नई दिल्ली।आर्थिक रूप से गरीब लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का केंद्र सरकार का फैसला दो अकैडमिक सत्र में 2020 तक लागू हो पाएगा। प्राइवेट संस्थाओं में भी इसे लागू करने की महत्वाकांक्षी योजना को लागू कराने का काम इतना आसान नहीं हो सकता। सरकार की इस योजना के तहत प्राइवेट शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण की व्यवस्था को लागू करना है।
केंद्र सरकार की योजना है कि निजी शिक्षण संस्थानों में भी अनिवार्य तौर पर 49.5% आरक्षण (एससी-एसटी, ओबीसी रिजर्वेशन) लागू किया जा सके। इस साल शुरू होनेवाले नए शैक्षिक सत्र में इसे लागू किया जा सके। सरकार पायलट प्रॉजेक्ट के तौर पर निजी शिक्षण संस्थानों को भी इस दायरे में लाना चाहती है।
सरकार की योजना दोनों ही रिजर्वेशन को लागू कराने की है जिसमें जाति आधारित आरक्षण की पहले से व्यवस्था के साथ संविधान संशोधन कर लागू किया हालिया आर्थिक आधार पर आरक्षण भी शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि निजी संस्थानों को अपनी वेबसाइट पर रिजर्वेशन के आधार पर दाखिले से संबंधित डिटेल्स अपनी वेबसाइट पर देने के लिए कहा जा सकता है।
वेबसाइट पर जानकारी देने के साथ इन्हें लागू करने के निर्देश पालन की सूचना के लिए भी कहा जा सकता है। मौजूदा निर्देशों के पालन नहीं करने की दशा में इन संस्थाओं पर कार्रवाई भी हो सकती है। अभी तक इस बारे में कोई स्पष्ट योजना नहीं है कि इन संस्थानों पर पड़नेवाले वित्तीय बोझ का वहन कैसे होगा।
इनकी फंडिंग क्या सरकार की तरफ से होगी या संस्थानों की तरफ से। 93वां और 103वां संविधान संशोधन के तहत निजी संस्थानों को भी इसके दायरे में रखा गया है, लेकिन अलग से कानून और प्रक्रिया नहीं होने के कारण अब तक इनका सख्ती से पालन नहीं हो सका है।