शिकागो। अमरीका दुनिया में मक्का का सबसे प्रमुख तथा सोयाबीन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक एवं निर्यातक देश है जबकि कपास (रूई) के निर्यात में पहले एवं उत्पादन में तीसरे नम्बर पर है।
अभी तक चीन और मैक्सिको उसके इन महत्वपूर्ण कृषि उत्पादों के प्रमुख खरीदार बने हुए थे मगर डोनाल्ड ट्रम्प की नई शुल्क नीति के कारण अमरीका के साथ चीन और मैक्सिको की व्यापारिक तना तनी बढ़ गई। इससे कनाडा भी शामिल है मगर वहां अमरीकी उत्पादों का निर्यात अपेक्षाकृत बहुत कम होता है।
चीन तथा मैक्सिको के साथ विवाद उत्पन्न होने के कारण अमरीका को अपने उपरोक्त उत्पादों का निर्यात जारी रखने के लिए वैकल्पिक बाजार की तलाश थी और इस क्रम में भारत उसकी नजर में आ गया।
लेकिन भारत की अपनी समस्या है। यहां अमरीका से सोयाबीन तेल का आयात तो बढ़ाया जा सकता है लेकिन मक्का एवं रूई का मामला कुछ टेढ़ा है। भारत में जीएम मक्का के आयात एवं उपयोग की अनुमति नहीं है जबकि अमरीका में मुख्यत जीएम श्रेणी के मक्के का ही उत्पादन होता है।
इसका मतलब यह हुआ कि अगर भारत सरकार अमरीकी मक्के के आयात की अनुमति देती है तो उसे अपनी जीएम फसल की नीति में बदलाव करना होगा जिससे घरेलू प्रभाग में भारी हंगामा हो सकता है।
जहां तक रूई का सवाल है तो भारत सामान्यतः इसके उत्पादन में आत्मनिर्भर रहता है और इसका निर्यात भी करता है। देश में विदेशों से अच्छी क्वालिटी की रूई का थोड़ा-बहुत आयात भी किया जाता है। भारत अमरीकी सूखे मेवे- बादाम एवं अखरोट पर आयात शुल्क में छूट देने की पेशकश कर सकता है।