कोटा। अध्यात्म विशुद्ध ज्ञान पावन वर्षायोग में आदित्य सागर मुनिराज ने नीति प्रवचन करते हुए कहा कि अपने जीवन को मतलबी व्यक्तियों से दूर रखें। जीवन में मनुष्य को पहचान करनी आनी चाहिए। यदि आपके पास पहचान करने की युक्ति नहीं है तो आप निश्चित घाटे में रहोगे।
उन्होंने कहा कि गिरगिट अपने स्वभाव से रंग बदलता है, जबकि मनुष्य स्वार्थ भाव से रंग बदलता है। उन्होंने कहा कि चोर मनुष्य की मैत्री आपको एक बार कष्ट पहुंचती है, जबकि एक मतलबी की मित्रता बार-2 कष्ट पहुंचाती है।
टिशू पेपर न बने
आदित्य सागर मुनिराज ने कहा कि अपनी लाइफ को टिशू पेपर सा नहीं बनाएं। कोई भी व्यक्ति आए और यूज करके आपकों फेंक कर चला जाए। अपने जीवन को स्टाम्प पेपर की तरह बनाएं ,जो एक बार अंकित हो जाए वो आपका हो जाए।
उन्होने मतलबी व्यक्ति के पांच व्यवहारों को इंगित करते हुए कहा कि मतलबी सदैव दूसरों का धन-श्रम खर्च करने में लगा रहता है। वह अपना काम निकलने के बाद आपके हाल भी नहीं पूछेगा। मतलबी हर बात में फायदा व नुकसान की गणित में लगा रहेगा।
नीति प्रवचन सुनने रविवार को सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष विमल जैन नांता, कार्याध्यक्ष जेके जैन, मंत्री विनोद जैन टोरड़ी, चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी, मंत्री पारस बज, रिद्धि-सिद्धि जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खरोड़, पारस कासलीवाल, ताराचंद बडला एवं सुशील बज सहित कई लोग उपस्थित रहे ।