काेविड निगेटिव मरीजाें के लंग्स में परेशानी पर अब उन्हें लगा सकेंगे रेमडेसिविर इंजेक्शन

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कोटा। कोविड में सबसे अहम और कारगर माने जा रहे जीवनरक्षक इंजेक्शन “रेमडेसिविर’ की डोज अब कोविड निगेटिव या संदिग्ध के तौर पर हॉस्पिटल में एडमिट होने वाले उन मरीजाें काे दी जा सकेगी, जिनके लंग्स में बाइलेट्रल निमोनिया बना हुआ हो। कई दिनों से पूरे राज्य के मेडिकल कॉलेजों के स्तर पर यह मुद्दा उठाया जा रहा था तो अब इसे लेकर सरकार ने नई गाइडलाइन जारी कर दी है।

जयपुर में एसएमएस मेडिकल कॉलेज के स्तर पर बनाए गए राज्य स्तरीय मेडिकल टेक्निकल कोर ग्रुप ने इस एंटी वायरल थैरेपी को लेकर एडवाइजरी जारी की है। इसी मुद्दे पर तीन-चार दिन पहले पूरे राज्य के उन सभी सरकारी या प्राइवेट हॉस्पिटलों का एक वर्चुअल ट्रेनिंग सेशन भी किया गया है, जो कोविड का इलाज कर रहे हैं।

यह महंगा इंजेक्शन राजस्थान में मरीजों को फ्री लगाया जा रहा है और विशेषज्ञों का मानना है कि इससे राज्य में हजारों गंभीर मरीजों को जान बची है। विशेषज्ञ तो यहां तक कहते हैं कि इस इंजेक्शन का ज्यादातर मरीजों में बेहतर रिजल्ट सामने आया है।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव अखिल अरोरा ने बताया कि बाइलेट्रल निमोनिया के ऐसे मरीज, जिन्हें रेमडेसिविर देने की जरूरत हो तो उन्हें दिए जा सकते हैं, चाहे वे आरटी पीसीआर टेस्ट में नेगेटिव हों। इस संबंध में कोर ग्रुप भी सलाह दे चुका है और एक ट्रेनिंग सेशन भी करवा दिया है। फिर भी यदि कोटा में कहीं कोई दिक्कत है तो मैं पर्सनल इसे चेक कर लेता हूं।

ऐसे किया जाता है इसका निर्माण : रेमडेसिवीर 100 एमएस जीवाणुरहित, प्रीजर्वेटिव-फ्री आइयोफिलाइज्ड सॉलिड इंजेक्शन है। जिसे 19 एमएस जीवाणुरहित पानी के साथ तैयार कर 0.9% खारे पानी में मिलाया जाता है। इसे तैयार करने के बाद 5 एमएस रेमडेसिवीर के मिश्रण के साथ एक 20 एमएस खुराक की शीशी तैयार की जाती है। इस इंजेक्शन को 30 डिग्री से कम तापमान पर रखा जाना चाहिए। इसी तरह उपयोग से पहले इसे 2 से 8 डिग्री के तापमान पर रखा जाना चाहिए।

कैसे काम करती है ये दवा : यह दवा सीधे वायरस पर हमला करती है। इसे न्यूक्लियोटाइड एनालॉग कहा जाता है, जो एडेनोसिन की नकल करता है और आरएनए व डीएनए के चार बिल्डिंग ब्लॉक्स में से एक है। टेक्सास एएंडएम यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजिस्ट बेंजामिन नेउमन ने कहा कि वायरस आमतौर पर तेजी से हमला करने की कोशिश करते हैं। रेमडेसिवीर चुपके से एडेनोसिन के बजाय वायरस के जीनोम में खुद को शामिल करता है, जो रेप्लिकेशन प्रोसेस में शॉर्ट सर्किट की तरह काम करता है।

असरकारी है यह दवा : अमेरिकी संस्थाओं के अनुसार सांस की तकलीफ के कारण अस्पताल में भर्ती हुए कोरोना वायरस मरीज प्लेसीबो की तुलना में इस इंजेक्शन से जल्दी ठीक हो गए। इस दवा के उपयोग वाले मरीजों के ठीक होने की रफ्तार 31 प्रतिशत अधिक रही है।पहले सिर्फ पॉजिटिव मरीजों को ही दे रहे थे ये इंजेक्शनअसल में जब सरकार से इन इंजेक्शन की सप्लाई मिलने लगी तो यही निर्देश थे कि इन्हें सिर्फ कोविड पॉजिटिव मरीजों को ही लगाए जाएं।

दिक्कत उस वक्त होती थी, जब मरीज बाइलेट्रल निमोनिया से हॉस्पिटल में एडमिट होता था और कई बार टेस्ट में निगेटिव आता था। कोटा में कई ऐसे मरीज भी रहे, जो दो से तीन बार निगेटिव आते रहे और अंत में पॉजिटिव आए। ऐसे में डॉक्टर चाहकर भी ऐसे रोगी को यह इंजेक्शन नहीं लगा पाते थे और इसी बीच मरीज की स्थिति बिगड़ती चली जाती थी। इससे राज्य में कोविड की मृत्यु दर बढ़ने का खतरा बना हुआ था।

गत दिनों कोटा में प्रिंसिपल के निर्देश पर बनाई गई डेथ ऑडिट कमेटी ने भी यह सुझाव दिया था कि इन इंजेक्शनों को लेकर गाइडलाइन में बदलाव की जरूरत है। संदिग्ध या निगेटिव मरीजों को भी यह इंजेक्शन देना चाहिए, बशर्ते उसके चेस्ट में उस स्तर का इंफेक्शन हो, जब ये इंजेक्शन दिए जाते हैं।

कोटा को 1 हजार इंजेक्शन और मिले : सरकार ने कोटा को 1 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन और आवंटित किए हैं। कोटा में जैसे-जैसे गंभीर मरीज बढ़ रहे हैं, वैसे ही इस इंजेक्शन की खपत बढ़ गई है। कोटा में बूंदी, बारां और झालावाड़ के भी मरीज आ रहे हैं, ऐसे में सरकार कुछ-कुछ दिनों में यहां इंजेक्शन आवंटित कर रही है।