पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘मुकुंदरा कॉलिंग’ अभियान शुरू

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कोटा। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व और कोटा के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पगमार्क फाउंडेशन ने ‘मुकुंदरा कॉलिंग’ अभियान शुरू किया है। इस अभियान की शुरुआत फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष देवव्रत सिंह हाड़ा ने की। उन्होंने बताया कि कई जानीमानी हस्तियां कोटा और मुकुंदरा का दौरा करेंगी, जिससे इन स्थलों का प्रचार-प्रसार होगा।

पगमार्क फाउंडेशन के प्रतिनिधिमंडल ने जयपुर स्थित आवास पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुलाकात की। वसुंधरा राजे ने मुकुंदरा के पर्यटन विकास और बाघ संरक्षण के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि यदि मुकुंदरा बाघ परियोजना क्षेत्र में चीतों को बसाया गया, तो यह देश की पहली ऐसी परियोजना होगी जहां बाघों के साथ चीतों का भी आवास होगा। इससे हाड़ोती संभाग में देशी और विदेशी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी।

फाउंडेशन के प्रतिनिधिमंडल ने अर्यण्य भवन पहुंचकर राजस्थान के प्रधान मुख्य वन संरक्षक अरिजीत बनर्जी से भी मुलाकात की। उन्होंने मुकुंदरा बाघ परियोजना क्षेत्र में वन विभाग में स्टाफ की कमी का मुद्दा उठाया और वन अधिकारी, फॉरेस्टर, फॉरेस्ट गार्ड के स्वीकृत पदों को भरने के साथ-साथ अतिरिक्त पदों के सृजन की भी मांग की। इससे वन क्षेत्र में घुसपैठ, शिकार जैसी अवांछित गतिविधियों को रोकने में सफलता मिलेगी।

इसके अलावा, सोरसन कंजर्वेशन रिजर्व में गोडावण ब्रीडिंग सेंटर को गति देने की बात भी उठाई गई। इससे राज्य पक्षी गोडावण की संख्या में वृद्धि होगी और जिले में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

साथ ही अभेडा बायोलॉजिकल पार्क के निकट कोटा बूंदी वन मंडल कि 1200 वर्ग किलोमीटर भूमि को कंजर्वेशन रिजर्व बनाने का अनुरोध किया जिससे उस क्षेत्र में बड़ी संख्या में विचरण कर रहे चिंकारा, जरख, भालू, तेंदुए को संरक्षण दिया जा सके। इस दौरान फाउंडेशन के प्रभात शर्मा भी मौजूद रहे।

मुख्य बिंदु

  1. ‘मुकुंदरा कॉलिंग’ अभियान : पगमार्क फाउंडेशन द्वारा मुकुंदरा और कोटा के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए।
  2. वसुंधरा राजे से मुलाकात : पूर्व मुख्यमंत्री ने मुकुंदरा के पर्यटन और बाघ संरक्षण के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
  3. प्रधान मुख्य वन संरक्षक से चर्चा : स्टाफ की कमी का मुद्दा और अतिरिक्त पदों के सृजन की मांग।
  4. सोरसन कंजर्वेशन रिजर्व : गोडावण ब्रीडिंग सेंटर को गति देने की पहल, जिससे गोडावण की संख्या में वृद्धि होगी और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
  5. अभेड़ा कंजर्वेशन रिजर्व : अभेडा बायोलॉजिकल पार्क के निकट कोटा बूंदी वन मंडल कि 1200 वर्ग किलोमीटर भूमि को कंजर्वेशन रिजर्व का दर्जा दिया जाए।