फसल ही खरीदी ना, जमीन तो नहीं छीन ले गई कंपनी- मोदी का विरोधियों को जवाब

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नई दिल्ली। प्राइवेट कंपनी ने सिर्फ आपकी फसल खरीदी या जमीन भी ले ली? अरुणाचल प्रदेश के गगन पेरिंग से जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह सवाल पूछा तो वे थोड़ा हैरान हुए। उन्‍होंने जवाब दिया कि ‘उत्‍पाद को ले जाने का एग्रीमेंट हुआ है, जमीन का नहीं। जमीन तो सुरक्षित है।’ पीएम किसान सम्मान निधि की अगली किस्‍त जारी करते हुए पीएम मोदी ने यह सवाल अनायास ही नहीं पूछा। वह अपने सवालों के जरिए उनकी सरकार की तरफ से लाए गए कृषि कानूनों के विरोधियों को जवाब दे रहे थे। मोदी ने किसानों ने उन आशंकाओं को लेकर सवाल किए जिनका जिक्र प्रदर्शनकारी किसान संगठन कर रहे हैं। मोदी ने पश्चिम बंगाल का खासतौर पर जिक्र किया और पूछा क‍ि वहां की ममता बनर्जी सरकार क्‍यों पीएम किसान योजना के लाभ से राज्‍य के किसानों को वंचित रखे हुए है। उन्‍होंने लेफ्ट दलों को आड़े हाथों लिया और दिल्‍ली में किसान आंदोलन पर भी निशाना साधा।

पूरे हिंदुस्तान के किसानों को किसान सम्मान निधि योजना का लाभ मिला रहा है, सभी विचारधारा की सरकारें इसे जुड़ी हैं, लेकिन एकमात्र पश्चिम बंगाल सरकार वहां के 70 लाख के किसानों को इसका फायदा नहीं पहुंचने दे रही है। बंगाल की सरकार अपने राजनीतिक कारणों से राज्य के किसानों को पैसा नहीं दे रही है।बंगाल के कई किसानों ने भारत सरकार को सीधी चिट्ठी लिखी है, उसको भी मान्यता नहीं दे रही हैं। मैं हैरान हूं जो लोग 30-30 साल तक राज करते थे, अपनी विचारधारा के कारण उन्होंने बंगाल को कहां से कहां ला दिया, देश जानता है।

ममता जी के 15 साल पुराने भाषण सुनोगे तो समझ आ जाएगा कि इस राजनीतिक विचारधार ने देश को कितना बर्बाद कर दिया है। बंगाल में उनकी (लेफ्ट) पार्टी है, संगठन है, 30 साल सरकार चलाई है, एक बार भी इन लोगों ने किसानों को 2 हजार रुपये के लिए कोई आंदोलन नहीं चलाया। ये लोग बंगाल से उठकर पंजाब पहुंच गए, तब सवाल उठता है। और पश्चिम बंगाल की सरकार भी 70 लाख किसानों को योजना का लाभ नहीं लेने दे रही है, लेकिन पंजाब में लेफ्ट के साथ गुपचुप करती है। देश की जनता को यह खेल पता है। जो दल बंगाल में किसानों की हालत पर कुछ नहीं बोलते, वे दिल्ली के नागरिकों को परेशान करने पर लगे हैं। देश की अर्थनीति को बर्बाद करने में लगे हैं, वह भी किसान के नाम पर।

आपकी जमीन भी ले गई क्‍या कंपनी?
कार्यक्रम में सबसे पहले अरुणाचल प्रदेश के गगन पेरिंग का नंबर आया। उनसे पीएम मोदी ने पूछा कि वे पीएम किसान से मिले पैसों का क्‍या करते हैं? गगन ने बताया कि उन्‍होंने ऑर्गनिक खाद खरीदी। पीएम ने उनसे पूछा कि ऑर्गनिक खेती के लिए जिस कंपनी से टाईअप किया, वह सिर्फ फसल ले जाती है या जमीन भी? गगन ने जवाब दिया कि केवल फसल ले जाती है। इस पर पीएम मोदी ने कहा कि आप इतनी दूर अरुणाचल पर बैठे हैं और कह रहे हैं कि आपकी जमीन सुरक्षित है लेकिन यहां किसानों के बीच भ्रम फैलाया जा रहा है कि किसानों की जमीन ले ली जाएगी।

झूठ फैलाए जा रहे हैं जी’
उत्‍तर प्रदेश के महराजगंज में खेती करने वाले श्रीराम गुलाब से पीएम मोदी ने पूछा कि ‘अहमदाबाद की कंपनी आपसे माल खरीद रही है तो आपको पूरे पैसे दे रही है?’ जवाब में गुलाब ने कहा कि कंपनी घर से उत्‍पाद लेकर जाती है और कोई बिचौलिया नहीं है। इसके बाद पीएम मोदी ने कहा, “आपको नए कृषि सुधार के कारण सबसे बड़ा लाभ होगा, आपको ऐसा लगता है? जमीन तो नहीं चली जाएगी ना?” किसान ने जब कहा कि नहीं तो पीएम ने कहा कि ‘झूठ फैलाए जा रहे हैं जी। आप जैसे लोग जब बोलते हैं, तब विश्‍वास बढ़ता है।’

अब मंडियों में पूरा पैसा म‍िलता है’
हरियाणा के फतेहाबाद से हरि सिंह बिश्‍नोई ने प्रधानमंत्री से कहा क‍ि वे चार भाई 40 एकड़ में खेती करते हैं। परिवार में 15 सदस्‍य हैं। सिंह ने बताया कि अब उनका रुझाव बागवानी की तरफ है। 10 एकड़ में बागवानी कर रखी है। पीएम ने पूछा कि सामान दिल्‍ली में बेचते हैं तो उन्‍होंने कहा कि नहीं, छोटी-छोटी मंडियों में बेचा करते थे। पीएम ने पूछा कि पहले से अच्‍छा पैसा मिलता है या नहीं? इसपर सिंह ने जवाब दिया कि पूरा पैसा मिलता है।

किसान आंदोलन को लेकर भी बोले पीएम
मोदी ने अपने संबोधन में किसान आंदोलन का जिक्र परोक्ष रूप से किया। मोदी ने कहा, “मुझे आज इस बात का अफसोस है कि मेरे पश्चिम बंगाल के 70 लाख से अधिक किसान भाई-बहनों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है। बंगाल के 23 लाख से अधिक किसान इस योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर चुके हैं। लेकिन राज्य सरकार ने वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को इतने लंबे समय से रोक रखा है। जो दल पश्चिम बंगाल में किसानों के अहित पर कुछ नहीं बोलते, वो यहां दिल्ली में आकर किसान की बात करते हैं। इन दलों को आजकल APMC- मंडियों की बहुत याद आ रही है। लेकिन ये दल बार-बार भूल जाते हैं कि केरल में APMC- मंडियां हैं ही नहीं। केरल में ये लोग कभी आंदोलन नहीं करते।”