नई दिल्ली। ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स में भारत को 30वीं रैंक मिली है। इस मामले में भारत चीन को छोड़कर सभी ब्रिक्स देशों से ऊपर है। वहीं, लिस्ट में जापान टॉप है और चीन 5वें नंबर पर है। यह रैंक वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने दी है। जेनेवा बेस्ड वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रीडिनेस फॉर द फ्यूचर ऑफ प्रोडक्शन रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
ब्रिक्स देशों में भारत दूसरे पर
रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग ब्रिक्स देशों में दूसरे नंबर पर है। इसमें चीन को 5वीं, भारत को 30वीं, रूस को 35वीं, ब्राजील को 41वीं और साउथ अफ्रीका को 45वीं रैंक मिली है। वहीं, जापान के बाद टॉप 10 में साउथ कोरिया, जर्मनी, स्विटजरलैंड, चीन, चेज रिपब्लिक, यूएस, स्वीडन, ऑस्ट्रिया और आयरलैंड का नाम है।
भारत विश्व का 5वां बड़ा मैन्युफैक्चरर
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार भारत विश्व का 5वां बड़ा मैन्युफैक्चरर देश है। 2016 में इस मामले में भारत की ओर से 42000 करोड़ डॉलर वैल्यू ऐड किया गया।
भारत में यह सेक्टर पिछले 3 दशक से औसतन हर साल 7 फीसदी की दर से ग्रोथ कर रहा है और इस सेक्टर का भारत की जीडीपी में योगदान 16 से 20 फीसदी है। भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट की डिमांड लगातार बढ़ रही है।
भारत लीगैसी कटेगिरी में
भारत को इसमें लीगैसी कटेगिरी में शामिल किया गया है। इसमें भारत के साथ हंगरी, मैक्सिको, फिलीपींस, रूस, थाईलैंड और तुर्की शामिल हैं। वहीं, चीन को लीडिंग कटेगिरी में रखा गया है, ब्राजील और साउथ अफ्रीका चौथी कटेगिरी नैसेंट में शामिल हैं।
4 कटेगिरी में 100 देश
रिपोर्ट में कुल 4 कटेगिरी रखी गई है, जिसमें 100 देश शामिल हैं। 4 कटेगिरी में लीडिंग, हाई पोटेंशियल, लीगैसी और नैसेंट शामिल हैं। लीडिंग यानी जिन देशों का करंट बेस मजबूत है और भविष्य के प्रति मुस्तैदी ज्यादा है। हाई पोटेंशियल में वे देश जिनमें करंट बेस लिमिटेड है लेकिन भविष्य के लिए पोटेंशियल ज्यादा है।
लीगैसी में वे देश जिनका करंट बेस तो मजूबत है लेकिन भविष्य में रिस्क दिखता है। वहीं, नैसेंट में वे देश शामिल हैं, जिनके यहां लिमिटेड करंट बेस के साथ भविष्य के प्रति पोटेंशियल भी कम है।