धरती से नहीं टकराएगा एस्टेरॉयड 2024 ON, रफ्तार चिंताजनक: NASA

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नई दिल्ली। Asteroid 2024 ON collides with Earth: आज एक बड़े एस्टेरॉयड के धरती के सबसे करीब पहुंचने की उम्मीद है। 2024 ON नाम के इस एस्टेरॉयड का आकार करीब 720 फुट बताया जा रहा है। यह धरती से करीब 9,97,793 किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा, जो धरती और चांद के बीच की दूरी का 2.5 गुना है। बहरहाल, यह दूरी धरती के लिए सुरक्षित मानी जा रही है, लेकिन खगोलीय मानकों के अनुसार यह बहुत कम है।

नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के अनुसार, “इस एस्टेरॉयड की रफ्तार करीब 40,233 किलोमीटर प्रति घंटा है, जो थोड़ा चिंताजनक है। यह एस्टेरॉयड 17 सितंबर को धरती के सबसे करीब पहुंचेगा।”

ATLAS स्काई सर्वे ने 27 जुलाई को एस्टेरॉयड 2024 ON की खोज की थी। इस खगोलीय इवेंट का लाइव प्रसारण 15 सितंबर को virtualtelescope.eu/webtv पर 19:30 UTC (भारतीय समयानुसार 16 सितंबर को 1:00 AM) से किया गया।

NASA के जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (JPL), जो कैलिफोर्निया के पासाडेना में स्थित है, ने इस इवेंट पर कड़ी नजर रखी है। NASA इस एस्टेरॉयड की संरचना और आकार को समझने के लिए ऑप्टिकल टेलिस्कोप का उपयोग कर रहा है।

अगर 2024 ON एस्टेरॉयड धरती से टकराता, तो इससे भारी नुकसान हो सकता था। इसके टकराने से वातावरण में बड़ा धमाका होता और एक विशाल शॉकवेव बनती। हालांकि, एस्टेरॉयड सुरक्षित रूप से धरती के पास से गुजर गया, जिससे कोई नुकसान नहीं हुआ।

NASA का प्लैनेटरी डिफेंस कोऑर्डिनेशन ऑफिस (PDCO) ऐसे खगोलीय पिंडों पर नजर रखता है और ज़रूरत पड़ने पर इनका मार्ग बदलने की तैयारी करता है। JPL के सेंटर फॉर नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज (CNEOS) के अनुसार, इस तरह की घटनाएं हर 10 साल में होती रहती हैं।

धरती के पास एस्टेरॉयड का गुजरना आम बात है। दरअसल, 2024 RQ5 (बस के आकार का एस्टेरॉयड), 2024 RM10 (विमान के आकार का एस्टेरॉयड) और अन्य कई एस्टेरॉयड आज धरती के पास से बिना किसी परेशानी के गुजर गए।

धरती से एस्टेरॉयड की टक्कर: धरती से एस्टेरॉयड के छोटे टुकड़ों की टक्कर अक्सर होती है। NASA के अनुसार, हर दिन करीब 48.5 टन उल्कापिंड मटेरियल धरती के वायुमंडल में प्रवेश करती है, जो आमतौर पर जलकर टूट जाती है और इसे हम टूटते हुए तारे के रूप में देखते हैं।

हालांकि, बड़े आकार के खगोलीय पिंडों की टक्कर बहुत कम होती है। एस्टेरॉयड की टक्कर से बचना मुश्किल होता है, लेकिन असंभव नहीं। जोखिम को कम करने के लिए NASA और यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) मिलकर नियर अर्थ ऑब्जेक्ट्स (NEOs) को डिटेक्ट, क्लासिफाई और मॉनिटर करने के लिए प्रोग्राम चलाते हैं। इन प्रयासों का उद्देश्य एस्टेरॉयड टकराव के खतरे से निपटने के लिए तैयारी करना है।