हल्की क्वालिटी का माल अधिक आने से लालमिर्च में तेजी के आसार नहीं

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गुंटूर। दक्षिण भारत के प्रमुख उत्पादक राज्यों की महत्वपूर्ण मंडियों में लालमिर्च की अच्छी आवक हो रही है मगर अधिकांश माल की क्वालिटी हल्की होने के कारण निर्यातक उसकी खरीद में कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं और दिसावरी व्यापारी भी सीमित मात्रा में लिवाली कर रहे हैं।

इसके फलस्वरूप कीमतों में नरमी या स्थिरता देखी जा रही है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना एवं कर्नाटक जैसे शीर्ष उत्पादक प्रांतों में बिजाई की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है और नियमित रूप से सामान्य बारिश होने के कारण फसल की हालत संतोषजनक बताई जा रही है।

आंध्र प्रदेश की गुंटूर मंडी में औसतन 45-50 हजार बोरी लालमिर्च की दैनिक आवक होने की जानकारी मिल रही है और सीमित कारोबार के बीच कीमत भी लगभग स्थिर बनी हुई है। कोल्ड स्टोरेज में लालमिर्च का अच्छा खासा स्टॉक बताया जा रहा है जबकि किसानों के पास भी इसका स्टॉक मौजूद है।

अक्टूबर के बाद जाड़े के दिनों में इसकी खपत का सीजन आरंभ होने पर बाजार में तेजी की संभावना बन सकती है। इस बीच यदि प्राकृतिक आपदाओं एवं कीड़ों-रोगों का प्रकोप नहीं रहा तो बाजार पर दबाव पड़ सकता है।

आगामी महीनों में चीन, बांग्ला देश एवं मलेशिया सहित अन्य प्रस्तुत आयातक देशों में लालमिर्च की मांग निकलने की संभावना है जिससे अच्छी क्वालिटी के माल का भाव कुछ तेज हो सकता है।

फिलहाल इसकी आवक बहुत हो रही है। लालमिर्च की घरेलू मांग भी सामान्य बनी हुई है। व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि जब तक प्रमुख उत्पादक मंडियों में हल्की क्वालिटी के माल की अधिकता बनी रहेगी तब तक लालमिर्च के दाम में ज्यादा तेजी आना मुश्किल रहेगा। आगामी समय में कीमतों में और भी नरमी आने की संभावना को देखते हुए खरीदार फिलहाल भारी मात्रा में इसके नए सौदे करने से बच रहे हैं।