जब ऐप लगाएगी टीचर की अटेंडेंस, पूरे देश में लागू होगी योजना

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  • शिक्षकों, छात्रों के प्रदर्शन की निगरानी के लिए केंद्र की महत्त्वाकांक्षी योजना
  • कागजी दस्तावेजों के बगैर ही चलाए जाएंगे सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूल
  • छत्तीसगढ़ में प्रायोगिक परियोजना के उत्साहजनक परिणाम
  • राज्य सरकार करीब 40,000  टैबलेट  खरीदने की प्रक्रिया में
  • बाद में पूरे देश में लागू होगी योजना

नई दिल्ली। सरकारी स्कूलों के कुछ शिक्षक अगर अभी तक स्कूल नहीं आने और फर्जी हाजिरी लगाने के आदी थे तो उन्हें अब सुधरना पड़ेगा। सरकार उनका और स्कूली बच्चों का प्रदर्शन सुधारने के लिए लंबी-चौड़ी योजना बना रही है, जिसमें हाजिरी के रजिस्टर पर दस्तखत करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।

सरकारी स्कूलों में कागज का इस्तेमाल कम से कम करने की इस योजना के तहत अगले साल से शिक्षकों को अपनी उपस्थिति, छात्रों के प्रदर्शन और मध्याह्न भोजन की जानकारी रोज टैबलेट या स्मार्टफोन पर देनी होगी। इसमें देश भर के सरकारी स्कूलों को एकीकृत डिजिटल प्रणाली से जोड़ा जाएगा।

सरकार 87 लाख शिक्षकों, 25 करोड़ छात्रों और 15 लाख सरकारी और सरकार से मदद पाने वाले स्कूलों के प्रदर्शन की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी करना चाहती है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय जल्द ही भाजपा के शासन वाले तीन राज्यों छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान में इसकी शुरुआत करेगा।

इसमें राज्य सरकारों से भी सक्रिय सहयोग लिया जाएगा। भाजपा के सहयोगी दल तेलुगुदेशम पार्टी के शासन वाले आंध्र प्रदेश में भी इसी साल से यह योजना शुरू होगी। एक अधिकारी ने बताया कि सरकारी और सरकार से सहायता प्राप्त हरेक स्कूल को जीएसएम प्रणाली वाला टैबलेट या स्मार्टफोन दिया जाएगा। उसमें एक ऐप होगा।

शिक्षक बायोमीट्रिक जानकारी और आधार के जरिये उस पर अपनी हाजिरी उसी तरह लगाएंगे, जैसे दिल्ली में केंद्र सरकार के कर्मचारी करते हैं। ग्रामीण इलाके में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या को देखते हुए इस जानकारी को ऑफलाइन इकट्ठा किया जाएगा और राज्य के सर्वर पर अपलोड कर दिया जाएगा। सरकार को लगता है कि इससे स्कूलों में शिक्षकों की अनुपस्थिति की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी।

शिक्षकों को छात्रों को पढ़ाने के अलावा कारगर विद्यालय प्रबंधन के लिए 14 तरह की जानकारी भी उपलब्ध करानी होगी। इनमें से 6 तरह की जानकारी विशेष रूप से छात्रों से जुड़ी होगी। छात्रों के दाखिले, प्रगति, उपस्थिति, व्यापक मूल्यांकन, प्रोत्साहन और पूरक शिक्षण प्रबंधन आदि की जानकारी एकीकृत डिजिटल प्रणाली को देनी होगी।

इसी तरह प्रणाली शिक्षकों की जानकारी, उपस्थिति, अवकाश और वेतन आदि की जानकारी इकट्ठी करेगी। इसके अलावा मध्याह्न भोजन योजना, सुविधाओं और जीआईएस मॉड्यूल की जानकारी भी प्रणाली को देनी होगी। इस समय स्कूलों से संबंधित सभी जानकारियां रजिस्टर में दर्ज की जाती हैं और फिर इसे सत्यापन के लिए राज्य सरकार के पास भेजा जाता है।

सरकार का कहना है कि इस योजना का मकसद स्कूलों की स्थिति सुधारना और कागजी दस्तावेजों की पुरानी व्यवस्था से निजात पाना है। सरकार छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में शुरू की गई प्रायोगिक परियोजना से उत्साहित है और उसका कहना है कि एकीकृत डिजिटल प्रणाली से जानकारी इकट्ठी करने में लगने वाला समय और खर्च बचेगा।