नई दिल्ली। कोरोना वायरस से संक्रमण के बढ़ते मामलों और लॉकडाउन के चलते इस वित्त वर्ष में 10% से ज्यादा इकोनॉमिक ग्रोथ हासिल हो पाएगी, इसको लेकर शुबहा होने लगा है। हाल में HDFC बैंक से लेकर बार्कलेज तक ने वित्त वर्ष 21-22 में GDP ग्रोथ अब तक के अनुमान से 1% से 0.2% तक कम रहने के आसार जताए हैं। लेकिन इन चिंंताओं के बीच यह भी कहा जा रहा है कि अगर कोविड से बने हालात एक महीने में काबू कर लिए जाते हैं, तो डबल डिजिट ग्रोथ की संभावना बढ़ेगी।
दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में सेंटर फॉर डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स के एमडी प्रोफेसर राम सिंह के मुताबिक ग्रोथ पर कोविड और लॉकडाउन के असर को समझने में थोड़ा समय लगेगा। बुरी स्थिति में इस वित्त वर्ष ग्रोथ रेट 8% तक आ सकती है लेकिन चूंकि पहली तिमाही की शुरुआत ही है, इसलिए बाकी तीन तिमाहियों में ग्रोथ रफ्तार पकड़ने की संभावना भी है। ऐसा होने पर GDP ग्रोथ इस साल 10% तक जा सकती है क्योंकि यह अनुमान महत्वाकांक्षी नहीं है।
प्रोफेसर सिंह के मुताबिक, इकोनॉमिक ग्रोथ को पटरी पर लाने में तीन फैक्टर अहम होंगे। पहला, टीकाकरण में तेजी लाना होगा और प्राइवेट सेक्टर को वैक्सीन इंपोर्ट करने देना होगा। दूसरा, इस वित्त वर्ष इंफ्रा सेक्टर पर GDP के ढाई पर्सेंट के बराबर रकम खर्च करने के वादे को तेजी से पूरा करना होगा। तीसरा, इस साल मॉनसून सामान्य रहे, जैसा कि भारतीय मौसम विभाग और प्राइवेट एजेंसी स्काईमेट ने अनुमान दिया है।
इंडियन इकोनॉमी के सामने सबसे बड़ी चुनौती सर्विसेज सेक्टर की ग्रोथ को लेकर होगी, जो आमतौर पर शहरों पर फोकस्ड होता है। शहरों में वैक्सीनेशन बढ़ाए बिना इस सेक्टर की ग्रोथ रिवाइव होना मुश्किल है। सर्विसेज सेक्टर में भी खासतौर पर हॉस्पिटैलिटी और टूरिज्म सेक्टर में जो रिकवरी शुरू हुई थी, कोविड की दूसरी लहर से थम गई है।
सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर GDP के ढाई पर्सेंट की जो रकम खर्च करने का ऐलान किया था, उस पर दूसरी से लेकर चौथी तिमाही तक तेजी से अमल करना होगा। ऐसा इसलिए कि इंफ्रास्ट्रक्चर पर होने वाले खर्च से सीधे और परोक्ष रूप से लगभग 200 दूसरे सेक्टर को सपोर्ट मिलता है। प्रोफेसर सिंह के मुताबिक, यह सपोर्ट रोजगार और इकोनॉमिक ग्रोथ पर गुणात्मक असर करता है। मतलब इंफ्रास्ट्रक्चर पर होने वाला खर्च कई गुना रिटर्न देता है।