नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के बजट में कॉरपोरेट सेक्टर को लाभांश वितरण कर (डीडीटी) से राहत दे दी। कंपनियों के लिए पहले ही कॉरपोरेट टैक्स की दर को करीब 35 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी किया जा चुका है। इसके साथ ही नई मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों के लिए शर्तों के साथ कॉरपोरेट टैक्स को और घटाकर 15 फीसदी किया जा चुका है।
लाभांश कर की व्यवस्था के तहत पहले कंपनियां अपने शेयरधारकों को जो लाभांश देती थीं, उस पर उन्हें लाभांश वितरण टैक्स भी देना होता था। अब उन्हें लाभांश वितरण कर नहीं देना होगा। कंपनियों के लिए लाभांश वितरण कर समाप्त किए जाने से सरकार को राजस्व में 25,000 करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है।
लाभांश पाने वालों पर लगेगा लाभांश टैक्स
अब लाभांश पाने वालों को लाभांश टैक्स देना होगा। हालांकि यह टैक्स उन्हें अपने इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से देना होगा। टैक्स विशेषज्ञों के मुताबिक आम आदमी पर टैक्स का बोझ बढ़ने की आशंका है। हालांकि छोटे शेयरधारकों को इसका फायदा मिलेगा, क्योंकि लाभांश वितरण कर के कारण कंपनियां शेयरधारकों को लाभ पहुंचाने के लिए बायबैक जैसे उपकरणों का सहारा लेती थीं।
इससे उन शेयरधारकों को फायदा नहीं मिलता था, जो बायबैक में शामिल नहीं होते थे। अब कंपनियां लाभांश देने के लिए प्रोत्साहित होंगी और लंबी अवधि के लिए निवेश करने वाले छोटे निवेशकों को इसका फायदा मिलेगा।
कंपनियों को अभी लाभांश वितरण पर 220.35 फीसदी अतिरिक्त टैक्स देना होता था। इसमें सेस और सरचार्ज भी शामिल होता था। इसके कारण कंपनियां शेयरधारकों को कम टैक्स दे पाती थीं। अब टैक्स से छूट मिलने पर वह अधिक लाभांश दे पाएंगी। इससे निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश करने की प्रेरणा मिलेगी।