किसान संगठनों के साथ चौथे दौर की वार्ता आज, तकरार जारी रहने के आसार

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नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों पर सरकार और किसानों के बीच तकरार जारी रहने के आसार हैं। सरकार ने साफ कर दिया है कि वह नए कृषि कानून में एमएसपी पर खरीद को अनिवार्य नहीं करेगी। बृहस्पतिवार को किसान संगठनों के साथ होने वाली चौथे दौर की बातचीत में सरकार मंडियों का अस्तित्व बचाए रखने और एमएसपी को बरकरार रखने का ठोस आश्वासन देगी। किसान संगठनों ने दो टूक शब्दों में कहा है कि MSP को कानून का हिस्सा बनाए बिना वह अपना आंदोलन वापस नहीं लेंगे।

किसान संगठनों के साथ वार्ता से पहले बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर  और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ लंबी बैठक की। इस बैठक में किसानों को मनाने के लिए सरकार की ओर से दिए जाने वाले प्रस्तावों पर चर्चा हुई। सूत्रों ने बताया कि इस वार्ता में सरकार एमएसपी के तहत खरीद जारी रखने और मंडियों को बचाए रखने के लिए का विकल्प किसानों के समक्ष रखेगी। हालांकि यह विकल्प किस तरह का होगा इसका खुलासा नहीं किया गया है। 

तोमर बोले एमएसपी कभी नहीं रहा कानून का अंग
बैठक के बाद तोमर ने एमएसपी और मंडियों पर किसानों के समक्ष नया प्रस्ताव रखने का संकेत दिया। उन्होंने कहा कि कानून के बिना भी एमएसपी सुनिश्चित किया जा सकता है। किसानों की राय जानने के बाद सरकार इस संबंध में अपना विकल्प पेश करेगी। कृषि मंत्री ने एमएसपी को कानून का हिस्सा बनाने से इंकार किया। उन्होंने कहा कि एमएसपी पहले भी कभी कानून का हिस्सा नहीं रहा है।

नए प्रस्तावों पर माथापच्ची
सरकार के एक मंत्री के मुताबिक आंदोलन का मुख्य कारण एमएसपी और मंडियों के अस्तित्व को ले कर फैलाया गया भ्रम है। सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध की यही सबसे बड़ी वहज है। सरकार एमएसपी को कानून का अंग नहीं बना सकती। अब इस पर माथापच्ची हो  रही है कि आखिर एमएसपी को कानून में शामिल किए बिना इसके बरकरार रखने का भरोसा किसान संगठनों को कैसे दिया जाए। इसके अलावा वार्ता से पहले किसानों की आपत्तियों का भी लगातार अध्ययन किया जा रहा है।

तोमर को विवाद जल्द सुलझने का भरोसा
कृषि मंत्री ने विवाद के जल्द सुलझने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि किसानों की एमएसपी और मंडियों को ले कर कुछ आशंकाएं हैं। हम इन आशंकाओं को दूर करेंगे। एमएसपी बरकरार रखने का भरोसा पैदा करने का प्रयास करेंगे। कृषि मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में एमएसपी के तहत यूपीए सरकार की तुलना में दोगुना ज्यादा खरीद हुई। सरकार मंडी व्यवस्था को खत्म नहीं करना चाहती। किसानों को मंडियों के अतिरिक्त फसल बेचने का दूसरा विकल्प उपलब्ध कराना चाहती है। इसी रास्ते से किसानों की आय में दोगुना बढ़ोत्तरी संभव है।

अब स्वदेशी जागरण मंच ने जताई चिंता
किसान आंदोलन पर सहयोगियों की नाराजगी के बाद संघ परिवार से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने भी चिंता जताई। मंच से जुड़े अश्विनी महाजन ने कहा कि हालांकि कानून अच्छा है, मगर एमएसपी के मामले में किसानों की आशंकाओं को हर हाल में दूर किया जाना चाहिए। वर्तमान कानून में सुधार की गुंजाइश है। भरोसा पैदा करने के लिए कानून में बदलाव किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मंडी के बाहर अनाज बेचने का अधिकार देना सही है, मगर इसमें निजी क्षेत्र की बड़ी कंपनियां किसानों को मुश्किल में डाल सकती है।