यूके और यूएस का वीजा हासिल करना हुआ मुश्किल, जानिए कैसे

75

नई दिल्ली। अमेरिका और ब्रिटेन में बसने का सपना संजोने वालों के लिए बुरी खबर है। एक तरफ ब्रिटेन ने जहां वीजा के आवेदन के लिए लगने वाले शुल्क को दोगुना कर दिया है वहीं दूसरी ओर अमेरिकी वीजा के लिए किए गए ज्यादतर आवेदन अस्वीकार किए जा रहे हैं।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने वीजा और एनएचएम शुल्क को बढ़ाकर दोगुना कर दिया है। सरकार के इस फैसले के बाद ब्रिटेन में बसे भारतीय भी नाराज हैं। उन्होंने कहा ये फैसला सुनक सरकार की नस्लवादी और विभाजनकारी नीति का प्रतीक है।

ऋषि सुनक का लक्ष्य वीजा शुल्क में बढ़ोतरी के माध्यम से ब्रिटेन के सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए वेतन में वृद्धि करना है। इसमें शिक्षक, पुलिस, जूनियर डॉक्टर और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी शामिल हैं, क्योंकि उन्होंने कहा था कि पूरे बोर्ड में पांच से सात प्रतिशत की सामान्य वृद्धि हुई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रिटेन के वीजा के लिए अब लोगों को 65 हजार रुपये के स्थान पर करीब 1.08 लाख रुपये खर्च करना पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए यह राशि 50 हजार रुपये से बढ़कर 82 हजार रुपये हो जाएगी। बता दें कि शुल्क वीजा आवेदन जमा करने के पहले ही ले लिया जाता है। बता दें कि कुछ समय पूर्व सरकार ने वीजा शुल्क में 15 से 20% बढ़ोतरी की बात कही थी।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने घोषणा की थी कि भारतीयों सहित वीजा आवेदकों द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) को भुगतान की जाने वाली फीस और स्वास्थ्य अधिभार में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि होगी। कथित तौर पर यह बढ़ोतरी लगभग 15 प्रतिशत से 20 प्रतिशत करने की बात कही गई थी।

ऋषि सुनक का लक्ष्य: ऋषि सुनक का लक्ष्य वीजा शुल्क में बढ़ोतरी के माध्यम से ब्रिटेन के सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए वेतन में वृद्धि करना है। इसमें शिक्षक, पुलिस, जूनियर डॉक्टर और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी शामिल हैं, क्योंकि उन्होंने कहा था कि पूरे बोर्ड में पांच से सात प्रतिशत की सामान्य वृद्धि हुई है। सुनक ने कहा कि ब्रिटेन सरकार मुद्रास्फीति की चिंताओं के कारण इन लागतों को कवर करने के लिए बढ़ते कर्ज पर निर्भर नहीं रहेगी।

ऋषि सुनक ने कहा, यदि हम सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतन वृद्धि को प्राथमिकता देने जा रहे हैं, तो वह पैसा कहीं और से लाना होगा क्योंकि मैं लोगों पर कर लगाने के लिए तैयार नहीं हूं और मुझे नहीं लगता कि अधिक कर्ज लेना जिम्मेदार कदम या सही होगा क्योंकि ऐसा करने से महंगाई की स्थिति और बदतर हो जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि “इसलिए हमने इस पैसे की व्यवस्था करने के लिए दो चीजें की हैं। पहला, हम इस देश में आने वाले प्रवासियों द्वारा वीजा के लिए आवेदन करने पर लगने वाले शुल्क को बढ़ाने जा रहे हैं। वास्तव में इसे आव्रजन स्वास्थ्य अधिभार (आईएचएस) कहा जाता है। यह वह लेवी है जो एनएचएस तक पहुंच के लिए प्रवासियों को चुकाना होता है।”

यूएस में 9 लाख भारतीय वेटिंग में: अमेरिका से भी वीजा के मामले में निराशाजनक खबर है। अमेरिका भी वीजा जारी करने में उत्साह नहीं दिखा रहा है। पिछले कुछ समय में अमेरिकी टेक कंपनियां बड़े पैमाने पर छंटनी कर रही हैं। 2022-2023 के बीच ही करीब 50 हजार एच-1 वीजा रद्द कर दिए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा भारतीय ही प्रभावित हुए हैं। ग्रीन कार्ड जारी करने के मामले में भी अमेरिका का रवैया ठीक नहीं रहा है। हर साल अमेरिका 1.40 लाख वीजा जारी करता है, इसमें भी कैप लगा होने के कारण भारतीयों को 8.5 हजार वीजा जारी किए जाते हैं। आंकड़ों के अनुसार लगभग 9 लाख भारतीय ग्रीन कार्ड के लिए फिलहाल वेटिंग में हैं।