जयपुर। विधानसभा में बुधवार को एक अजीब वाकया हो गया। सभापति राजेंद्र पारीक कोरोना वायरस को लेकर सदन में होम्योपैथ की दवा के बारे में बता रहे थे। कह रहे थे कि विधानसभा के एक डाक्टर के पास इसकी प्रिवेंटिव दवा है। उस दवा का इस्तेमाल विधानसभा के सदस्यों और कर्मचारियों को भी कराना चाहिए, लेकिन उनकी बातों को स्वास्थ्य मंत्री गंभीरता से नहीं सुन रहे थे। तब वह प्रताप सिंह खाचरियावास और अन्य से बातचीत करने में लगे हुए थे।
इस पर पारीक नाराज हो गए। पारीक ने गुस्से में कहा कि ज्ञान किसी की बपौती नहीं है ज्ञान सब जगह हैं। इस पर स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा भी चुप नहीं रहे। तुरंत खड़े हुए और बोले आप सभापति की चेयर पर बैठे हो। आप इस तरीके की भाषा इस्तेमाल नहीं कर सकते हो।
रघु शर्मा ने आगे कहा कि हम भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार चलेंगे। इस पर सदन में हंगामा हो गया और उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि इस तरीके से मंत्री को सभापति से नहीं बोलना चाहिए। राजस्थान की जनता मंत्री को देख रही है। यह क्या हो रहा है।
तब रघु शर्मा ने कहा कि यह बहुत सेंसिटिव मामला है। इसकी गंभीरता को हम समझ रहे हैं। जो डब्ल्यूएचओ और भारत सरकार की गाइडलाइन है उसके अनुरूप ही हम अपना कोर्स एक्शन तय करेंगे। आजकल ज्ञानी तो बहुत लोग हो गए हैं। रास्ते चलते किसी बीमारी का 40 तरह का इलाज बता देंगे, लेकिन हर किसी के ज्ञान को हम ले नहीं सकते हैं।
इस पर राजेंद्र पारीक ने कहा कि यदि कोरोना वायरस को लेकर डॉक्टर ने कुछ कहा है और प्रिवेंटिव मेडिसिन बताया है तो उसमें कोई हर्ज नहीं है उनसे बात करें और पूछें। चार गोलियां अगर निगल लेंगे तो उनका कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा।
पारीक ने स्वाइन फ्लू की की दवा भी दी थी: पारीक
पारीक ने कहा कि उन्हें डॉक्टर ने यह भी बताया कि स्वाइन फ्लू के समय भी उन्होंने प्रिवेंटिव दवा दी थी। बीमारियों का इलाज आयुर्वेद होम्योपैथी, एलोपैथी में भी है। इलाज भी किसी की बपौती नहीं है जहां से भी हमें सहयोग मिले वह सहयोग हमें लेना चाहिए। इस पर रघु शर्मा ने कहा कि मैं आपका पूरा सम्मान करता हूं, लेकिन आपके रिमार्क ऐसे नहीं होनी चाहिए कि कल किसी को कोई दिक्कत हो तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? इस बीमारी का दवाई अभी इजाद ही नहीं हुए हैं। ऐसे में इसका बचाव ही इसका उपचार है।