चाहिए और राजनीतिक चश्मे से देखते हुए पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाने की जगह सारगर्भित विराट परिप्रेक्ष्य में राजस्थान के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में लाकर चीते छोड़े जाने चाहिए। क्योंकि यहां की आबोहवा को चीता विशेषज्ञों ने भी प्रयुक्त पाया है।