इंदौर। प्रमुख सोयाबीन उत्पादक क्षेत्रों में मॉनसून की धीमी चाल के बीच, केंद्र सरकार के एक संस्थान ने बुधवार को संशोधित अनुमान जताया कि देश में इस तिलहन फसल का रकबा 10 प्रतिशत गिरकर तकरीबन 100 लाख हेक्टेयर रह सकता है।
इंदौर के भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान (आईआईएसआर) के निदेशक वीएस भाटिया ने बताया, “मौजूदा हालात के मद्देनजर हमें लगता है कि देश में खरीफ के इस मौसम के दौरान सोयाबीन का रकबा 100 लाख हेक्टेयर के आस-पास रह सकता है।” गौरतलब है कि आईआईएसआर निदेशक ने सात जुलाई को अपने पिछले अनुमान में कहा था कि मौजूदा खरीफ सत्र में सोयाबीन का राष्ट्रीय रकबा 110 लाख हेक्टेयर रह सकता है।
वर्ष 2018 के खरीफ सत्र में भी देश में लगभग इतने ही क्षेत्र में सोयाबीन बोया गया था। बहरहाल, मॉनसून की सुस्त चाल के कारण आईआईएसआर निदेशक को अपना पिछला अनुमान संशोधित करना पड़ा है। भाटिया ने बताया, “सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक मध्यप्रदेश में मॉनसून पहले तो देरी से आया। इसके बाद सूबे में सोयाबीन की खेती वाले प्रमुख इलाकों में मॉनसूनी बारिश में कमी दर्ज की गयी।
इसका सीधा असर सोयाबीन बुआई पर पड़ा है।” सोयाबीन फसल की मौजूदा स्थिति के बारे पूछे जाने पर उन्होंने बताया, “मध्यप्रदेश के कुछ सोयाबीन उत्पादक हिस्सों में हालांकि पिछले दो दिन में मॉनसूनी बारिश का दौर फिर शुरू हुआ है। लेकिन सूबे के कई हिस्सों में वर्षा की लम्बी खेंच से किसान चिंतित हैं। इन इलाकों में अगर जल्द ही अच्छी बारिश नहीं हुई, तो सोयाबीन फसल की पैदावार पर असर पड़ सकता है।”