नई दिल्ली। देश में जमीनों का डिजिटल बंदोबस्त परवान चढ़ने के करीब पहुंच चुका है। देश के ज्यादातर राज्यों की लगभग 90 फीसद से अधिक जमीनों का डिजिटलीकरण हो चुका है। इससे ‘वन नेशन वन रजिस्ट्री’ स्कीम लागू करने में मदद मिलेगी। डिजिटलीकरण के लिए भूमि दस्तावेज और जमीनों के मालिकाना हक का कंप्यूटरीकरण पहले ही किया जा रहा है।
बता दें कि यह काम अब तक 24 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में लगभग पूरा हो चुका है। देश में भूमि की रजिस्ट्री को पारदर्शी बनाने के साथ-साथ एक समान करने की दिशा में भी प्रगति हो रही है। इस पहल से जमीन के एक ही नंबर की कई-कई लोगों के नाम फर्जी रजिस्ट्री कराने पर अंकुश लग सकेगा।
देश में कुल 6.58 लाख गांव हैं, जिनमें से 5.98 लाख गांवों की जमीनों का कंप्यूटरीकरण हो चुका है। सभी राज्यों में यह प्रक्रिया लगभग पूरी होने के कगार पर है। डिजिटलीकरण के बाद कहीं की भी जमीन को आनलाइन देखा जा सकेगा। प्रिंट निकालकर उसकी नकल प्राप्त की जा सकेगी। डिजिटलीकरण से जमीन के विवरण के अलावा उसके मालिकाना हक की भी जांच की जा सकेगी। इससे धोखाधड़ी में लगाम लगेगी।
देश के 10 राज्यों में वन नेशन वन सॉफ्टवेयर
नेशनल जेनरिक डाक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम के तहत यह वन नेशन वन सॉफ्टवेयर लाया गया है। देश के 10 राज्यों में यह योजना रफ्तार पकड़ चुकी है। अंडमान निकोबार, दादरा नगर हवेली, गोवा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, मणिपुर, महाराष्ट्र, मिजोरम और पंजाब के लोग इस योजना का लाभ उठा रहे हैं।
एसएमएस, पैन से वेरिफिकेशन
भूमि दस्तावेज का कंप्यूटरीकरण करने के साथ जमीन के नक्शे का भी डिजिटलीकरण किया जा रहा है। 22 राज्यों के 90 फीसद से अधिक भूमि के नक्शों को डिजिटल किया जा चुका है। रजिस्ट्रार व सब रजिस्ट्रार आफिसों को जोड़ दिया गया है। जमीन का बैनामा कराते समय भू स्वामी के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एसएमएस भेजा जाएगा। उसके बाद ई-केवाईसी, पेमेंट गेटवे और पैन का वेरिफिकेशन कराया जाएगा। इस प्रक्रिया के बाद फर्जी बैनामा कराना आसान नहीं होगा।