महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में बारिश से उड़द की फसल को बड़े नुकसान की आशंका

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इंदौर। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में बारिश की वजह से उड़द की फसल को बड़े नुकसान की आशंका से इन दिनों भाव में तेजी का रुझान है। महाराष्ट्र के सभी उत्पादक क्षेत्रों में अधिक बारिश की वजह से उड़द की 50 प्रतिशत से अधिक फसल को नुकसान की आशंका जताई जा रही है। मंडियों में जो माल आ रहा है, वह भी अधिक नमी के साथ ही कमजोर किस्म का भी बताया जा रहा है।

इसके अलावा नए माल में मिटटी की अधिक मात्रा की भी शिकायत की जा रही है। मध्य प्रदेश के अलीराजपुर और आसपास के इलाकों में भी उड़द की फसल को बड़े नुकसान की सूचना है। राजस्थान के उत्पादक क्षेत्रों में बुआई कम होने से वहां भी मंडियों में भाव ऊंचे बताए जा रहे हैं। सरकार की तरफ से आयात पर रोक और कोटे की अवधि नहीं बढ़ाए जाने से तेजी को सपोर्ट मिल रहा है।

बाजार में माल कम
चने में खुले बाजार में माल की लगातार कमी और नैफेड के स्टॉक का भाव 5,150 रुपये से नीचे नहीं आने से तेजी बने रहने की संभावना है। तुअर, मसूर और इनकी दालों के भाव भी तेज रहे। काबुली की 2,000 बोरी आवक पर स्थिरता रही। गेहूं के भाव घटने पर बिकवाली थमने से गिरावट भी थम गई है। दूसरी तरफ सोयाबीन का उत्पादन बढ़ा है, लेकिन पिछले दिनों हुई बारिश के कारण दागी और गीले की आवक बढ़ने से प्लांट परेशान हैं। ऐसे में किसानों को क्लेम (औसत भाव में कटौती) के साथ भुगतान लेना पड़ रहा है।

इस साल 120 लाख टन सोयाबीन उत्पादन के अनुमान के चलते भाव पर दबाव की संभावना पहले से थी। फिलहाल मंडियों में दागी माल आ रहा है, जिसमें पांच प्रतिशत तक मिटटी और कचरे के साथ 15 प्रतिशत तक नमी भी है। प्रेदश की मंडियों में औसतन 50 हजार बोरी सोयाबीन की आवक में से 10 हजार बोरी भी बेहतर क्वालिटी का नहीं है। प्लांट ऐसे माल की खरीदी औसत किस्म के मुकाबले कम भाव पर कर रहे हैं।

नए माल के भाव 2,600-3,900 रुपये तक बताए जा रहे हैं। कुछ मंडियों में अच्छी किस्म के सोयाबीन के भाव 4,100 रुपये तक हैं। केंद्र सरकार की तरफ से गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में की गई 75 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ोतरी का इसके भाव पर तत्काल असर नहीं हुआ है। गेहूं की पिछली रिकॉर्ड फसल और लॉकडाउन के बाद से मांग में लगातार घटने से इसके भाव मौजूदा एमएसपी से 300-400 रुपये प्रति क्विंटल कम हैं।

मांग की मौजूदा स्थिति को देखते हुए फिलहाल भाव बढ़ने की उम्मीद नहीं है। चना और मसूर की एमएसपी बढ़ने से पहले ही मंडियों में इनके भाव ऊंचे थे। कम उत्पादकता और नैफेड के टेंडर ऊंचे भाव पर होने से इनमें तेजी का रुझान है। तुअर में फिलहाल आयातित माल की कमी से तेजी जारी रहने के आसार हैं।