नई दिल्ली। व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता विधेयक, 2019 के लागू होने पर महिलाओं से नाइट शिफ्ट में ड्यूटी लेने से पहले उनकी सहमति लेना अनिवार्य होगा। निर्धारित प्रतिष्ठानों के मामले में सरकार द्वारा निर्धारित सुरक्षा, अवकाश, काम के घंटे या अन्य शर्त के अधीन महिलाओं को शाम 7 बजे के बाद और सुबह 6 बजे से पहले काम करने के लिए अनुमति लेनी होगी।
महिलाओं की सहमति से उन्हें नाइट शिफ्ट में ड्यूटी के लिए माहौल तैयार करने से लैंगिक समानता को प्रोत्साहन मिलेगा और यह अंतर्राष्ट्रीय संघटनों सहित विभिन्न मंचों की मांग के अनुरूप है। रात्रि कार्य के लिए महिला कर्मचारी की सहमति और इच्छा की शर्त से प्रावधान का दुरूपयोग टलेगा।
व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति को विनियमित करने वाले कानूनों में संशोधन करने के लिए व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता विधेयक, 2019 में इन प्रावधानों का उल्लेख किया गया है। इस बिल को लोक सभा में पेश किया गया है।
संहिता की अन्य मुख्य विशेषताएं
संहिता में व्यापक विधायी रूपरेखा का प्रावधान है, जो विभिन्न क्षेत्रों की आवश्यकताओं के अनुसार नियम-विनियम बनाने, मानक तय करने और उप-विधि बनाने में सहायक है। इसके परिणामस्वरूप संहिता में अनुच्छेद की संख्या 622 से घटकर 134 हो गई है। इससे कानून सरल होगा और उसमें उभरती टेक्नॉलाजी के अनुरूप परिवर्तन की गुंजाइश होगी और कानून गतिशील होगा।
विधेयक में अनेक पंजीकरण के बदले एक प्रतिष्ठान के लिए एक पंजीकरण का प्रस्ताव किया गया है। अभी 13 श्रम कानूनों में से 6 में प्रतिष्ठान के लिए अगल से पंजीकरण की व्यवस्था है। इससे एक केंद्रीकृत डाटा बेस बनेगा और व्यावसायिक सुगमता को प्रोत्साहन मिलेगा। अभी 6 कानूनों के अंतर्गत अलग पंजीकरण की आवश्यकता पड़ती है।
नियोक्ता निर्धारित प्रतिष्ठान के निर्धारित आयु के ऊपर के कर्मियों के लिए निर्धारित स्वास्थ्य जांच की वार्षिक निशुल्क सुविधा देंगे। इससे उत्पादकता बढ़ेगी क्योंकि बीमारी का पता लगाना संभव हो सकेगा। स्वास्थ्य परीक्षण के लिए एक निश्चित उम्र के कर्मचारियों की कवरेज से समावेश को प्रोत्साहन मिलेगा।
कर्मचारी का शोषण रुकेगा
संहिता में पहली बार प्रतिष्ठान के प्रत्येक कर्मचारी को सरकार द्वारा तय न्यूनतम सूचना के साथ वैधानिक प्रावधान किया गया है। नियुक्ति पत्र के प्रावधान से रोजगार का औपचारिक रण होगा और कर्मचारी का शोषण रुकेगा ।
पांच श्रम कानूनों के अंतर्गत अनेक समितियों का स्थान एक राष्ट्रीय व्यावसायिक सुरक्षा तथा स्वास्थ्य सलाहकार बोर्ड लेगा। राष्ट्रीय बोर्ड स्वरूप में त्रिपक्षीय होगा और इसमें मजदूर यूनियनों, नियोक्ता संगठनों तथा राज्य सरकारों का प्रतिनिधित्व होगा।
द्विपक्षीय सुरक्षा समिति बनाने का प्रावधान
इससे विभिन्न कानूनों में निकायों / समितियों की संख्या कम होगी और सरल तथा समन्वित नीति बनेगी। सरकार द्वारा किसी भी श्रेणी के प्रतिष्ठान में द्विपक्षीय सुरक्षा समिति बनाने का प्रावधान होगा। इससे प्रतिष्ठान में सुरक्षा और स्वस्थ्य कामकाजी माहौल को प्रोत्साहन मिलेगा। समिति के भागीदारी मूलक स्वरूप से प्रबंधन द्वारा लिए गए निर्णयों को लागू करने में प्रोत्साहन मिलेगा।
मृत्यु या किसी व्यक्ति के गंभीर रूप से घायल होने की स्थिति में नियोक्ता के कर्तव्यों से संबंधित प्रावधानों के उल्लंघन पर दंड का एक हिस्सा अदालत द्वारा पीड़ित या पीड़ित व्यक्ति के कानूनी उत्तराधिकारी को दिया जाएगा। दंड के इस हिस्से से घायल कर्मी को सहायता मिलेगी या मृतक के परिवार को वित्तीय सहायता मिलेगी।
वर्तमान में विभिन्न कानूनों में क्रेच, कैंटीन, प्रथम चिकित्सा सहायता, कल्याण अधिकारी जैसे विभिन्न प्रावधानों को लागू करने की अलग–अलग शर्तें हैं। प्रस्तावित संहिता में सभी प्रतिष्ठानों के लिए जहां तक व्यावहारिक रूप से संभव है उनके कर्मचारियों के कल्याण के लिए एकरूप प्रावधान होंगे।