नई दिल्ली। अर्नब गोस्वामी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। साजिश रचने वाले अर्नब के खिलाफ नए-नए मामले खोज कर ला रहे हैं। TRP में रिपब्लिक टीवी नंबर कैसे हो गया। यह बात किसी लुटियन मीडिया को हजम नहीं हो रही है। अब एक और नया मामला सामने आया है कि मई 2017 में लॉन्च होने के बाद से अर्नब गोस्वामी के स्वामित्व वाले समाचार चैनल रिपब्लिक टीवी प्रसार भारती के स्वामित्व वाले डायरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) सेवा, डीडी फ्रीडिश पर गैर कानूनी रूप से प्रसारित किया गया।
रिपब्लिक टीवी को इससे डीडी के 2.2 करोड़ यूजर्स तक पहुंच मिली थी। चैनल ने इसके लिए ऑक्शन प्रोसेस में शामिल नहीं हुआ। इंग्लिश न्यूज चैनल रिपब्लिक टीवी ने बिना ऑक्शन प्रोसेस में शामिल हुए डीडी फ्रीडिश सर्विस के सभी यूजर्स के लिए एक बैंडविड्थ पर एक अनएन्क्रिप्टेड रूप में दो वर्षों तक ब्रॉकास्ट किया गया। ऑक्शन के प्रोसेस से गुजरने पर चैनल को सालाना 8-12 करोड़ रुपये की कैरिज फीस देनी होती है।
इस मामले में रिपब्लिक टीवी ने अनुचित रूप से फायदा उठाने के साथ ही सरकारी खजाने को भी नुकसान पहुंचाया। प्रतियोगी चैनलों की तरफ से यह इस बात को सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB)के ध्यान में लाया गया था। साथ ही इसकी शिकायत प्रसार भारती को भेज दी गई थी। हालांकि, यह प्रैक्टिस सितंबर 2019 तक जारी रही, जब एक प्राइवेट डीटीएच सेवा, डिश टीवी ने चैनल को एन्क्रिप्ट करना शुरू किया। रिपब्लिक टीवी ने डिश टीवी के साथ ब्रॉडकास्ट के लिए डील की थी। रिपब्लिक टीवी की तरफ से डिश टीवी के साथ ही कुछ अन्य डीटीएच प्लेयर्स से भी डील की गई थी। डिश टीवी के पास जीसैट15 (GSAT15)सैटेलाइट्स ट्रांसमिशन का बैंडविथ है।
सरकारी खजाने को 25 करोड़ रुपये का नुकसान
चूंकि डीडी फ्रीडिश भी जीसैट15 का यूज करता है, डिश टीवी कै बैंडविथ डीडी के फ्रीडिश के साथ को-लोकेटेड है। इसके परिणामस्वरूप डिश टीवी के यूजर्स को फ्री टू एयर चैनल फ्री में देखने को मिलते हैं। एक मीडिया बायर ने कहा कि इससे सरकारी खजाने को करीब 25 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। जबकि चैनल को एक्स्ट्रा व्यूअरशिप मिली।
डिश टीवी को पत्र भेज मांगी थी जानकारी
इस संबंध में शिकायत पर प्रसार भारती ने रिपब्लिक टीवी और डिश टीवी को कंपीटिशन को कम करने और डीडी फ्रीडिश के ऑक्शन प्रक्रिया को उद्देश्य को खत्म करने का आरोप लगाया था। बाद में सूचना और प्रसारण मंत्रालय की तरफ से डिश टीवी को एक पत्र भेजा गया था। इसमें रिपब्लिक टीवी की तरफ से डीडी फ्रीडिश के अनऑथोराइज्ड तरीके से प्रयोग के बारे में पूछताछ की गई थी। जवाब में डिश टीवी ने कहा था कि सरकार के निर्देशों के अनुसार सभी चैनलों और सेवाओं को एनक्रिप्टेड कर दिया गया है।
फिर से चर्चा में मामला
हालांकि, सरकार की तरफ से रिपब्लिक टीवी द्वारा दो साल तक फ्रीडिश सेवा के जरिये बिना एक्सेस फीस दिए एक्स्ट्रा रिच हासिल करने के मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब मुंबई पुलिस की तरफ से टीआरपी घोटाले की जांच के बाद यह मामला एक बार फिर से चर्चा में आ गया है। मुंबई पुलिस इस मामले में पूरक आरोपपत्र दाखिल किया है। इसमें ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल के सीईओ पार्थो दास गुप्ता और अरनब गोस्वामी व अन्य के बीच वॉट्सऐप चैट को आधार बनाया गया है।