अब CNG से चल सकेंगे 15 साल पुराने ट्रैक्टर, मोटर वाहन नियमों में बड़ा बदलाव

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नई दिल्ली। वैकल्पिक ईंधन को बढ़ावा देने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के मकसद से सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन की अधिसूचना जारी की है। इस संशोधन के बाद डीजल और पेट्रोल से चलने वाले कृषि ट्रैक्टर, पावर टिलर और निर्माण उपकरण वाहनों को सीएनजी, बायो-सीएनजी और एलएनजी ईंधन इंजन में बदला जा सकता है। जिससे अब इन वाहनों को सीनएजी से चलाया जा सकेगा। 

इससे न सिर्फ पैसों की बचत होगी बल्कि वायु प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलेगी। खास बात यह है कि 15 साल पुराने ट्रैक्टर, पावर टिलरस हार्वेस्टर और निर्माण वाहन चलते रहेंगे। सरकार की कबाड़ नीति के तहत उन्हें कबाड़ घोषित नहीं किया जाएगा। 

मंत्रालय ने ट्वीट किया, ”मंत्रालय ने कृषि ट्रैक्टरों, पावर टिलर, निर्माण उपकरण वाहनों और हार्वेस्टर के इंजनों को सीएनजी, बायो-सीएनजी और एलएनजी ईंधन से बदलने के लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में एक संशोधन को अधिसूचित किया है।

 
क्या हैं नए नियम
नए नियमों के मुताबिक कृषि उपकरणों एवं वाहनों के इंजन में बदलाव किया जा सकेगा। जिन वाहनों के इंजन में कोई सुधार हो सकती है उनमें मामूली बदलाव किए जा सकेंगे। जबकि ज्यादा पुराने वाहनों के इंजन को बदलने का विकल्प होगा। इससे इन वाहनों को सीएनजी, बायो सीएनजी या एलएनजी जैसे वैकल्पिक ईंधनों से चलाया जा सकेगा। इससे पारंपरिक ईंधन की बचत हो सकेगी। 

इस साल पेश हुआ था पहला सीएनजी ट्रैक्टर
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस साल फरवरी में डीजल इंजन से सीएनजी में परिवर्तित भारत का पहला ट्रैक्टर पेश किया था। इसके साथ ही सरकार ने दावा किया कि खेती के लिए ट्रैक्टरों पर निर्भर किसानों के लिए यह रेट्रोफिटेड सीएनजी ट्रैक्टर ईंधन की लागत पर सालाना 1.5 लाख से ज्यादा की बचत कर सकता है और साथ ही 75 फीसदी वायु प्रदूषण भी कम होगा। 

बचेंगे 1.5 लाख रुपये”
उस समय गडकरी ने दावा किया था कि औसतन, किसान डीजल पर हर साल 3 लाख से 3.5 लाख रुपये तक खर्च करते हैं और इस वैकल्पिक ईंधन प्रौद्योगिकी को अपनाकर वे ईंधन की लागत में 1.5 लाख रुपये तक की बचत कर सकते हैं। 

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि इससे न सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बदलाव होंगे, बल्कि बड़े संख्या में रोजगार के मौके भी तैयार होंगे। पैसों की बचत के अलावा सरकार डीजल ट्रैक्टर के सीएनजी में बदलवाने के फायदों को भी गिनती है, कि यह एक स्वच्छ ईंधन है जिसमें कार्बन और अन्य प्रदूषकों की मात्रा सबसे कम है।