पेट्रोलियम कंपनियों ने काट दिए 30 लाख रसोई गैस कनेक्शन

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नई दिल्ली। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल) ने इस महीने कम से कम 30 लाख रसोई गैस कनेक्शन काट दिए हैं, जबकि 1 करोड़ कनेक्शनों की जांच चल रही है।

कंपनी के अधिकारियों एवं डीलरों के मुताबिक बंद किए गए खाते घरेलू गैर सब्सिडी वाले उपभोक्ताओं (डीएनएससी) के हैं जो गैर नकदी हस्तांतरण अनुपालन (एनसीटीसी) वाले कनेक्शन है। एनसीटीसी कनेक्शन ऐसे होते हैं, जो बैंक खाते से नहीं जुड़े होते और उन पर सब्सिडी नहींं दी जाती है।

बहरहाल यह कार्रवाई रसोई गैस का इस्तेमाल दूसरे मद में करने को रोकने के मकसद से की गई है। इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘कम से कम 1 करोड़ कनेक्शन जांच के दायरे में हैं। यह शिकायत आई है कि जिन एनसीटीसी खातों को जांच के बाद बंद कर दिया गया था, वे पिछले कुछ महीने में फिर से चालू हो गए हैं।

कम से कम 30 लाख खाते जनवरी में फिर से बंद किए गए हैं।’ कंपनियों का कहना है कि इस तरह के कनेक्शन कर की राशि बचाने हेतु लिए जाते हैं क्योंकि वाणिज्यिक एलपीजी पर ज्यादा कर है। वाणिज्यिक एलपीजी पर 18 प्रतिशत कर लगता है, जबकि घरेलू एलपीजी पर 5 प्रतिशत कर है।

अब तेल कंपनियां 1 करोड़ खातों की जांच कर रही हैं, जिनमें वे कनेक्शन भी शामिल हैं जो आधार से जुड़े हुए हैं। रसोई गैस के लिए प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण (डीबीटीएल) लागू किए जाने के बाद करीब 3.74 करोड़ फर्जी कनेक्शन खत्म कर दिए गए, जिससे सरकारी खजाने के करीब 30,000 करोड़ रुपये बचे हैं।

सरकार ने गिव अप अभियान, सभी जिलों में डीबीटीएल लागू करने व एलपीजी कनेक्शन को आधार से जोडऩे जैसे कई अभियान चलाए हैं, जिससे सही व्यक्तियों तक सब्सिडी पहुंच सके। बहरहाल इस कदम का  विरोध भी हो रहा है।

फेडरेशन का कहना है कि गिव इट अप वाले उपभोक्ताओं को भी आधार से जोड़ा जाना चाहिए। इस अभियान के कारण कम से कम 1 करोड़ लोगों ने रसोई गैस सब्सिडी छोड़ी है और डीलरों का कहना है कि इनमें बड़ी संख्या में ऐसे ग्राहक हैं, जिनके कनेक्शन आधार से नहीं जुड़े हैं।