Investment: बिटकॉइन की कीमतों में 14% की गिरावट, सस्ते में खरीदने का मौका

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नई दिल्ली। दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन इन दिनों परेशानियों का सामना कर रही है। पिछले कुछ हफ्तों में इसकी कीमतों में भारी गिरावट आई है। इसकी एक बड़ी वजह क्रिप्टो एक्सचेंज FTX का डूबना भी है। साथ ही अमेरिका में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े फंडों को लेकर घटता उत्साह भी बिटकॉइन को नीचे खींच रहा है।

अप्रैल में ही बिटकॉइन की कीमतों में 14% की गिरावट दर्ज की गई, जो नवंबर 2022 के बाद सबसे ज्यादा है। इतनी बड़ी गिरावट ने निवेशकों को परेशान कर दिया है। वो समझ नहीं पा रहे हैं कि ये गिरावट चिंता का विषय है या फिर सस्ते में बिटकॉइन खरीदने का मौका?

बिटकॉइन की कीमतों में हालिया गिरावट को लेकर कई जानकार चिंतित हैं, लेकिन असल में कई चीजें एक साथ खेल रही हैं। एक वजह है बिटकॉइन हॉल्विंग। हाल ही में, जब बिटकॉइन की कीमत आधी हुई थी, तो माइनिंग रिवॉर्ड भी आधा हो गया। इसका मतलब है कि अब कम बिटकॉइन मिल रहे हैं, जिससे भविष्य में मांग बढ़ने की उम्मीद है। लेकिन बाजार अभी इस बदलाव को पूरी तरह से अपना नहीं पाया है, इसलिए फिलहाल कीमतों में गिरावट आई है।

इसी दौरान हांगकांग में स्पॉट बिटकॉइन ETF लॉन्च हुआ है। इससे भविष्य में बिटकॉइन में ज्यादा पैसा आने की उम्मीद है, लेकिन इस नए तरीके से निवेश करने के लिए लोगों को अभी थोड़ा समय लगेगा।

क्रिप्टो एक्सपर्ट पार्थ चतुर्वेदी का कहना है कि बिटकॉइन की कीमतों में गिरावट के पीछे सिर्फ एक वजह नहीं है, बल्कि कई चीजें मिलकर इसे प्रभावित कर रही हैं। एक बड़ी वजह है अमेरिका में बढ़ती महंगाई। इसकी वजह से निवेशक लंबे समय के लिए ज्यादा ब्याज दरों की उम्मीद कर रहे हैं।

जोखिम वाली चीजों में पैसा लगाना अब अच्छा नहीं माना जा रहा है, जिसका सीधा असर क्रिप्टोकरेंसी पर पड़ा है। इसके अलावा, जनवरी से बिटकॉइन की कीमतों में लगभग दोगुना इजाफा हुआ था। इतनी तेजी के बाद कुछ लोगों ने मुनाफा कमाने के लिए अपने बिटकॉइन बेच दिए, जिससे कीमतों में गिरावट आई।

बिटकॉइन की कीमतों में हाल ही हुई गिरावट के बाद भी, कुछ जानकारों का मानना है कि यह अभी भी तेजी की तरफ बढ़ सकता है। ये अंदाजा तकनीकी विश्लेषण के आधार पर लगाया गया है। आपको डेली चार्ट पर एक “बुल फ्लैग” पैटर्न दिख सकता है। यह पैटर्न अक्सर भविष्य में कीमतों के बढ़ने का संकेत देता है।

इस पैटर्न की पुष्टि तब होती है, जब बिटकॉइन की कीमत इस झंडे की ऊपरी सीमा को पार कर लेती है। इसके बाद, इस पार करने के बिंदु (ब्रेकआउट बिंदु) पर झंडे की ऊंचाई (प्रतिशत में) को जोड़कर भविष्य में संभावित कीमत का अनुमान लगाया जाता है।

एक्सपर्ट्स सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। बिटकॉइन की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव कोई नई बात नहीं है। हालांकि इतिहास में इसने कमाल की वापसी भी की है और काफी तेजी से बढ़ा है। लेकिन क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया बहुत तेजी से बदलती है और इसमें कई तरह के जोखिम हैं।

एक बड़ा जोखिम है पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था का। अगर अर्थव्यवस्था खराब चल रही है, तो लोग क्रिप्टोकरेंसी में कम निवेश करेंगे, जिससे कीमतें गिर जाएंगी। इसके अलावा, सरकारें भी कभी भी क्रिप्टो को लेकर नए नियम बना सकती हैं, जिससे बाजार पर असर पड़ सकता है।

यहां तक कि लोगों का क्रिप्टो के बारे में सोचने का नजरिया भी कीमतों को प्रभावित कर सकता है। अगर लोग उत्साहित हैं तो कीमतें आसमान छू सकती हैं, वहीं डर का माहौल बनते ही पलट कर नीचे आ सकती हैं।