जयपुर। फर्जी फर्म बनाकर ठगों ने पोंजी स्कीम से कम से कम 300 निवेशकों को 200 करोड़ से ज्यादा रुपए की चपत लगा दी। आरोपियों ने निवेशकों को हर माह डेढ़ से तीन फीसदी तक के रिटर्न का झांसा देकर यह रकम ठगी। पीड़ितों का दावा है कि यह स्कैम 700 करोड़ रुपए से ज्यादा का हो सकता है। पीड़ितों में अधिकांश डॉक्टर, वकील व मोटी तनख्वाह वाले एग्जीक्यूटिव हैं।
पीड़ितों ने जब थानों में मुकदमे दर्ज कराने शुरू किए तो आरोपी ने कोर्ट में दिवालिया होने की अर्जी पेश कर दी। अकेले चित्रकूट थाने में को 40 शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। इसके अलावा मानसरोवर, शिप्रापथ, प्रतापनगर इत्यादि थानों में भी पीड़ितों ने एफआईआर दर्ज कराई है। इसके अलावा बड़ी संख्या में ऐसे निवेशकों की है, जो अनअकाउंटेड पैसा होने के कारण शिकायत दर्ज नहीं करा रहे। मामले में पहली एफआईआर चित्रकूट थाने में दो दिसंबर 19 को दर्ज हुई।
सितंबर से रिटर्न नहीं दिया, इसके बाद पहले दफ्तर फिर फोन उठाना भी बंद किया
अजमेर रोड स्थित मेट्रोपोलिस निवासी अरुण अग्रवाल ने वैशाली नगर स्थित एवरशाइन टॉवर में वैभव एंटरप्राइजेज नाम से फर्म का दफ्तर खोला। उसने मनी लेंडर लाइसेंस भी ले रखा था। इसके बाद उसने धौलपुर निवासी अमित गौतम के साथ मिलकर हर माह डेढ़ से तीन फीसदी तक रिटर्न का झांसा देकर फर्म में निवेश कराया।
दोनों निवेशकों को बताते थे कि उनकी फर्म मूल रूप से फाइनेंस का काम करती है। इसके अलावा ट्रांसपोर्ट, दवाओं, सॉफ्टवेयर, प्रॉपर्टी तथा मूवर्स एंड पैकर्स का भी व्यवसाय है। इससे मोटा मुनाफा होता है। निवेशकों को लुभाने के लिए वह अपना लाइसेंस भी दिखाते। सितंबर के बाद उन्होंने कई निवेशकों को रिटर्न देना बंद कर दिया।
निवेशकों ने मूल रकम का तकाजा करना शुरू किया तो फर्म का दफ्तर बंद हो गया और दोनों ने फोन उठाना बंद कर दिया। इस पर निवेशकों ने चित्रकूट थाने पहुंचना शुरू हो गए। थाना पुलिस ने पड़ताल की तो सामने आया कि फर्म फाइनेंस का कोई काम नहीं कर रही।
प्रॉपर्टियां खरीदी, फिर इन पर ही लोन उठाया
अरुण ने निवेशकों रिझाने के लिए करीब 25 करोड़ की प्राॅपर्टियां खरीदी। निवेशकों को बताया गया कि ये संपत्तियां मुनाफे से खरीदी हैं। इन्हीं प्रापर्टियों से बैंकों से करीब 17 करोड़ रु. का लोन उठा लिया। अब इन प्रापर्टियों को बैंकों ने अपने कब्जे में लेने की कार्यवाही शुरू कर दी है।
दिवालिया अर्जी में 123 करोड़ लेने की बात कही
अरुण अग्रवाल ने 11 दिसंबर को कोर्ट में दिवालिया होने की अर्जी पेश की। इसमें स्वीकार किया कि उसने 286 लोगों के 123 करोड़ रुपए लिए।
वैभव एंटरप्राइजेज के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज
कई ऐसे निवेशक ने थाने में शिकायत दर्ज कराई है, जिनका आरोपी की अर्जी में नाम नहीं है। वैभव एंटरप्राइजेज के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हुए हैं। आरोपी को पकड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। – विरेंदर कुमार कुरील, एसएचओ, चित्रकूट